तकरीबन तीन घंटे की स्मूथ ड्राइव के बाद आगरा शहर में दिशा निर्देशो का पीछा करते हुए हम लोग होटल मधुश्री के सामने आकर खड़े हो गए. यमुना एक्सप्रेसवे से बाहर निकल कर जब आप आगरा शहर में प्रवेश करते है तो नाक की सीध में चलते चले जाने से एत्माददुल्ला के मकबरे (किले) की तरफ जाने वाले रस्ते पर एक टी पॉइंट आता है जिसमे यह होटल बिलकुल कोने पर ही बना हुआ है और इस होटल से दो मार्ग जाते है पहला आपको रामबाग, मथुरा, दिल्ली की तरफ ले जाता है और दूसरा मार्ग एत्माददुला और ताज महल की तरफ ले जाता है। इस होटल की एक बात मुझे और अच्छी लगी की आगरा की भीड़ से आप बचे भी रहेंगे और शांति भी बनी रहेगी अन्यथा जैसे-२ आप शहर के भीतर बढ़ते चले जाते है बेतहाशा ट्रैफिक और गन्दगी के ढेर आपको परेशान करते रहते है. और एक बात जिसकी हमे बहुत आवश्यकता थी वो थी कार पार्किंग जिसका बंद गलियो वाले रास्तो पर मिलना बहुत ही कठिन कार्य लग रहा था और एक पल को तो हमे लगा की कहीं हम इस भूल भुलैया में ही घूमते हुए न रह जाये। होटल के प्रांगण में कार पार्किंग का पर्याप्त स्थान मिल जाने के कारन एक मुसीबत तो हल हो चुकी थी और अब बारी थी उस जोर के झटके की जो धीरे से लगने वाला था अर्थात कमरे का किराया। होटल के अंदर स्वागत कक्ष में उपलब्ध प्रबंधक साहब ने बताया की यह होटल अधिकतर बिजनेस मीटिंग्स के लिए ही बुक रहता है जिसमे फॉरेन डेलीगेट्स आकर ठहरते है अतः आपको एक कमरा मिल तो जायेगा किन्तु चार्जेज लगेंगे पूरे पच्चीस सौ रूपए। अब मरता क्या न करता, आगरा के भीतर घुसकर ट्रैफिक से जूझने और कमरा ढूंढने की हिम्मत तो नहीं हो रही थी अतः महाशय को एडवांस में रूम चार्जेज का भुगतान करने के बाद अब हम लोग निश्चिंत होकर ताज देखने के लिए अपनी आगे की योजना बनाने लगे. वैसे यहाँ एक बात और बताना चाहूंगा की साफ़-सफाई और सुविधा की दृष्टि से होटल में कोई कमी नहीं थी, कार पार्किंग के अलावा अलमारी, सोफ़ा, एक्स्ट्रा पलंग, कलर टीवी, एयर कंडीशनर, संलग्नित बाथरूम, फ़ोन व् फ्री वाईफाई जैसे तमाम विकल्प मौजूद थे.
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