
Musoorie – Surkanda – Dhanaulti – Dehradun
It’s been a more than a year I am following Ghumakkar to read the experiences of Ghumakkar’s. I really like reading the write ups…
Read MoreIt’s been a more than a year I am following Ghumakkar to read the experiences of Ghumakkar’s. I really like reading the write ups…
Read MoreHi friends, I am a fan of ghummakkar but only recently I decide to share my experience with you all. This is about my…
Read MoreI read about Jakholi, a small village near Rudraprayag in Uttaranchal, in 2008 in a Travel magazine named “Bhraman” published in Kolkata where I hail…
Read MoreAnyways moving to Dhanaulti .. We stayed over night at this resort and imprudently decided to travel where the road takes us , We had no Idea about where we will stay and eat etc … To our good luck we found a nice guest house ( I am not sure if it is a guest house !! ) close to the main attraction point just before Dhanaulti.
Read Moreसहस्त्रधारा में अंदर घुसते ही 10 रूपये/बाइक एंट्री फीस लगती है जो हमने दिया और अंदर चले गए. वहाँ जाकर हमने बाइक को एक दुकान के आगे खड़ा किया और दुकान वाले से दो लॉकर किराये पर लिया (50 रूपये एक लाकर ). अपना बैग और सामान लाकर के अंदर रखने के बाद हमने दुकान वाले को चाय नाश्ता के लिए बोला और पानी में नहाने के लिए चले गए.
अंदर पानी बहुत ही ठंडा था और वहाँ पर स्थानीय लोगो ने जगह-जगह दिवार बनायी थी इसलिए वह किसी स्विमिंग पूल की तरह दिख रहा था.
थोड़ी देर नहाने के बाद हम लोगो ने सहस्त्रधारा किनारे बैठ के चाय और परांठे खाये।
Even the winding highway looked surreal vanishing up beside a cliff. Oh how I love to ride. When the roads is like this who wouldn’t fall in love with his motorcycle and road trips. I mean that is why we own RE don’t we…to commune with the Himalayas.
Read MoreFew days ago, one of a reader asked me that why have I stopped writing on Ghumakkar. I had no particular answer. She told that I should again start writing.
So here I am back again to share few of my short travel tales. Starting with one of the trip which I remember was Dhanaulti which I visited in Feb’14.
Read Moreधनौल्टी देवदार के पेड़ों के बीच बसा हुआ है | इस छोटे से हिल स्टेशन के हर ओर के विहंगम दृश्य आपके मन को निश्चय ही मोह लेंगे है | पूरा पार्क देवदार के पेड़ों से आच्छादित है जिसके बीच से चलने के लिए लकड़ी से रास्ते बनाये गये हैं | हम लोग उन टेढ़े मेढ़े रास्तों से होते हुए आगे बढ़ने लगे और साथ ही साथ आने वाले हर एक मनमोहक दृश्यों का आनंद उठाते रहे |
Read Moreजन्माष्टमी का दिन होने के करण मेरी श्रीमती जी ने व्रत रखा था. शाम ढल चुकी थी मैने सोंचा कुछ फल वगैरह ला दू. होटेल से बाहर आकर पूछने पर पता लगा थोड़ा सा आगे बस स्टॅंड है वहां पर फल मिल सकते हैं. थोड़ा सा आगे जाने पर भी दुकाने नही नजर आई फिर वहां से गुजरते पहाड़ी लोगो से पूछा, उनका वही जबाव , बस थोड़ा सा आगे चले जाओ. हमारे जैसे लोगो के लिये पहाड़ो पर 100-200 गज चलना ही काफी दूर हो जाता है पर पहाड़ी लोग एक किलोमीटर की दूरी भी थोड़ा सा आगे ही बताते है. जैसे-तैसे बस स्टॅंड पहुँचा. यहाँ पर केवल 2-3 दुकाने ही थी जिसमे से एक मे थोड़ी सी सब्जी, फल रखे थे. फल खरीद कर वापस लौटते समय तक शाम काफी गहरी हो गयी थी. बरसात का मौसम होने के कारण बादलो ने आस-पास का वातावरण ढक दिया था. दूर का साफ नही दिख रहा था. इस समय सड़क पर कोई चहलकदमी नही हो रही थी. मेरे आगे – आगे दो लड़के बाते करते हुए जा रहे थे अन्यथा वातावरण मे नीरवता छाई हुई थी. मै तेज कदमो से होटेल की तरफ बढ रहा था. ऐसे समय पर पुरानी बाते याद आ जाती हैं. इससे पिछले वर्ष मै मुक्तेश्वर गया था. मुक्तेश्वर उत्तराखंड मे ही एक हिल स्टेशन है. यहाँ से नेपाल की तरफ का हिमालय दिखता है. तो बात कर रहा था मुक्तेश्वर की ( बताना आवश्यक हो गया था , कई लोग मुक्तेश्वर के नाम से ग़ह्र मुक्तेश्वर समझने लगते हैं.) यहाँ मै रेड रूफ रिज़ॉर्ट मे ठहरा था. रिज़ॉर्ट के मलिक मिस्टर. प्रदीप विष्ट से बातो ही बातो मे पता लगा की शाम के समय कभी-कभी रिज़ॉर्ट के सामने ही बाघ आ जाता है. उन्होने एक बाघ की फोटो भी अपने रिज़ॉर्ट मे लगा रखी थी जो कि जाड़े के समय उनके रिज़ॉर्ट के सामने बैठा हुआ धूप सेक रहा था. उनके रिज़ॉर्ट के पास ही एक महिला को होटेल है. बताने लगे कि एक दिन शाम का अंधेरा ढल गया था, वह अपनी कार से मेरे रिज़ॉर्ट के सामने से गुजर रही थी कि तभी अचनक बाघ उनकी कार के सामने आकर खड़ा हो गया. उन्होने ने कार के ब्रेक लगाये, बाघ थोड़ी देर तक खड़ा कार को घूरता रहा फिर छलांग मार कर दूसरी तरफ चला गया. इस समय मुझे वही बात याद आ रही थी कि कहीं यहाँ पर भी अचनक बाघ आ गया तब क्या करेंगे. चलते समय होटेल वाले से पूछना भूल गया था कि इस इलाके मे बाघ तो, वह नही है. खैर रास्ते मे बाघ तो नही मिला, सकुशल होटेल पहुंच गया. अगर मिल जाता तो गया था श्रीमती जी के खाने का इंतजाम करने और बाघ के खाने का इंतजाम कर बैठता. वापस आकर पहले होटेल वाले से पूछा पता लगा यहाँ पर बाघ नहीं है.
Read Moreइस स्थान से आगे निकलते ही घने बुरांश के और देव दार के जंगल शुरू हो जाते हैं. और गढ़वाल की ऊँची चोटियों के भी दर्शन हो सकते थे पर उस ओर कोहरा छाया हुआ था. यह क्षेत्र बुरांशखंडा के नाम से भी मशहूर हैं. बुरांश के पेड़ यंहा पर बहुतायत पाए जाते हैं. बुरांश का फूल उत्तराखंड का राजकीय फूल हैं. इससे जैम, जैली, शरबत, व विभिन्न आयुर्वेदिक दवाए बनायी जाती हैं. इन दिनों उत्तरखंड की पहाडिया इन फूलो से भरी रहती हैं.
Read MoreWe both decided to ride for about 100 KM further on the hills towards New Tehri to have a look at the Tehri Dam and the huge man made lake it had created. We reached New Tehri at around 8:30 AM. It was a beautiful morning. We spent about an hour at New Tehri and Vishal clicked a few pictures.
Read MoreDAY-2 – 30th Sept’11 Finally after 6hours of night sleep got up early at 6am.As I was the first one to get up ,…
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