खाना खाने के बाद मैने तो लंबी तान ली और ये तीनों महिलाà¤à¤‚ न जाने कà¥à¤¯à¤¾ – कà¥à¤¯à¤¾ गपशप करती रहीं। राजा की मंडी (आगरा) सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ आया तो अपने घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ à¤à¤¾à¤ˆ रितेश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ की याद आई। उनसे सचà¥à¤šà¥€-मà¥à¤šà¥à¤šà¥€ वाली मà¥à¤²à¤¾à¤•ात तो आज तक नहीं हो पाई पर फेसबà¥à¤• पर गप-शप अकà¥à¤¸à¤° ही होती रहती है। मैने उनको इस टà¥à¤°à¥‡à¤¨ से जाने के बारे में सूचना नहीं दी हà¥à¤ˆ थी पर फिर à¤à¥€ न जाने किस आशा में, पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® पर उतरा, कà¥à¤› पल चहल-कदमी की और फिर वापिस टà¥à¤°à¥‡à¤¨ में आ बैठा। बाहर अंधेरा होने लगा था और खिड़की से कà¥à¤› दिखाई नहीं दे रहा था, अतः सामने वालों पर ही धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ किया। सोचा, बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को कà¥à¤› जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की बातें बताई जायें। घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ का ज़िकà¥à¤° शà¥à¤°à¥ कर दिया और बताया कि अगर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वह वेबसाइट नहीं देखी तो समà¤à¥‹ ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में कà¥à¤› नहीं देखा। वहीं बैठे – बैठे रितेश, मनà¥, जाट देवता, डी.à¤à¤². अमितव, ननà¥à¤¦à¤¨, मà¥à¤•ेश-कविता à¤à¤¾à¤²à¤¸à¥‡, पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£ वाधवा आदि-आदि सब का परिचय दे डाला। रेलवे को à¤à¥€ कोसा कि लैपटॉप नहीं चल पा रहा है, वरना उनको घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ साइट à¤à¥€ दिखा डालता।
रात हà¥à¤ˆ, खाना खाया, कà¥à¤› देर किताब पà¥à¥€, फिर सामान को ठीक से लॉक करके और कैमरे वाले बैग को अपनी छाती से लगा कर सो गया। गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° में उतर कर अंधेरे में अपने मोबाइल से à¤à¤•-दो फोटो खींचने का à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ किया पर कà¥à¤› बात कà¥à¤› बनी नहीं। सà¥à¤¬à¤¹ पांच बजे आंख खà¥à¤²à¥€ और टà¥à¤°à¥‡à¤¨ लगà¤à¤— 7 बजे इनà¥à¤¦à¥Œà¤° सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर आ पहà¥à¤‚ची।
Read More