हमारा पहली रात ऋषिकेश में रुकने का प्रोग्राम था जो अम्बाला से सीधे सिर्फ 200 किलोमीटर है। यानि की हमारे पास काफी समय था और इसलिए हमने रास्ते में जाते हुए पोंटा साहिब और मसूरी में केम्पटी फॉल जाने का निश्चय किया।इस रास्ते से ऋषिकेश 50 -60 किलोमीटर ज्यादा पड़ रहा था लेकिन दो महत्वपूर्ण स्थान भी कवर हो रहे थे ।सभी लोगों से कहा गया की पहले दिन का लंच घर से लेकर आयें ,इसके अलावा हमने काफी बिस्कुट और स्नैक रास्ते के लिए खरीद लिए ।और आखिरकार 11 जून 2011 , दिन शनिवार आ ही गया । सभी लोग तैयार होकर पहले से निश्चित स्थान पर मिलते रहे और गाड़ी में सवार होते गए .लेकिन अभी सीटी साहेब नहीं पहुचे थे । हमने गाड़ी को महेश नगर में रुकवा कर उसका इन्तज़ार शुरु किया। हम पिछले एक घन्टे से उसे फोन कर रहे थे ताकि वो लेट ना हो जाये और अब तो उसने फोन उठाना भी बन्द कर दिया, घर पर फोन किया तो बताया कि चले गये हैं, लेकिन गाड़ी पर नहीं पहुचे जबकि सिर्फ़ 3-4 मिनट का रास्ता था । हमें ( मुझे और सुशील को ) मालूम था कि अभी वो तैयार नहीं हुआ होगा क्योंकि वो हमारा बचपन से दोस्त है और हम उसकी रग रग से वाकिफ़ हैं। हम सबको काफ़ी गुस्सा आ रहा था, अरे जब सात लोग एक आठवें की काफ़ी देर इन्तज़ार करेंगें तो गुस्सा आयेगा ही। हमने यह निर्णय लिया कि यदि वो 8:30 तक नहीं आया तो हम उसे छोड़ कर चले जायेंगे और वो पठठा पूरे 8:28 पर वहाँ पहुँच गया और वो भी अकेले नहीं ,साथ में अपने 9-10 साल के बेटे को भी यात्रा के लिये ले आया। हम उसका स्वागत गालियों से करने को तैयार बैठे थे लेकिन उसके बेटे के कारण वैसा ना कर पाये। लेकिन फिर भी उसका ‘यथायोग्य’ स्वागत किया गया।
लगभग सुबह 8:30 पर हम अम्बाला से पोंटा साहिब के लिए निकल गए। अम्बाला से पोंटा साहिब की दुरी 100 किलोमीटर है और हम मौज मस्ती करते हुए 10 :30 तक पोंटा साहिब पहुँच गए ।
(पांवटा साहिब हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के दक्षिण में एक सुंदर शहर है।राष्ट्रीय राजमार्ग 72 इस शहर के मध्य से चला जाता है।यह सिखों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल और एक औद्योगिक शहर है। गुरुद्वारा पौंटा साहिब, पौंटा साहिब में प्रख्यात गुरुद्वारा है।सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की स्मृति में पौंटा साहिब के गुरुद्वारे को बनाया गया था। दशम ग्रंथ, गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा यहीं लिखा गया था। इस तथ्य की वजह से इस गुरुद्वारे को विश्व भर में सिख धर्म के अनुयायियों के बीच ऐतिहासिक और बहुत ही उच्च धार्मिक महत्व प्राप्त है। )
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