
कृषà¥à¤£à¤¾à¤—िरी उपवन, संजय गाà¤à¤§à¥€ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨- मà¥à¤‚बई पदयातà¥à¤°à¤¾
परनà¥à¤¤à¥ मà¥à¤à¥‡ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया उनके केलों ने. खूब सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° और पà¥à¤·à¥à¤Ÿ केले थे. मà¥à¤à¥‡ केले खरीदता देख कर à¤à¤• सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ ने मà¥à¤à¥‡ समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ कि मैं खीरे ले लूं और केले छोड़ दूà¤. पर मैं कहाठमानने वाला था. बस जैसे ही मैंने केले ख़रीदे, वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की डालों से तेजी-से उतर कर करीबन २०-२५ बंदरों ने मà¥à¤à¥‡ घेर लिया. घबरा कर मैंने केले वहीठजमीन पर फेंके, जो कà¥à¤·à¤£-à¤à¤° में ही बंदरों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लूट लिठगà¤. अब उस डंडे से लैस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने बंदरों को à¤à¤—ाने के लिठडंडा à¤à¤¾à¤œà¤¨à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ किया. बनà¥à¤¦à¤° à¤à¤¾à¤— गà¤. अब यह तो नहीं पता कि डंडे से à¤à¤¾à¤—े या केले चट कर के à¤à¤¾à¤—े. मैंने उन दोनों सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ की कोशिश की कि जब यहाठबंदरों का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¤ है तो केले बेचते ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हो. दोनों सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¯à¥€à¤‚ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आज उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤• और शहरी आदमी मिला था, जो जंगल में बिना देखे चलता था.
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