
रहसà¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€ नगरी – मांडू
अलà¥à¤Ÿà¥€à¤®à¥‡à¤Ÿà¤²à¥€ हम उस à¤à¥€à¤®à¤•ाय à¤à¤µà¤¨ के निकट जा पहà¥à¤‚चे जो दूर से à¤à¤• छोटा सा बà¥à¤°à¥à¤œ महसूस हो रहा था। वहां लिखा था – रानी रूपमती का महल ! वहां हमने थोड़ी देर तक इमली वाले ठेले पर इमली के रेट को लेकर बहस की। ये मांडू की विशेष इमली थी जिसके बारे में मà¥à¤•ेश ने बताया कि ये सिरà¥à¤« यहां मांडू की जलवायॠका ही पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª है कि यहां ये इमली उगती है। मैं अपने जनà¥à¤® से लेकर आज तक इमली के नाम पर अपने परचून वाले की दà¥à¤•ान पर जो इमली देखता आया हूं, वह तो छोटे – छोटे बीज होते हैं जिनके ऊपर कोकाकोला रंग की खटास चिपकी हà¥à¤ˆ होती है और बीज आपस में à¤à¤• दूसरे से पेपà¥à¤¸à¥€ कलर के धागों से जà¥à¥œà¥‡ रहते हैं। वह ये तो इमली के फल थे जिनके à¤à¥€à¤¤à¤° बीज होने अपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ थे। बाहर से इस फल पर इतने सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° रोयें थे कि बस, कà¥à¤¯à¤¾ बताऊं = à¤à¤•दम सॉफà¥à¤Ÿ à¤à¤‚ड सिलà¥à¤•ी ! दूर से देखो तो आपको लगेगा कि शायद बेल बिक रही है, पर पास जाकर देखें तो पता चलता है कि इमली के फल की शकà¥à¤²-सूरत बेल के फल से कà¥à¤› à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ है और साथ में रोयें à¤à¥€ हैं! जब रेट को लेकर सौदा नहीं पटा तो हम टिकट लेकर रानी रूपमती के महल या मंडप की ओर बॠचले जो नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी से 305 मीटर की ऊंचाई पर à¤à¤• पहाड़ी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। यह मà¥à¤à¥‡ किसी à¤à¥€ à¤à¤‚गिल से महल या मंडप अनà¥à¤à¤µ नहीं हà¥à¤†à¥¤ अब जैसा कि पà¥à¤¨à¥‡ को मिला है, ये मूलतः सेना के उपयोग में आने वाली à¤à¤• मचान हà¥à¤† करती थी जिसमें मधà¥à¤¯ में à¤à¤• बड़ा परनà¥à¤¤à¥ नीची छत वाला हॉल व उसके दोनों ओर दो कमरे थे। पर बाद में उसमें विसà¥à¤¤à¤¾à¤° करके ऊपर बà¥à¤°à¥à¤œ व दो गà¥à¤‚बद बनाये गये। ये बà¥à¤°à¥à¤œ वासà¥à¤¤à¤µ में आकरà¥à¤·à¤• पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होती है। ये सब काम सिरà¥à¤« इसलिये कराने पड़े थे चूंकि रानी रूपमती को नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी के दरà¥à¤¶à¤¨ किये बिना खाना नहीं खाना होता था, अतः वह यहां से ३०५ मीटर नीचे घाटी में à¤à¤• चांदी की लकीर सी नज़र आने वाली नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ की धारा को देख कर संतोष कर लिया करती थीं और à¤à¤¤à¤¦à¤°à¥à¤¥ नितà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ यहां आया करती थीं। इसी कारण बाज़ बहादà¥à¤° ने इसमें कà¥à¤› परिवरà¥à¤¤à¤¨ कराकर इसे इस योगà¥à¤¯ कर दिया कि जब रूपमती यहां आयें तो वह रानी से कà¥à¤› अचà¥à¤›à¥‡ – अचà¥à¤›à¥‡ गानों की फरमाइश कर सकें और चैन से सà¥à¤¨ सकें। जैसा कि आज कल के लड़के – लड़कियां मंदिर में जाते हैं तो à¤à¤—वान के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के अलावा à¤à¤• दूसरे के à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ की अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ लेकर जाते हैं, à¤à¤¸à¥‡ ही रानी रूपमती और बाज बहादà¥à¤° à¤à¥€ यहां आकर पà¥à¤°à¤£à¤¯ – पà¥à¤°à¤¸à¤‚गों को परवान चà¥à¤¾à¤¤à¥‡ थे। खैर जी, हमें कà¥à¤¯à¤¾!
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