Srinagar

Visit Srinagar in spring and you would be very much inclined to believe that heaven indeed exists on earth. Millions of flowers bloom in spring infusing the valley with their vibrant colours and fragrance along with rain showers that add to a divine experience. Situated at the heart of Kashmir, the valley wraps a shawl of different hues for every season. The city of Srinagar lies on both the banks of the River Jhelum with many bridges connecting them.
Srinagar is the summer capital of Jammu and Kashmir. The city is enchanting in every season and it has more in store for visitors. The serene beauty of Dal Lake and Nagin Lake are well known as are the famous Houseboats on Dal Lake. Mughal Gardens, Chashma Shahi (the royal fountains), Pari Mahal (the palace of the fairies), Nishat Bagh (the garden of spring), Shalimar Bagh are a feast for the eyes. Some of the holy places in Srinagar are Hazratbal Shrine, Jama Masjid, Hamza Makhdum, Kheer bhawani, Sarika Mata temple and Shankaracharya temple.
Srinagar is connected by National highways and has an international airport. Many picturesque valleys and adventure tourism sites are also accessible from the city.
Best time to visit: March to September
Languages spoken: Kashmiri
Climate: Rainy spring season, pleasant summers and very cold winters with snowfall
Natural Wonders: Dal Lake, Nagin Lake, Mughal Gardens, Shalimar Bagh
Holy Places: Hazratbal Shrine, Jama Masjid, Hamza Makhdum, Kheer bhawani, Sarika Mata temple, Shankaracharya temple
Places of Interest: Chashma Shahi, Pari Mahal

आ पहुंचे हम श्रीनगर – कश्मीर

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इस सड़क की एक और विशेषता यह है कि उस सड़क पर पर्यटकों की भरमार होने के कारण स्कूटर, मोटर साइकिल, हाथ ठेली पर ऊनी वस्त्र बेचने वाले हर रोज़ सुबह-शाम भरपूर मात्रा में दिखाई देते हैं।  रात को हम खाना खा कर लौटे तो भी वहां बहुत भीड़ लगी थी और सुबह आठ बजे तक वहां ऐसे दुकानदारों का अंबार लग चुका था।  कुछ स्कूल भी आस-पास रहे होंगे क्योंकि छोटे-छोटे, प्यारे – प्यारे, दूधिया रंग के कश्मीरी बच्चे भी स्कूली वेषभूषा में आते-जाते मिले। कुछ छोटे बच्चों को जबरदस्ती घसीट कर स्कूल ले जाया जाता अनुभव हो रहा था तो कुछ अपनी इच्छा से जा रहे थे। भारतीय सेना की एक पूरी बटालियन वहां स्थाई कैंप बनाये हुए थी। हमारे होटल के बिल्कुल सामने सड़क के उस पार सेना के सशस्त्र जवान केबिन बना कर उसमें पहरा दे रहे थे। मुझे आश्चर्य हो रहा था कि यहां तो बिल्कुल शान्ति है फिर इतनी सतर्कता की क्या जरूरत है? पर जैसा कि एक सेना के अधिकारी ने मुझे अगली सुबह गप-शप करते हुए बताया कि यहां शांति इसीलिये है क्योंकि हर समय सेना तैयार है।  अगर हम गफलत कर जायें तो कब कहां से हिंसा वारदात शुरु हो  जाये, कुछ नहीं कहा जा सकता।   दो दिन बाद, 18 मार्च को हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच में एक दिवसीय क्रिकेट मैच था ।  हमारा ड्राइवर प्रीतम प्यारे गुलमर्ग से लौटते समय बहुत तनाव में था क्योंकि दोपहर तक पाकिस्तान का पलड़ा भारी नज़र आ रहा था।  वह बोला कि अगर पाकिस्तान मैच जीत गया तो शाम होते – होते कश्मीर की स्थिति विस्फोटक हो जायेगी । 

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जम्मू से श्रीनगर राजमार्ग पर एक अविस्मरणीय यात्रा

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ऐसे ही एक विलक्षण और ऐतिहासिक ट्रैफिक जाम में पंकज और मैं कार से उतरे और काफी आगे तक जाकर जायज़ा लिया कि करीब कितने किलोमीटर लंबा जाम है। यातायात पुलिस के सिपाहियों को जाम खुलवाने के कुछ गुरुमंत्र भी दिये क्योंकि सहारनपुर वाले भी जाम लगाने के विशेषज्ञ माने जाते हैं। हम अपनी कार से लगभग १ किलोमीटर आगे पहुंच चुके थे जहां गाड़ियां फंसी खड़ी थीं और जाम का कारण बनी हुई थीं। आगे-पीछे कर – कर के उन तीनों गाड़ियों को इस स्थिति में लाया गया कि शेष गाड़ियां निकल सकें। वाहन धीरे – धीरे आगे सरकने लगे और हम अपनी टैक्सी की इंतज़ार में वहीं खड़े हो गये। सैंकड़ों गाड़ियों के बाद कहीं जाकर हमें अपनी सफेद फोर्ड आती दिखाई दी वरना हमें तो यह शक होने लगा था कि कहीं बिना हमें लिये ही गाड़ी आगे न चली गई हो। ड्राइवर ने गाड़ी धीमी की और हमें इशारा किया कि हम फटाफट बैठ जायें क्योंकि गाड़ी रोकी नहीं जा सकती। जैसे धोबी उचक कर गधे पर बैठता है, हम कार के दरवाज़े खोल कर उचक कर अपनी अपनी सीटों पर विराजमान हो गये। पांच सात मिनट में ही पंकज का दर्द में डूबा हुआ स्वर उभरा! “मैं तो लुट गया, बरबाद हो गया।“ मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि पंकज एक मिनट के लिये भी मेरी दृष्टि से ओझल नहीं हुआ था तो फिर ऐसा क्या हुआ कि वह लुट भी गया और मुझे खबर तक न हुई। रास्ते में ऐसा कोई सुदर्शन चेहरा भी नज़र नहीं आया था, जिसे देख कर पंकज पर इस प्रकार की प्रतिक्रिया होती। गर्दन घुमा कर पीछे देखा तो पंकज भाई आंखों में ढेर सारा दर्द लिये शून्य में ताक रहे थे। उनकी पत्नी चीनू ने कुरेदा कि क्या होगया, बताइये तो सही तो बोला,

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अनजान सफ़र :  गंगोत्री – श्रीनगर – पौड़ी – यात्रा का समापन

अनजान सफ़र : गंगोत्री – श्रीनगर – पौड़ी – यात्रा का समापन

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“मंदिर का निर्माण एक पवित्र शिला पर हुआ है जहां परंपरागत रूप से राजा भागीरथ, महादेव की पूजा किया करते थे। यह वर्गाकार एवं छोटा भवन 12 फीट ऊंचा है जो शीर्ष पर गोलाकार है जैसा कि पहाड़ियों के मंदिरों में सामान्यतः रहता है। यह बिल्कुल समतल, लाल धुमाव के साथ सफेद रंग का है जिसके ऊपर खरबूजे की शक्ल का एक तुर्की टोपी की तरह शीखर रखा है।

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Getting Leh’d in ten days – Part 1

Getting Leh’d in ten days – Part 1

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Whenever I read about someone’s excursion to Leh, it’s a heroic story all about grit and determination. It’s about a man, his machine and the mountain. It’s about how one faces the vagaries of nature, the treacherous roads and the numbing cold. It’s like an action movie with a heavy metal background score. In stark comparison, my narration will be like a Karan Johar flick. All scenes will be in soft focus, everything will be beautiful, there will be drama and intrigue, all set to a melodious tune.

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Paradise regained : Day 7, 8 & 9

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It was 4.30 AM and hot tea was waiting for us. By the time we left Pahalgam it was 5.30 AM. Katra is a good 280 KMs away. We stopped around 8.30 AM for breakfast. A warm welcome was given to the hot paranthas. It is a shame that we did not get to taste the popular local “Rajma Chawal” during our trip.

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Paradise Regained :Day 3 & 4

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Our next stop was Sonamarg, around 83 KMs from Srinanagar. Sonmarg is situated in the Sindh valley at a height of 8950 feet. The snow clad mountains over the horizon that we got used to by now was like the clouds in the sky. Something that you could see but not touch!

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Paradise Regained: Day 1 & 2

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Some of us decided to pursue air route while some others took a more adventurous route of going by train and road to reach Srinagar. While waiting to board the flight at Delhi for Srinagar we heard “choice” words being used against Air India. Looked like some others had tasted the same medicine I had! I found out that they were also taking the tour through Sachin and were part of our larger group. I joined the group to vent out my feelings against AI. Ahh… felt good … Now I was ready for the “Paradise on Earth”.

As the plane made its descent in Srinagar, green carpeted land embraced by the beautiful Himalayas greeted us. As the plane made its final descent little cottages and the dotted cattle idly grazing on nature’s carpet came to focus. The snow on the hills was literally the icing! If my camera had “emotion feature” built-in it could have probably done justice to the scenery. I was yanked back to reality by the “ooohs” and the “ahhs”, excited voices of the children and the swaying of the necks of the passengers from one side of the plane to the other.

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