02 Feb

इन्दौर – पैदल स्थानीय भ्रमण!

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संभवतः तीसरी मंजिल पर जाकर एक ओर खेल कूद की दुकानें और दूसरी ओर खाने पीने के रेस्तरां दिखाई दिये। जेब में हाथ मार कर देखा तो पता चला कि मेरे सारे पैसे तो होटल में ही छूट गये हैं। अब दोबारा किसी भी हालत में होटल जाने और वापिस आने का मूड नहीं था। पैंट की, शर्ट की जेब बार – बार देखी पर एटीएम कार्ड के अतिरिक्त कुछ नहीं मिला। कैमरे के बैग की एक जेब में हाथ घुसाया तो मुड़ा तुड़ा सा १०० रुपये का एक नोट हाथ में आ गया। उस समय मुझे ये १०० रुपये इतने कीमती दिखाई दिये कि बस, क्या बताऊं ! छोले भटूरे का जुगाड़ तो हो ही सकता था। वही खा कर मॉल से बाहर निकल आया। सोचा इस बार सड़क के दूसरे वाले फुटपाथ से वापस होटल तक जाया जाये। सड़क का डिवाइडर पार कर उधर पहुंचा तो एक छोटा सा अष्टकोणीय (या शायद षट्‌कोणीय रहा होगा) भवन दिखाई दिया जिसकी छत पर एक स्तंभ भी था। सभी दीवारों पर जैन धर्म से संबंधित आकृतियां उकेरी गई थीं। यह जैनियों की किसी संस्था का कार्यालय था, जिसमें छोटे-छोटे दो कमरे बैंकों ने एटीएम के लिये किराये पर भी लिये हुए थे। एटीएम देख कर मेरी जान में जान आई और मैने तुरन्त कुछ पैसे निकाल लिये क्योंकि मेरी जेब में अब सिर्फ १० रुपये का ही एक नोट बाकी था।

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इन्दौर पहुंच गये हम!

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खाना खाने के बाद मैने तो लंबी तान ली और ये तीनों महिलाएं न जाने क्या – क्या गपशप करती रहीं। राजा की मंडी (आगरा) स्टेशन आया तो अपने घुमक्कड़ भाई रितेश गुप्ता की याद आई। उनसे सच्ची-मुच्ची वाली मुलाकात तो आज तक नहीं हो पाई पर फेसबुक पर गप-शप अक्सर ही होती रहती है। मैने उनको इस ट्रेन से जाने के बारे में सूचना नहीं दी हुई थी पर फिर भी न जाने किस आशा में, प्लेटफार्म पर उतरा, कुछ पल चहल-कदमी की और फिर वापिस ट्रेन में आ बैठा। बाहर अंधेरा होने लगा था और खिड़की से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, अतः सामने वालों पर ही ध्यान केन्द्रित किया। सोचा, बच्चों को कुछ ज्ञान की बातें बताई जायें। घुमक्कड़ का ज़िक्र शुरु कर दिया और बताया कि अगर उन्होंने वह वेबसाइट नहीं देखी तो समझो ज़िन्दगी में कुछ नहीं देखा। वहीं बैठे – बैठे रितेश, मनु, जाट देवता, डी.एल. अमितव, नन्दन, मुकेश-कविता भालसे, प्रवीण वाधवा आदि-आदि सब का परिचय दे डाला। रेलवे को भी कोसा कि लैपटॉप नहीं चल पा रहा है, वरना उनको घुमक्कड़ साइट भी दिखा डालता।

रात हुई, खाना खाया, कुछ देर किताब पढ़ी, फिर सामान को ठीक से लॉक करके और कैमरे वाले बैग को अपनी छाती से लगा कर सो गया। ग्वालियर में उतर कर अंधेरे में अपने मोबाइल से एक-दो फोटो खींचने का भी प्रयत्न किया पर कुछ बात कुछ बनी नहीं। सुबह पांच बजे आंख खुली और ट्रेन लगभग 7 बजे इन्दौर स्टेशन पर आ पहुंची।

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Chennai Wildlife

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2. Chennai Snake Park: The Chennai Snake Park Trust is a not-for-profit NGO constituted in 1972 by herpetologist Romulus Whitaker and is India’s first reptile park. Located on the former home of the Madras Crocodile Bank Trust, the park is home to a wide range of snakes such as adders, pythons, vipers, cobras and other reptiles. The park gained statutory recognition as a medium zoo from the Central Zoo Authority in 1995.

Chennai Snake Park is next to the Guindy National Park .It is located on Sardar Patel road in Guindy OR the best landmark for this park is that it is just next to IIT Madras. This is one of the eco friendly and environment friendly biological parks that attract many tourists. This park is highly recommended from my side to visit. I always find this park interesting.

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Wildlife encounters- Visit to the Sariska Tiger Reserve, Rajasthan

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The roads are quite narrow and at some stretches only one vehicle can pass thus it is advisable to be quite vigilant and drive safely. The villagers alongside are quite eager to help all through. Just at the end of one of the forks one can see a narrow road leading to Bhim ki dungari and the other towards Jain nashea. taking the left road ends on the red sandstone gate leading to the majestic Jain temple. The view of the main temple is quite soothing standing tall against the backdrop of the setting sun straining through the dark clouds. Just to the left of the road leading to the Jain temple is the Mughal era structure which is believed to be emperor Akhbar’s place of rest during his long hunting expeditions

Coming back towards the fork leads one to Bhim ki dungari. The story dates back to Mahabharat times when the Pandavas were sent to exile and had to live with hidden identities or “agyaatvaas”. The caves were abodes of the Pandavas then. It is believed Bhim stamped his foot on the ground to bring forth a stream of water to quench the thirst of his brothers and wife.

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माता वैष्णोदेवी यात्रा भाग – ७ ( जम्मू – JAMMU – २)

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रघुनाथ मंदिर जम्मू और कश्मीर राज्य के जम्मू शहर के मध्य में स्थित है। यह मंदिर जम्मू कि पहचान हैं.यह मन्दिर आकर्षक कलात्मकता का विशिष्ट उदाहरण है। रघुनाथ मंदिर भगवान राम को समर्पित है। यह मंदिर उत्तर भारत के सबसे प्रमुख एवं अनोखे मंदिरों में से एक है। इस मंदिर को सन् 1835 में इसे महाराज गुलाब सिंह ने बनवाना शुरू किया पर निर्माण की समाप्ति राजा रणजीत सिंह के काल में हुई। मंदिर के भीतर की दीवारों पर तीन तरफ से सोने की परत चढ़ी हुई है।

इसके अलावा मंदिर के चारों ओर कई मंदिर स्थित है जिनका सम्बन्ध रामायण काल के देवी-देवताओं से हैं। रघुनाथ मन्दिर में की गई नक़्क़ाशी को देख कर पर्यटक एक अद्भुत सम्मोहन में बंध कर मन्त्र-मुग्ध से हो जाते हैं।यह कहा जाता हैं कि मंदिर में तैंतीस करोड देवी देवताओं कि स्थापना हैं.  मंदिर का मैं केवल बाहर से ही चित्र दे पा रहा हूँ. अंदर के फोटो लेना वर्जित हैं.

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Qila Rai Pithora – the First City of Delhi

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Delhi’s history goes back possibly to the times of the old village of Indrapat in and around Purana Qila. Other villages of that time were Sonepat, Panipat, Baghpat and Tilpat. Indrapat is the site of Indraprastha, the mythological capital of Pandavas believed to be buried in the area where Humayun built Purana Qila.

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जिम कॉर्बेट का जंगल, बाघ और हम – २

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वापिस गेट पर परमिट दिखाया तो वहा के एक गार्ड ने नम्रता से बोला कि सर गलती से गेस्ट हाउस पर आपसे छ चाय के पैसे नहीं लिए तो हमने वो पैसे उनको दिए और गेट के बाहर आ गए। रास्ते मे मोनू त्यागी को उसके होटल पर उतारा और दिल्ली की सड़क पकड़ ली। गेट से बाहर निकलते ही मैंने अपनी धर्मपत्नी को फ़ोन लगाया और अपनी समस्या बताई लेकिन वो नाराज थी ऊपर से मेरा चार साल का भतीजा जो बार बार उनको डरा रहा था कि चाचा जंगल गए है उनको शेर खा गया होगा।

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जिम कॉर्बेट का जंगल , बाघ और हम

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महावत बोल, साहब वो शेर है, वो डरता नहीं है, यही कही झाड़ियो मे होगा, किस्मत हुई तो फिर दिख जाएगा आप कैमरे हाथ मे रखिये, तब हमें होश आया की फोटो लिए या नहीं, उस वक्त कैमरा मनोज के पास था हम सभी उसके पीछे पड़ गए की उसने फोटो क्यों नहीं लिए, वो बोला, शुक्र मनाओ कि मैंने कैमरा नीचे नहीं फेक दिया, वहां अपना होश नहीं था और आप लोगो को फोटो की पड़ी है।

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अन्नू भाई चला चकराता …पम्म…पम्म…पम्म (भाग- 3 ) टाइगर फाल (TIGER FALL)

अन्नू भाई चला चकराता …पम्म…पम्म…पम्म (भाग- 3 ) टाइगर फाल (TIGER FALL)

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बिलकुल थोडा सा आगे जाते ही मन एक दम खुश हो गया होता भी क्यूँ नहीं …हम एक बेहद ही खुबसूरत सफ़ेद झरने का कुछ  हिस्सा जो देख रहे थे। मन एक दम लालयित हो उठा चलो जल्दी …अरे पर जल्दी तो चले लेकिन चले कहाँ से सामने तो दोनों पहांड़ी नदिया मिल रही रास्ता कुछ दिख नहीं रहा था। एक बार लगता के इन्ही नदी में पड़े पत्थरों से होकर जाना होगा। लेकिन २ दिन पहले से बंद हुयी बारिश अब तक हमें इसी और खड़े रहने का इशारा कर रही थी।

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Boomro Boomro, Shyam Rang Boomro… (Meri Kashmir Yatra – Part 3)

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The scene was just marvelous and my thought was …. YE KAHAN AA GAYE HUM….. We see pictures of the lake in the news papers or sometimes in television but can not gauge the extent of this lake from those visuals, this is what I think as the mighty DAL which was in front of me had rows and rows of houseboats parked in it . THE HOUSEBOATS WITH EXOTIC NAMES APPEARED TO BE LIFELINE OF THIS LAKE. (Char Chinar, Dreamland, Kashmiri beauty, Gulistan, Gul Gulshan Gulfam and numerous other names ….).

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नन्हे शिवम की ओंकार परिक्रमा………..

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साथियों, इस श्रंखला की पिछली पोस्ट में मैने आप लोगों को हमारे ओंकारेश्वर टूर के बारे में बताया था, करीब सात बजे हम लोग…

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