पà¥à¤·à¥à¤•र à¤à¤• छोटा सा कसà¥à¤¬à¤¾ है जहां राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में होने की वजह से धूल ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है, हरियाली न के बराबर है और आबादी à¤à¥€ ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं है| जगह के बारे में किवदंती है कि बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ ने राधा कृषà¥à¤£ की à¤à¤²à¤• पाने के लियी साठहजार साल लंबी तपसà¥à¤¯à¤¾ की थी और ये जगह अपनी à¤à¥€à¤² या तालाब के लिठजानी जाती है| यहाठदेखने के लिठकई सारे मंदिर à¤à¥€ हैं जिनमें कि मेरी कà¥à¤› खास दिलचसà¥à¤ªà¥€ नहीं थी| पà¥à¤·à¥à¤•र पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के बाद होटल तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ में थोड़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल हà¥à¤¯à¥€, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पहले हमको किसी ने उलटा रासà¥à¤¤à¤¾ बता दिया और हम पà¥à¤·à¥à¤•र के बाहर ही चले गठलेकिन फिर किसी à¤à¥€ तरह से पूछपाछ के होटल तक पहà¥à¤‚चे| होटल तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ में शाम हो गयी थी और अंधेरा लगà¤à¤— होने लगा था| होटल अचà¥à¤›à¤¾ था, पीछे à¤à¤• पहाड़ी थी जिसको देखते ही मà¥à¤à¥‡ तो तà¥à¤°à¤‚त ही इस पर चढ़ने की तमनà¥à¤¨à¤¾ हो गयी |
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