गढ़वाल घुमक्कड़ी: भविष्य बद्री

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देवभूमि गढ़वाल के कुछ छिपे हुए रत्नों को तलाशती तीन दोस्तों की कभी ना भुला पाने वाली रोमांचक घुमक्कड़ी की दास्तान…जिसमे हमने कुछ बेहतरीन नज़ारे देखे, कुछ अनोखे और सोच बदलने वाले अनुभवों से गुजरे, कुछ खुबसूरत दोस्तों से मिले, कुछ बेहतरीन ठिकानों पर रात गुजारी और बहुत कुछ सीखने को मिला…

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Exploring Udaipur City Palace

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आगे बढ़े तो छत से झांकने पर एक और प्रांगण दिखाई दिया। बताया गया कि यहां रवीना टंडन की शादी हुई थी। जरूर हुई होगी, हमें तो निमंत्रण मिला नहीं था शादी का, हमारी बला से! सच पूछो तो रवीना शादीशुदा है या कुंवारी है – हमें इसमें भी कोई रुचि नहीं है। हमारे लिये तो हमारी अपनी श्रीमती जी ही रवीना, ऐश्वर्या, माधुरी, सीता, सावित्री, गार्गी, विद्योत्तमा, तिलोत्तमा सब कुछ हैं। (यह लाइन मैने उनको पढ़वाने के लिये ही लिखी है!)

सिटी पैलेस को समझना हो तो आप कुछ कुछ यूं समझें कि ये एक लंबाई में बनाया हुआ महल-कम-दुर्ग-कम-होटल-कम-संग्रहालय है। अगर आप 49,999 रुपये तथा उस पर विलासिता कर यानि luxury tax और VAT दे सकते हैं तो आप फतेह प्रकाश पैलेस या शिव सागर पैलेस होटल में से किसी एक होटल में एक रात रुक भी सकते हैं। अगर आप सोनिया गांधी के दामाद हैं और रातोंरात अरबपति बन चुके हैं तो आप अपने बच्चों का विवाह भी इन HRH Heritage hotels में से किसी एक में आयोजित कर सकते हैं। पर अगर आप 30 रुपये में सिटी पैलेस म्यूज़ियम देखने आये हैं तो आप शानदार हवेलियां देखिये, कमरों में सजाये हुए पंखे, बिस्तरे, मूढ़े आदि देखिये, अद्‍भुत वास्तुकला देखिये, अंग्रेज़ पर्यटकों को निहारिये, 200 रुपये कैमरे के लिये देकर फोटो वगैरा खींचिये और संकरी गली से बाहर निकल लीजिये।

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Back to Udaipur-LokKala Mandal and Shilpgram

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शिल्पग्राम से हम बाहर निकले तो बाबू ने पास में ही, न जाने किस पार्क में गाड़ी ले जाकर खड़ी कर दी। बीच में एक फव्वारा, अच्छा हरा – भरा लॉन, अच्छे – अच्छे चेहरे थकान मिटाने के लिये काफी उपयुक्त सिद्ध हुए। घास पर लेटे रहे, कोल्ड-ड्रिंक पीते हुए चिप्स खाते खाते घंटा भर वहीं बिताया। जब सूर्यास्त हो गया तो महिलाओं को फिर हुड़क उठी कि बाज़ार चलते हैं। बाबू कुछ एंपोरियम में ले कर गया पर हम हर जगह यही शक करते रहे कि पता नहीं, कैसा सामान होगा, पता नहीं कितना महंगा बता रहे होंगे। मैने एक बार भी श्रीमती जी को जिद नहीं की कि ये सामान अच्छा है, खरीद लो! हम लोगों ने पहले ही तय कर रखा था कि यदि हम में से कोई कुछ खरीदना चाहेगा और दूसरा मना कर देगा तो वह चीज़ नहीं खरीदी जायेगी। इसके बाद पुनः हाथी पोल आये और श्रीमती जी ने दो जयपुरी रजाइयां खरीद ही डालीं जो वज़न में बहुत हल्की थीं और पैक होने के बाद उनका आकार भी बहुत कम रह गया था !

खाना पुनः बावर्ची में ही खा कर हम वापिस होटल वंडरव्यू पैलेस में पहुंच गये जहां हमारे नाम के दोनों कमरे बुक थे। अगला दिन हमने तय कर रखा था – सिटी पैलेस, बागौर की हवेली, नेहरू पार्क, और नाथद्वारा मंदिर देखने के लिये।

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मनमोहक मसूरी

मनमोहक मसूरी

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मसूरी, एक ऐसा पर्यटन स्थल है जहां अधिकतर पर्यटन प्रेमी अपने जीवन में कम से कम एक बार तो अवश्य ही जा चुके हैं।…

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Ghumakkar Editorial Monthly Digest – December 2012

Ghumakkar Editorial Monthly Digest – December 2012

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RRG is an avid biker who adores his marvelous bike ; for him riding gives more pleasure than probably anything else in the world! Or should we humbly say, he is definitely head-over-heels in love with his bike and is ready to go anywhere across the globe on it? Well well…This amazing equation between man and his magnificent machine has produced brilliant motorcycle Diaries which we have not only read, but have loved it too!

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A DAY AT MUNNAR – CONFLUENCE OF THREE RIVER

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After an hour or so we reached at our Friend Parent’s house at Kothamangalam (Town in the foothills of Western Ghat mountain range) where we were warmly welcomed by her family. We were offered the wonderful , delicious mouth-watering Kerala Breakfast Appam (Pancake made of Rice and Coconut) and Stew ( a dish made with potatoes, onions, vegetables & coconut milk).After finishing our breakfast we had again started our onwards journey towards the Tea plantation estate Munnar.

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वाराणसी के घाट एवं गंगा आरती

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साथियों, पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा काशी/वाराणसी/बनारस में हमने करीब ढाई दिन बिताया था। काशी में हमारा पहला दिन दशहरे का दिन था और…

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Solo Bike Trip to Deoriatal in Uttrakhand

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after this again i started journey soon i reached saari village which is the base camp for Deorital.here i got warm welcome from a person his name is rakesh singh negi owner of Rakesh tourist lodge saari village.even all people of saari village were very humble and nice all have praised me that i came from delhi by bike.after taking tea .rakesh singh negi called his friend(surender singh)owner of dhaba at Deorital for my tent arrangements.he showed me  the way to reach deorital which is 2.5km from saari village.i just parked my bike ..here parking is totally safe.

from here real fun and enjoyment of loneliness started.only one song i listen repeatedly  during 1 hour trekking which was SHOW ME THE MEANING OF BEING LONELY..that song seems to be totally  inextricably linked to the surrounding  environment .deoriatal is 70 degree steep climb from saari village.

After 1 hrs of hiking i finally reached the Tal. i was  stunned and speechless on reaching the top. The snow-capped mountain peaks surrounded the Tal….it was awesome, there’s no word which I can describe its beauty.here i found everything what i wanted from  nature.

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Mount Abu Sight Seeing

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माउंट आबू भ्रमण के दौरान बहुत सारा समय हमने पीस पार्क में भी बिताया था। वहां घुसते ही सबसे पहले हमें ब्रह्माकुमारी वालों ने एक वीडियो दिखाया जिसका सार ये था कि ज़िन्दगी मिलेगी दोबारा – दोबारा अगर तुम नहीं करोगे अज्ञान से किनारा ! अज्ञान का अर्थ है – खुद को और इस शरीर को एकाकार समझ लेना। इस वीडियो के अनुसार हम आत्मा हैं जो इस शरीर के अन्दर, दोनों नेत्रों के मध्य भाग में, यानि भृकुटि में रहते हैं। हम यानि आत्मा, इस शरीर रूपी गाड़ी के ड्राइवर हैं। हम सब आत्मायें परमपिता परमात्मा के प्यारे बच्चे हैं, उनके अंश हैं। हम निरंतर यह स्मृति बनाये रखें कि हमारा और हमारे परमपिता परमात्मा का बाप-बेटे का नाता है तो हमें उनसे ऐसे ही स्नेह भाव उपजेगा जैसे किसी युवक को किसी अनजानी युवती से सगाई हो जाने के बाद उससे स्नेह उपजने लगता है। उसे कहना नहीं पड़ता कि भाई, कभी टाइम निकाल कर अपनी मंगेतर को भी याद कर लिया कर! वह खाते-पीते, सोते-जागते, उठते-बैठते हर समय अपनी मंगेतर को ही याद करता रहता है, उससे मिलने के ख्वाब देखा करता है। आजकल के लड़के तो मोबाइल में couple plan ले लेते हैं ताकि चौबीसों घंटे हॉटलाइन से जुड़े रहें। ठीक वैसे ही हमें यदि परमपिता परमात्मा से अपने संबंध का ज्ञान हो जाये तो हम हर समय उनकी स्मृति में ही रहेंगे। यह तब होगा जब हम सदैव यह याद करेंगे कि हम यह शरीर नहीं हैं बल्कि इस शरीर को संचालित करने वाली आत्मा हैं। हम सब विस्मृति की शिकार आत्मायें हैं जो यहां – वहां सुख की लालसा में भटकती रहती हैं जबकि वास्तविक सुख परमपिता परमात्मा से मिलन में है जो हम योग लगा कर किसी भी समय अनुभव कर सकते हैं । उसके लिये मरना कतई जरूरी नहीं है।

गुरु शिखर और अचलगढ़ नाम की दो पर्वत चोटियों के मध्य स्थित विशाल परिसर में विकसित इस पीस पार्क में न केवल अत्यन्त सुन्दर उद्यान हैं, रोज़ गार्डन हैं, झूले हैं, रॉक गार्डन है, पिकनिक के लिये और खेल कूद के लिये मैदान हैं बल्कि सबसे आनन्द दायक बात ये है कि इस पीस पार्क का प्रबंध अत्यन्त कुशल और सेवाभावी व्यक्तियों के हाथों में है। ब्रह्माकुमारी केन्द्र यानि मधुबन, ज्ञान सरोवर और शान्तिवन में तीन या अधिक दिनों के लिये नियमित रूप से शिविर लगते रहते हैं और एक दिन प्रशिक्षुओं को घुमाने के लिये भी नियत रहता है। पीस पार्क में भी वे कुछ घंटे बिताते हैं, यहां उनके लिये खेल-कूद व खाने-पीने की भी व्यवस्था की जाती है। ऐसे ही एक अवसर के चित्र यहां लगा रहा हूं।

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The Amazing Story of Lucknow’s Bada Imambada

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Despite the continuous building and breaking, the Bada Imambada turned out to be magnificient. It rivalled the Moghul architecture. No iron or cement has been used in the building. The imambada boasts of one of the largest arched structure with no supporting beams. Under this vaulted chamber lies the simple grave of the Nawab.The grave of the architect also lies in the main hall. Asafuddaulah was truly generous and class blind.

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Southampton & Stonehenge

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Southampton is a small city…very quiet, beautiful and attractive. There is nothing much to see in Southampton, but the Titanic Museum and remains of old Southampton fort. Next day we started our exploration of Southampton. We went to the market and saw the gate of Southampton Fort. In WWII, SH was completely destroyed and it was re-built. The pier from which Titanic sailed, was also destroyed and there stands the new port.

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उज्जैन यात्रा

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अपने प्रसाद पुष्प जल को आरती के समय अपने पास ही रखे कई बार लोग पंडित और पुलिस वालो के कहने पे बहार ही चदा देते है ! हमसे भी यही गलती हुई थी लेकिन आप लोगो को सचेत करना जरुरी समझता हु !

बाबा के दर्शन करने के लिए सिर्फ २-३ मिनिट का समय मिलता है ! बाबा के दर्शन के बाद आप मंदिर के अन्दर ही बने कई और मंदिरों के दर्शन अवस्य करे ! और जिस प्रकार वैष्णु माता के लंगर में प्रसाद मिलता है उसी प्रकार महाकाल के मंदिर में भी प्रसाद के लिए एक टोकन मंदिर के अन्दर ही मिलता है एक सदस्य को सिर्फ एक टोकन ,बाबा का प्रसाद इतना स्वादिस्ट और लाजवाब होता है की बस पूछिए ही मत ! और वयवस्था तो इतनी शानदार है की तारीफे काबिल है टोकन ११ बजे से रात ८ बजे तक ही मिलता है प्रसाद में कभी रोटी ,कढी,चावल,सब्जी, मीठे चावल आदि !

मैं आप लोगो से स्पेसल आग्रह करना चाहूँगा की एक बार बाबा का प्रसाद अवस्य ग्रहण करे !

बाबा के दर्शन के बाद हम लोगो ने उज्जैन के दर्शनीय स्थलों को देखने का फैसला किया उसके लिए यहाँ कई साधन है जैसे की ऑटो , बस, वाहिनी, वेन आदि अपनी सुविधा के हिसाब से आप इनमे से कोई एक बुक कर सकते है ऑटो आपको ३०० रुपे में बुक हो जायेगा और वाहिनी और वन तक़रीबन ७०० रुपे लेंगे और बस ५० पर सवारी|

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