
रणकपà¥à¤° से कà¥à¤®à¥à¤à¤²à¤—ॠकी डायनामिक यातà¥à¤°à¤¾ – Ranakpur to Kumbhalgarh, a dynamic journey
सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® नंबर दो पर मैं रणकपà¥à¤° à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ का इंतज़ार कर रहा था जो समय से आधा घंट ही लेट थी (थैंक गॉड) | मेरे साथ कà¥à¤² 10 सहयातà¥à¤°à¥€ रहे होंगे जिसमे से à¤à¤• 4-5 सà¥à¤Ÿà¥‚डेंटà¥à¤¸ का गà¥à¤°à¥à¤ª था | मैं अकेला बैठसोच ही रहा था की किसी से कà¥à¤› वारà¥à¤¤à¤¾ वगैरह शà¥à¤°à¥‚ की जाये तो समय पास हो पर सामने के जीआरपी रूम के खà¥à¤²à¥‡ दरवाजे से à¤à¤• पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाले दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤• पतले दà¥à¤¬à¤²à¥‡ यà¥à¤µà¤• को पीटने की à¤à¤²à¤• मिली | अब किसी को टà¥à¤°à¥‡à¤¨ की फ़िकà¥à¤° नहीं रही और सà¤à¥€ लोग à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤‚गल बनाकर दृशà¥à¤¯ को देखने की कोशिश करने लगे |
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