
सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मंदिर – लंगर और रामबाग पैलेस
लंगर से बाहर निकल कर पà¥à¤¨à¤ƒ वही पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¤šà¤¿à¤¹à¥à¤¨ समà¥à¤®à¥à¤– आ खड़ा हà¥à¤† – “अब कà¥à¤¯à¤¾?“ अचानक मà¥à¤à¥‡ याद आया कि à¤à¤• मितà¥à¤° ने रामबाग समर पैलेस यानि, महाराजा रणजीत सिंह के महल का ज़िकà¥à¤° किया था और कहा था कि मैं उसे अवशà¥à¤¯ देख कर आऊं। रिकà¥à¤¶à¥‡ वालों से पूछना शà¥à¤°à¥ किया तो सबने 30 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ बताये। मà¥à¤à¥‡ लगा कि अमृतसर के रिकà¥à¤¶à¥‡ वालों को तीस का आंकड़ा कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ही पसनà¥à¤¦ है। रामबाग पैलेस चलने के लिये à¤à¤• रिकà¥à¤¶à¤¾ कर लिया। सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मंदिर में हर किसी को कार सेवा में तनà¥à¤®à¤¯à¤¤à¤¾ से लगे हà¥à¤ देखते देखते, मà¥à¤à¥‡ लग रहा था कि यह रिकà¥à¤¶à¤¾à¤µà¤¾à¤²à¤¾ à¤à¥€ तो इस विशाल समाज के लिये à¤à¤• अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ उपयोगी कार सेवा ही कर रहा है। अतः उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ रखते हà¥à¤ मैं रिकà¥à¤¶à¥‡ में à¤à¤¸à¥‡ सिमट कर बैठा जैसे मेरे सिमट कर बैठने मातà¥à¤° से मेरा 82 किलो वज़न घट कर 60 किलो रह जायेगा। मेरा वज़न घटे या न घटे ये तो वाहेगà¥à¤°à¥ जी की इचà¥à¤›à¤¾ पर निरà¥à¤à¤° है, पर मà¥à¤à¥‡ उमà¥à¤®à¥€à¤¦ है कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मेरी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को तो अवशà¥à¤¯ ही समठलिया होगा।
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