नà¥à¤¦à¤¿à¤° से बाहर आ जायो तो ये शहर वही है, जिसका तिलिसà¥à¤® आपको चà¥à¤®à¥à¤¬à¤• की तरह से अपनी और आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ करता है | शहर की आबो-हवा मसà¥à¤¤, गलियाठमसà¥à¤¤, जगह-जगह आवारा घूमती गायें मसà¥à¤¤ और सबसे मसà¥à¤¤ और फकà¥à¤•ड़ तबियत लिये हैं इस शहर के आम जन और साधू | हर मत, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के साधू आपको पà¥à¤·à¥à¤•र की गलियों में मिल जायेंगे, हाà¤, ये बात अलग है कि असली कौन है और फरà¥à¤œà¥€ कौन इसकी परख आसान नही | मोटे तौर पर सबकी निगाह फिरंगियों पर होती है और फिर फिरंगी à¤à¥€ बड़े मसà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤µ से महीनो इनके साथ ही घूमते रहते हैं, पता नही à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ के बारे में कितना वो जान पाते होंगे या कितना ये बाबा लोग उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¤à¤¾ पाते होंगे पर इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखकर तो पहली नज़र में कà¥à¤› यूठलगता है जैसे गà¥à¤°à¥ और à¤à¤•à¥à¤¤ दोनों ही à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के किसी à¤à¤¸à¥‡ रस में लींन हैं जिसकी थाह पाना आसान नही, जी हाठपà¥à¤·à¥à¤•र इस के लिठà¤à¥€ जाना जाता है | वैसे, ये बाबा लोग अपने इन फिरंगी à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर अपना पूरा अधिकार रखते हैं और आपको इन से घà¥à¤²à¤¨à¥‡-मिलने नही देते |
इस शहर की धारà¥à¤®à¤¿à¤•ता, और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•ता के इस बेà¤à¥‹à¤¡à¤¼ और आलौकिक रस में डूबे-डूबे से आप आगे बढ़तें हैं तो घाट के दूसरी तरफ ही गà¥à¤°à¥ नानक और गà¥à¤°à¥ गोबिंद सिंह जी की पà¥à¤·à¥à¤•र यातà¥à¤°à¤¾ की याद में बना ये शानदार गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ है, पà¥à¤·à¥à¤•र में आकर इस गà¥à¤°à¥‚दà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ के à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ ! और ऊपर से लंगर का समय ! लगता है ऊपर जरà¥à¤° कोई मà¥à¤¸à¥à¤•रा कर अपना आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ हम पर बरसा रहा है…ज़हे नसीब !!!
Read More