
यादगार सफर चकराता का – 2
सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ सब उठगठऔर दूर पहाड़ियों से सूरज देवता के दरà¥à¤¶à¤¨ करने लगे, सचमà¥à¤š बड़ा ही मनà¤à¤¾à¤µà¤¨ नज़ारा था। नहा धोकर हमने होटल वाले से आस पास की जगहो के बारे मैं पूछा तो कà¥à¤› ढंग का नहीं लगा तो सबने विचार किया के चलो मसूरी चलते हैं, आज रात वहीं रà¥à¤•ेंगे। इसके बाद सबने नाशà¥à¤¤à¤¾ कर के थोड़ी बहà¥à¤¤ फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ करने के बाद पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ कर दिया। अब हम लोगों की मंज़िल थी यमà¥à¤¨à¤¾ पल और केंपटी फॉल, पहले ही इरादा कर लिया था की टाईगर फॉल का बदला केंपटी फॉल मैं लेंगे। नाशà¥à¤¤à¤¾ करके तो चले ही थे इसलिठकहीं रà¥à¤•े नहीं॥ रà¥à¤•े सीधा यमà¥à¤¨à¤¾ पल जाकर जब सबको जोरों से à¤à¥‚क की तलब लगी। यमà¥à¤¨à¤¾ पल को पार करते ही किनारे पर दाहिने हाथ पर à¤à¤• छोटी सी दà¥à¤•ान हैं खाने के बारे मैं यूहीं पूछ लिया तो पता चला के खाना à¤à¥€ मिल जाà¤à¤—ा॥ अब सबको à¤à¥‚ख à¤à¥€ ज़ोरों से लगी थी इसलिठमांगा लिया। खाने मैं थाली थी जिसमे दाल, चावल और गोà¤à¥€ की सबà¥à¤œà¥€ थी। और पूछने पर पता चला की मछà¥à¤²à¥€ की सबà¥à¤œà¥€ à¤à¥€ मिलेगी और वो à¤à¥€ ताज़ा। दà¥à¤•ान के मालिक ने बताया की सीज़न मैं यहाठपर काफी à¤à¥€à¤¡à¤¼ रहती हैं जिसकी वजह से बाकी दà¥à¤•ानें à¤à¥€ खà¥à¤²à¥€ रहती हैं, लेकिन अब सब बंद हैं शायद बाद मैं खà¥à¤² जाये |
वहाठपर शायद राफà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग à¤à¥€ होती होगी कà¥à¤¯à¥‚ंकी जगह जगह बोरà¥à¤¡ à¤à¥€ लगे हà¥à¤¯à¥‡ थे। खैर खाना खाया और जब दाम पूछे तो सब दंग रह गà¤à¥¤ à¤à¤• थाली का दाम था 20 रॠजिसमे दाल, चावल, गोà¤à¥€ की सबà¥à¤œà¥€ और 4 रोटी। और 1 पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ फिश करी सिरà¥à¤« 50 रॠकी कà¥à¤² मिलकर 200 -250 का खरà¥à¤šà¤¾ रहा होगा। जिसमे कोलà¥à¤¡ डà¥à¤°à¤¿à¤‚क और चिपà¥à¤¸ वागेरह à¤à¥€ थे। à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ खाना और इतने कम दाम में तो शायद हमने पूरे टूर में नहीं खाया। खाने वाले का शà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ अदा करके हम लोग मसूरी की तरफ वापस चल दिये॥ और पहाड़ों की सà¥à¤‚दरता के मज़े लेते रहे। शायद à¤à¤°à¥‡ पेट में वो जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अचà¥à¤›à¥‡ लग रहे थे। शाम करीब 3 बजे हम लोग केंपटी फॉल पहà¥à¤‚चे और बिना à¤à¤• पल गवाà¤à¤ दौड़ पड़े फॉल की तरफ, मैं तो अà¤à¥€ 10 दिन पहले à¤à¥€ आया था लेकिन तब फॉल में नहाया नहीं था इसीलिठमà¥à¤à¥‡ सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जलà¥à¤¦à¥€ थी। 2-3 घंटे तसलà¥à¤²à¥€ से हम सब à¤à¤°à¤¨à¥‡ का आनंद लेते रहे लेकिन जैसे ही शाम बढà¥à¤¨à¥‡ लगी हम लोग की ठिठà¥à¤°à¤¨ बदने लगी और à¤à¤• à¤à¤• करके सब बाहर आ गà¤à¥¥ अब दूसरा काम था मसूरी पहà¥à¤à¤šà¤•र à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ सा कमरा लेना और इस काम को सोनू बड़िया कर सकता था, कà¥à¤¯à¥‚ंकी वो à¤à¥€ 2-3 बार मसूरी आ चà¥à¤•ा था। मसूरी पहà¥à¤‚चर हमने “दीप होटल “ मैं à¤à¤• कमरा लिया। होटल काफी अचà¥à¤›à¤¾ था, साफ सूथरा और पारà¥à¤•िंग à¤à¥€ थी।
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