Haridwar

गढ़वाल घुमक्कडी: कर्णप्रयाग – विष्णुप्रयाग – बद्रीनाथ

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चूँकि आज हमे सिर्फ़ बद्रीनाथ ही पहुँचना था (जो की यहाँ से मात्र 125 किमी ही है), इसलिए हम संगम पर काफ़ी देर बैठे मस्ती करते रहे. संगम का आनंद लेकर और दोनो नदियों के जल से विशुद्धि व उर्जा पाकर हम लोग आगे की यात्रा पर निकलने को तैय्यार थे. ढाबे पर नाश्ता करने के बाद, हम लोग सीधे बद्रीनाथ की बस लेने आ पहुँचे. थोड़ी देर इंतेज़ार के बाद, एकाध बसें आई पर सब खचाखच भारी हुई, पाँव रखने तक की जगह नही थी, यात्रा सीज़न मे ये एक आम नज़ारा है.

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माँ चंडी देवी, हरद्वार की यात्रा

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माता के जिस स्वरूप की हम बात कर रहे है उसका थोड़ा व्याख्यान करना तो बनता है। तो प्रिय पाठकों माँ चंडी देवी का मंदिर नील पर्वत पर स्थित एक सिद्ध पीठ के रूप में प्रसिद्ध है। कहा जाता है की आठवीं शताब्दी में प्रसिद्ध हिन्दू धर्म गुरु आदि शंकराचार्य द्वारा माता की मूर्ति की स्थापना यहाँ पर की गयी थी। इस स्थान से जुडी एक पौराणिक कथा यह है की शुम्भ-निशुम्भ नामक राक्षसों, जिन्होंने इंद्रा का साम्राजय अपने अधिपत्य में ले लिया था, का वध करने के बाद माता चंडी देवी, जिनकी उत्पत्ति देवी पारवती के अंश से हुयी थी, यहाँ पर कुछ समय के लिए विश्राम करने हेतु रुकी थी।

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Haridwar – Stairway to heaven revisited

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In the dead silence of the night, the gushing sound of the fast flowing river sounded like heavenly music. Soothing, mesmerizing and it deported you a heavenly bliss. It was like being hypnotized, lifting the spirits to incredible heights. I can’t recall when I went off to sleep; but when I got up early morning, I walked to the bank of the river and watched it flowing away gingerly. I have never forgotten that river sound since then.

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हरिद्वार से यमनोत्री

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मंदिर पहुँच कर  गर्म कुंड मे स्नान किया. यहाँ पर काफ़ी भीड़ थी. पर स्नान मे कोई दिक्कत नही हुई. कुंड का  जल ज़्यादा गर्म ना हो इसलिए ठंडे पानी की  पतली धार कुंड मे गिर रही थी. और यह ज़रूरी भी था क्योकि इस कुंड से उपर दिव्य शिला पर जो कुंड है उसमे तो इतना गर्म पानी है कि सभी लोग पूजा के चावल उसमे पकाते है. जैसा कि  मैने पढ़ा था की दर्शन से पहले मंदिर के बाहर दिव्या शिला का पूजन करते है उसके बाद दर्शन के लिए जाते है. गर्म कुंड मे स्नान कर के कपड़े बदल ही रहा था कि  तभी पंडा लोग आ कर पूजा करने का आग्रह करने लगे. पूजा तो करनी ही थी मैने पूजा से पहले  पंडा से पूछ  लिया की कितने पैसे लोगे पर सभी कह रहे थे आप अपनी श्रधा  से दे देना. कई लोगो ने डरा दिया था की यहाँ पंडा लोग बहुत पैसे  ले लेते है. इसलिए मैने पहले ठहरा लेना उचित समझा. जब वह श्रधा  की बात करने लगे तो मैने कहा 201 रुपये दूँगा. वह बोले ठीक है अब हम अपने परिवार के साथ उनके  मंदिर के पास बने प्लेटफोर्म पर पहुचे. यहाँ पर बहुत सारे लोगो को पंडा लोग पूजा करवा रहे थे एक जगह बैठा कर पूजा करनी शुरू की. मै  समझा करता था कि   कोई शिला  होगी पर शिला तो कोई नज़र नही आई तब मैने पंडा जी से पूछा तो उन्होने बताया की जिस स्थान पर बैठे है यही दिव्या शिला है. पूजा के बाद पंडा जी ने कहा, अब आप लोग माँ  यमुना जी के दर्शन कर लो जब तक आपके चावल भी पक जाएँग. यमञोत्री मे प्रसाद  के रूप मे चावल गर्म कुंड मे पका कर यात्री ले जाते है. मंदिर मे ज़्यादा भीड़ नही थी माँ यमुना की मूर्ति काले पत्थर की  बनी है उनके साथ माँ  गंगा की भी मूर्ति स्थापित है. दर्शन कर  के बाहर आया तब तक पंडा गर्म कुंड मे पके हुए चावल की पोटली ले कर आ गये. मैने कही पढ़ा था की यहाँ एक ऋषि रहते थे जो रोज गंगा नहाने पहाड़ पार कर के गंगोत्री जाते थे जब वह काफ़ी उम्र  के हो गये और पहाड़ पार  कर जाना संभव नही हुआ तब माँ  गंगा से उन्होने प्राथना की तब गंगा वही प्रकट हो गई . कहते है यहाँ यमनोत्री मे एक धारा गंगा की भी  बहती है. मैने जब इस बारे मे पंडा जी से पूछा तब उन्होने अनभीग्यता प्रकट की. अब मैने सोचा की यहाँ तक आए है तो यमुना जी का जल तो ले चलना चाहिए. मंदिर के साथ से ही यमुना जी बह रही है. 1-2 लोग वहाँ पर जल ले रहे थे मैने भी एक बोतल मे जल भरा,  पत्नी और बच्चो को भी बुला कर यमुना जी के दर्शन कराए. एक तरह से यहाँ पर यमुना जी पहले दर्शन होते है. यमुना जी का जल एक दम स्वच्छ  पारदर्शी है और पीने मे बहुत अच्छा लगा यही जल दिल्ली पहुच कर किस अवस्था मे हम कर देते है यह तो दिल्ली वाले ही जानते है. जल इतना ठंडा था कि   बड़ी मुश्किल से बोतल मे भर पाया.

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My Delhi-Rishikesh monsoon round-trip, in less than INR 1000

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I know swimming very well in flowing water so thinking to swim inside Ganga without hold any chain in hand, so I walked till last bridge and suddenly jumped inside.

Peoples were surprised and thinking that someone has fallen inside Ganga, but they relaxed when saw that I was swimming. After I came out from Ganga, many people’s told me that to not dare do it but I know my limit so I told them not worry about it.

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गणेशोत्सव का उत्साह और माँ गंगा का पावन स्नान … हरिद्वार।

गणेशोत्सव का उत्साह और माँ गंगा का पावन स्नान … हरिद्वार।

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अनायास ही मेरी नजर होटल की खिड़की से बाहर की तरफ गयी तो देखा की सभी लोग गंगा माता के मंदिर की तरफ बने घाट की सीढ़ियों पर पसर चुके थे, मतलब साफ़ है की माँ की आरती आरम्भ होने वाली है, हमने भी कमरा लॉक किये और सरपट दौड़े माता की आरती में शामिल होने को। ऑफ-सीजन होने के कारण किसी प्रकार की धक्का-मुक्की का सामना किये बगैर हमे मंदिर के पास ही आरती में शरीक होने का अवसर प्राप्त हुआ और जो दबंग पण्डे वगेरह अक्सर आपको आरती के समय दूर होने के लिए टोकते रहते थे आज वो स्वयं ही आरती की थाल हमारे हाथों में सौंप रहे थे माता की आरती उतारने को, हमें तो यकीं ही नहीं हो रहा था, खैर चलो छोडो। एक और महत्वपूर्ण बात यह थी की इस दरमियान ही मौसम भी करवट बदल चूका था और ग्रीष्म ऋतू अब शरद ऋतू का अहसास करवाने लगी थी, ऊपर से माँ गंगा की लहरों से उठती ठंडी हवाएं हमें बेबस किये जा रही थी वहीँ पर डेरा जमाये रखने को।

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शिव और सावन – एक मनोरम स्मृति।

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सावन के महीने का आगमन दिल्ली में हो गया था किन्तु बारिश की बूंदो का इंतजार अब भी बाकि था, लग ही नहीं रहा था की इस बार दिल्ली में बारिश होगी भी या नहीं। आख़िरकार है तो यह दिल्ली ही न, रोजाना यहाँ वहां की खबरों को सुनते हुए यह पता चल जाता था की सलमान की एक-एक फिल्म 100 करोड़ कमा रही है किन्तु पूरी दिल्ली में 100 लीटर भी पानी बरस जाये तो गनीमत होगी।

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