
धनोलà¥à¤Ÿà¥€ , सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¤¾ ,ऋषिकेश और फिर हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°
रात की नीरवता मे गंगा की लहरो की तट की पैकडियो से टकराने की आवाज आ रही थी. इसी बीच मेरी शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी ढà¥à¤¢à¤¤à¥€ हà¥à¤ˆ आ गयी. आते ही बोली यहाठकहाठलेटे हो, मै बोला कà¥à¤¯à¤¾ करू यहाठपर ठंडक है इसलिये इन सबके साथ यहीं लेट गया हूठपर नींद तो आ नही रही है. बोली चलो बस मे ही आरम करना. यहाठके ठंडे फरà¥à¤¶ पर लेटे रहे तो कमर अकड जायगी. अब मà¥à¤à¥‡ लगा, इससे तो अचà¥à¤›à¤¾ वापस दिलà¥à¤²à¥€ चलते हैं, यहाठपरेशन होने से कà¥à¤¯à¤¾ फायदा. इतनी रात मे à¤à¥€ कई लोग गंगा नहा रहे थे. मैने गंगा का जल अपने उपर छिड़का और बस मे पहà¥à¤‚चकर जब सबसे वापस दिलà¥à¤²à¥€ चलने के लिये कहा तो कà¥à¤› लोग बोले जब इतना परेशान हो ही चà¥à¤•े हैं तो अब कल गंगा नहाकर ही चलेंगे. मैने कहा ठीक है जैसी तà¥à¤® सबकी मरà¥à¤œà¥€. बस मे बैठे हà¥à¤ पता नही कब नींद लग गयी. दिन निकल आने के बाद ही नींद खà¥à¤²à¥€.
अब सà¤à¥€ हर की पोड़ी पर चल दिये. तà¤à¥€ हमारे साथ के मनोज जी हर की पोड़ी के सामने बने धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ मे दो कमरे तय कर आये. बोले 500-500 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ मे मिल रहे हैं लेना है. मैने कहा ले लो à¤à¤ˆ थोड़ी देर के लिये ही सही बरसात के करण गंगा का पानी मटमैला था कà¥à¤› लोग नखरे करने लगे. पर बाकी सà¤à¥€ ने तो गंगा मे ढंग से सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया. . नहा कर तैयार होने मे ही सà¤à¥€ को दस बज गये. अब à¤à¥€ कà¥à¤› à¤à¤• तैयार नही हà¥à¤ थे, मैने कहा मै तो नाशà¥à¤¤à¤¾ कर के बस मे बैठने जा रहा हूठतà¥à¤® सब लोग à¤à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ से आ जाओ. जब इतने सारे लोग होते हैं तब सारे अपनी- अपनी मरà¥à¤œà¥€ चलाते हैं. करीब 12 बजे बस मे पहà¥à¤‚चे. अब वापस दिलà¥à¤²à¥€ लौटना था.
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