Visit to Lothal near Ahmedabad : An introduction to Harappan Civilization

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Excavation site is walking distance of half km from there. Sun is at its peak but cool breeze was maintaining the temperature. At most 20-30 people were there including the staff and visitors. We first visited the Archaeological Museum and it’s better to visit museum first because it contains a lot of information about the site and that will help you to understand and visualize the whole architecture at the site. As photography is prohibited in the museum so no snaps are available inside of it.

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शान्तमय सुरमय निर्मल नीरव चम्बा, उत्तराखंड

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पूछने पर पता चला की वहां किसी और का कमरा बुक नहीं है और अगली तीन रातों के लिए हम लोग अकेले ही वहां रूकने वाले हैं | हम लोग रूम में पहुंचे और ‘मेरे द्वारा सरकारी होटल के चयन’ विषय पर पत्नी जी का भाषण सुना | एक बार फिर मामले को सँभालते हुए मैंने शीघ्र सोने का प्रस्ताव रखा जो कुछ संक्षिप्त टिपण्णीयों के बाद मंजूर हो गया |

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चम्बा के चीड़ से धनौल्टी के देवदार तक

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धनौल्टी देवदार के पेड़ों के बीच बसा हुआ है | इस छोटे से हिल स्टेशन के हर ओर के विहंगम दृश्य आपके मन को निश्चय ही मोह लेंगे है | पूरा पार्क देवदार के पेड़ों से आच्छादित है जिसके बीच से चलने के लिए लकड़ी से रास्ते बनाये गये हैं | हम लोग उन टेढ़े मेढ़े रास्तों से होते हुए आगे बढ़ने लगे और साथ ही साथ आने वाले हर एक मनमोहक दृश्यों का आनंद उठाते रहे |

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ऋषिकेश में रिवर राफ्टिंग

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‘जय गंगा मैया’ की ध्वनि के साथ हम लोग राफ्ट लेकर चल पड़े | राफ्टिंग में सर्वाधिक आनंद पर्वतों के बीच से बहती तेज नदी के बीच एक छोटे से राफ्ट से बड़े बड़े हरे-हरे पर्वतों को देख कर होता है | ऐसा लगता है मानो मनुष्य न जाने क्यों गर्व करता है प्रकृति के सामने उसकी कोई सत्ता नहीं है | बड़े बड़े खड़े पर्वत किसी साधना में लीन साधु की तरह लग रहे थे | उनके ऊपर उगे पेड़ झाड़ियाँ उनके बढ़ी हुई दाढ़ी की तरह और चोटियाँ सर के चोटी की तरह प्रतीत हो रही थी | यही शांत, सुखमय वातावरण मानसिक और आतंरिक रूप से संतुष्टि प्रदान करता है | अक्सर चारों ओर देखने में, मैं एक दो पल के लिए भूल भी जाता था; की राफ्टिंग कर रहा हूँ | होश तब आता जब हमारे कमांडर आगे आने वाले रैपिड के लिए आगाह करते | शिवपुरी से राम झुला तक लगभग 16km की राफ्टिंग में कुल नौ रैपिड आते हैं जिन्हें एक से लेकर 5 डिग्री तक चिन्हित किया गया है | आगे आने वाले रैपिड का नाम रोलर कोस्टर था जो 5 डिग्री का था इसमे राफ्ट बाहर से घूमकर अन्दर की ओर तेजी से आती है | हम सभी लोग तेज से चिल्लाये | उत्साह दिखाने के लिए सबके अपने अपने चिल्लाने के तरीके होते हैं | वैसे कमांडर ने रैपिड के बीच में शोर से मना किया था ताकि उसके द्वारा दिए गये कमांड को हम लोग सुन सके |

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रणकपुर से कुम्भलगढ़ की डायनामिक यात्रा – Ranakpur to Kumbhalgarh, a dynamic journey

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स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर दो पर मैं रणकपुर एक्सप्रेस का इंतज़ार कर रहा था जो समय से आधा घंट ही लेट थी (थैंक गॉड) | मेरे साथ कुल 10 सहयात्री रहे होंगे जिसमे से एक 4-5 स्टूडेंट्स का ग्रुप था | मैं अकेला बैठ सोच ही रहा था की किसी से कुछ वार्ता वगैरह शुरू की जाये तो समय पास हो पर सामने के जीआरपी रूम के खुले दरवाजे से एक पुलिस वाले द्वारा एक पतले दुबले युवक को पीटने की झलक मिली | अब किसी को ट्रेन की फ़िक्र नहीं रही और सभी लोग भिन्न भिन्न एंगल बनाकर दृश्य को देखने की कोशिश करने लगे |

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गायकवाडों का शहर वड़ोदरा (Vadodara: The city of Gaikwads)

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ट्रेन आई और हम बैठ लिए अपने स्थान पर | एक वृद्ध दंपत्ति एक दुसरे का हाथ पकडे चढ़े | देखकर लगा की प्रेम की अभिव्यक्ति के कई आयाम और मायने होते हैं | ट्रेन अपनी गति से आगे बढती रही बीच बीच में आस पास के खेतों में उगे फसलों पर हम बात चीत कर रहे थे | तीन घंटे में हम वड़ोदरा पहुंच गये | स्टेशन से बाहर निकलकर हमने ठेले पर समोसे खाए और चल पड़े सैयाजी राव बाग़ की तरफ |

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थोल बर्ड सैंक्चुअरी की औचक यात्रा

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हमने लेक के किनारे बने पैदल पथ पर यात्रा शुरू की | मौसम सुहावना हो चला था और हलकी हलकी बयार् बह रही थी जिसने माहौल को खुशनुमा बना दिया था | इतने बड़ी झील को देखकर सुकून महसूस हुआ और ऐसा लगा की मै पहले यहाँ क्यूँ नहीं आया ? हम रास्ते से नीचे उतरकर झील के किनारे तक गये और वहां बैठकर सुबह की बनाई थेर्मोफ्लास्क में रखी गरम चाय (जो अभी तक पर्याप्त गरम थी) का आनंद लिया |

किनारे हमने एक घंटे बिठाये और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की | कुछ समय तक शांत बैठकर सबने स्वतः बात चीत बंद कर दी और दूर तक फैले झील और उड़ते पक्षियों को देखते रहे |फिर हम वापस किनारे के रस्ते पर आ बर्ड वाच पॉइंट की ओर बढे | रास्ते में एक मैन-मेड वृक्ष आकार का पॉइंट मिला जिस पर जाने के लिए बच्चे उतावले हो गये | और अभिलाषा जल्दी से जाकर ऊपर चढ़ गई |

रास्ते के किनारे उगे कई नीम के पेड़ में से सबसे आसान पेड़ पर मैंने चढाई का प्लान बनाया ताकि अपनी बचपन की कहानियों को सिध्ध किया जा सके की मे पेड़ पर चढ़ने में माहिर हूँ | सबके मना करने के बाद भी मे पेड़ की सबसे नीचे डाली पर चढ़ा और रों धोकर अभिलाषा भी आ गई थोड़ी देर में |

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