यहाठपर बहà¥à¤¤ से सरकारी दफà¥à¤¤à¤° और सेवाà¤à¤ है। à¤à¤• बड़ा बाज़ार और सड़क से दाà¤à¤‚ ओर नीचे बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड à¤à¥€ है। यहाठपर रà¥à¤•ने का पूरा इंतजाम है कई रेसà¥à¤Ÿ हाउस, सरकारी बंगलो और होटल à¤à¥€ है। केलोंग मे गाड़ी का हवा-पानी टिप-टॉप करने के बाद हम बिना रà¥à¤•े “जिसà¥à¤ªà¤¾”, “दारà¥à¤š” होते हà¥à¤ “zingzingbar” पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ à¤à¤• बात बता दूं की “zingzingbar” मे à¤à¥€ रात को रà¥à¤•ने का इंतजाम है। अà¤à¥€ दोपहर का समय था तो हमने रà¥à¤•ना ठीक नहीं समà¤à¤¾à¥¤ ये हमारी बहà¥à¤¤ बड़ी à¤à¥‚ल थी। इसका ज़िकà¥à¤° आगे चल कर दूंगा। “zingzingbar” से आगे खड़ी चढाई पार करने के बाद हमने “बारालाचा ला दरà¥à¤°à¤¾” दरà¥à¤°à¤¾ पार कर लिया था। इस दरà¥à¤°à¥‡ की ऊंचाई 5030 मीटर या 16500 फीट है। यहाठसे लगातार उतरने के बाद हम लोग “à¤à¤°à¤¤à¤ªà¥à¤°” होते हà¥à¤ “सारà¥à¤šà¥‚” पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤
“सारà¥à¤šà¥‚” मे हिमाचल पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की सीमा समापà¥à¤¤ हो जाती है और जमà¥à¤®à¥‚-कशà¥à¤®à¥€à¤° की लादà¥à¤¦à¥à¤–ी सीमा शà¥à¤°à¥‚ हो जाती है। यहाठपर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना का बेस कैंप है और à¤à¤• पà¥à¤²à¤¿à¤¸ चेक पोसà¥à¤Ÿ à¤à¥€ है। चेक पोसà¥à¤Ÿ पर गाड़ी सड़क के किनारे रोक दी गई। हमारा परमिट चेक किया और रजिसà¥à¤Ÿà¤° मे दरà¥à¤œ कर लिया गया। “सारà¥à¤šà¥‚” मे सड़क à¤à¤• दम सीधी है और गाड़ी की रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° आराम से 100-120km/h तक पहà¥à¤à¤š जाती है। यहाठपर गाड़ियाठफरà¥à¤°à¤¾à¤Ÿà¥‡ से दौड़ रहीं थी। तà¤à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ देखा à¤à¤• फिरंगी महिला साइकिल(आजकल तो bike बोलते हैं) पर सवार होते हà¥à¤ चली आ रही थी। मà¥à¤à¥‡ सड़क पर लेटा हà¥à¤† देख वो साइकिल से नीचे उतर गई और पैदल चलने लगी।
हम सब उसको देख कर हैरान हो गà¤à¥¤ शायद हरी ने उससे पà¥à¤›à¤¾ की अकेले जा रही हो तो risk है। उसने बताया की उसके साथ के और लोग à¤à¥€ पीछे आ रहे हैं। वो और उसके साथी मनाली से लेह साइकिल से ही जाने वाले थे। और उसको आज “सारà¥à¤šà¥‚” मे ही रà¥à¤•ना था। इतने दà¥à¤°à¥à¤—म, पथरीले, टूटे-फूटे, चढाई-उतराई, अनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤à¤¾à¤“ से à¤à¤°à¤ªà¥‚र इलाके मे जहाठ2.6L की Xylo का à¤à¥€ दम निकल जाता था ये फिरंगी इसको साइकिल से ही पार करने वाले थे। इनके जज़à¥à¤¬à¥‡ और हिमà¥à¤®à¤¤ की तारीफ़ की गई और इनको सलाम बोल कर à¤à¥‹à¤œà¤¨ की तलाश मे चल दिà¤à¥¤
ठीक से याद नहीं है पर दोपहर के करीब 3 बज रहे थे और à¤à¥‚ख लग चà¥à¤•ी थी। यह जगह à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़े समतल मैदान जैसी है। यहाठपर à¤à¥€ रà¥à¤•ने के लिठबहà¥à¤¤ सारे टेंट लगे हà¥à¤ थे। ये सब देख कर समठआ गया था की यहाठके लोग काफी मेहनती है। साल के 6 महीने ही मनाली-लेह हाईवे खà¥à¤²à¤¤à¤¾ है। इनà¥à¤¹à¥€ 6 महीनों मे इनकी कमाई होती है और बाकि के 6 महीने तो बरà¥à¤« पड़ी रहती है। यहाठपर लगे à¤à¤• टेंट खाने का इंतजाम था। हमसे पहले और लोग à¤à¥€ थे तो हमको 10-15 मिनट बाद का टाइम दे दिया गया। इस टाइम का हमने पूरा उपयोग करके फोटो session कर डाला। “सारà¥à¤šà¥‚” मे ली गई कà¥à¤› फोटो। जानकारी के लिठबता दूठयहाठपर ली गई सारी फोटो मैंने नहीं बलà¥à¤•ि मनोज, हरी और राहà¥à¤² ने खीचीं हैं।
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