
à¤à¤¾à¤—8: रà¥à¤®à¥à¤¤à¥à¤¸à¥‡ (Rumtse) – कोकसर – मणिकरण – सà¥à¤‚दरनगर – नॉà¤à¤¡à¤¾…………… 16/17/18-सितमà¥à¤¬à¤°
अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ 8:00 बजे घर की तरफ दौड़ पड़े। शाम 7 बजे राहà¥à¤² को घर छोड़ा और यहीं पर सबने अंकल का हिसाब-किताब à¤à¥€ दे दिया। वैसे तो अंकल के 2000/- पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ के हिसाब से 20000 रà¥à¤ªà¤¯à¤¾ बनता था लेकिन अंकल ने गाड़ी की इंजन पैकिंग की मरमà¥à¤®à¤¤ के लिठ2000 रà¥à¤ªà¤¯à¤¾ à¤à¤¡à¤µà¤¾à¤‚स ले लिया था, वो कट कर उनको 18000 रà¥à¤ªà¤¯à¤¾ पकड़ा दिया। वो बहà¥à¤¤ खà¥à¤¶ हà¥à¤à¥¤ अंकल ने आखिर मे कह डाला कि “आप लोगों की बदौलत मे à¤à¥€ लदà¥à¤¦à¤¾à¤– देख आया हूà¤à¥¤ अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ जिनà¥à¤¦à¤—ी मे कà¤à¥€ जाने का मौका नहीं मिलता”। राहà¥à¤² को अलविदा कर दिया। हम सब लोग थोडा इमोशनल हो गठथे। 10 दिन à¤à¤• साथ à¤à¤¸à¥‡ सफ़र पर रहने से और à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ पर बिना संदेह à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ करने से दिल के तार जà¥à¥œ ही जाते हैं। यहाठसे अंकल ने मà¥à¤à¥‡ घर छोड़ा। यहाठसे हरी और मनोज को वो दिलà¥à¤²à¥€ à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ छोड़ने निकल पड़े। अगली सà¥à¤¬à¤¹ हरी और मनोज का कॉल आया की वो सकà¥à¤¶à¤² पहà¥à¤à¤š गठथे।
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