Orissa

Along the long coastline of Orissa are pristine and quiet beaches at Puri, Chandipur and Gopalpur where the blue waters of the Bay of Bengal laps the edges. The state has low mountain ranges, waterfalls, hot sulphur springs and thick forests. Chilka Lake is a birdwatchers delight with migratory birds stopping over for the duration of winter and Bhubaneshwar, Konark and Puri are the three temple towns in the state.
Of all the places to see, Konark is famed for the magnificent stone chariot that is in the temple dedicated to the Sun God.
One can go on a tribal sightseeing tour or explore rock caves or soak away aches and pains in sulphur spring spas at Atri, Taptapani, Deulajhari and Tarabalo. Animal lovers have a wonderful opportunity to see the rare white tiger at Nandankanan Zoo and other wildlife at the Simlipal National Park and Bhitarkanika National Park. November to May is the best time to visit Orissa as the weather is pleasant and also the time when many festival celebrations take place. For those interested in outdoor activities and adventure tourism, Orissa has on offer angling at Chilka Lake, Kayaking and Canoeing at Dhabaleshwar and Barkul, Surfing and Sailing at Gopalpur Beach and Chandipur Beach and exotic treks like the Mahendragiri Trek, Gandhamardan Trek, and Nilagiri Trek in areas endowed with sparkling streams and lush undergrowth.
Bhubaneswar, the capital has a domestic airport and the city along with Behrampore is the railhead connected to major cities in the country. The city is also connected by road to Calcutta and Visakhapatnam in the neighbouring states.

गौरी से वो मुलाकात व इकाकुला का हसीन समुद्र तट !

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आज की इस कड़ी में आपकी मुलाकात कराएँगे गौरी और उसके एकाकी जीवन से। साथ ही ले चलेंगे आपको इकाकुला के खूबसूरत समुद्र तट पर। साथ ही होगी भितरकनिका से जुड़ी यात्रा संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारी।

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डाँगमाल के मैनग्रोव जंगलों के विचरण में बीती वो सुबह…..

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मैनग्रोव के जंगल दलदली और नमकीन पानी वाले दुष्कर इलाके में अपने आपको किस तरह पोषित पल्लवित करते हैं ये तथ्य भी बेहद दिलचस्प है। अपना भोजन बनाने के लिए मैनग्रोव को भी फ्री आक्सीजन एवम् खनिज लवणों की आवश्यकता होती है। चूंकि ये पानी में हमेशा डूबी दलदली जमीन में पलते हैं इसलिए इन्हें भूमि से ना तो आक्सीजन मिल पाती है और ना ही खनिज लवण। पर प्रकृति की लीला देखिए जो जड़े अन्य पौधों में जमीन की गहराइयों में भोजन बनाने के लिए फैल जाती हैं वही मैनग्रोव में ऊपर की ओर बरछी के आकार में बढ़ती हैं। इनकी ऊंचाई 30 सेमी से लेकर 3 मीटर तक हो सकती है। जड़ की बाहरी सतह में अनेक छिद्र बने होते हैं जो हवा से आक्सीजन लेते हैं और नमकीन जल में घुले सोडियम लवणों से मैनग्रोव को छुटकारा दिलाते हैं। मैनग्रोव की पत्तियों की संरचना भी ऍसी होती है जो सोडियम लवण रहित जल को जल्द ही वाष्पीकृत नहीं होने देती।

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नज़ारे भितरकनिका के : मैनग्रोव के जंगल, नौका विहार और पक्षियों की दुनिया !

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पेड़ की हर ऊँची शाख पर पक्षी यूँ बैठे थे मानों बाहरी आंगुतकों से जंगलवासियों को सचेत कर रहे हों। जंगलों के बीच ऐसी यात्रा करने में आपके पास अगर अच्छी जूम लेंस का कैमरा और उससे बेहतर SLR ना हो तो पक्षियों को पहचानने और कैमरे में क़ैद करना मुश्किल होता है क्यूँकि पास जाते वक़्त हलका सा खटका हुआ तो चिड़िया फुर्र।

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आइए चलें भुवनेश्वर से भितरकनिका के सफ़र पर…

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हमारा अगला पड़ाव राजनगर (Rajnagar) था जो कि भितरकनिका जाने का प्रवेशद्वार है। केन्द्रपाड़ा और राजनगर के बीच की दूरी करीब 70 किमी है। इन दोनों के बीच पतामुन्दई (Patamundai) का छोटा सा कस्बा आता है। ये पूरी सड़क एक लेन वाली है और फिर त्योहार की गहमागहमी अलग से थी इसलिए चाहकर भी अपने गंतव्य तक जल्दी नहीं पहुँचा जा सकता था। हर पाँच छः गाँवों को पार करते ही एक मेला नज़र आ जाता था। गाँव के मेलों की रौनक कुछ और ही होती है… थोड़ी सी जगह में तरह तरह की वस्तुएँ बेचते फुटकर विक्रेता और रंग बिरंगी पोशाकों में उमड़ा जन समुदाय जो शायद एक साल से इन मेलों की प्रतीक्षा में हो।

राँची और कटक की दुर्गापूजा से अलग जगह जगह दुर्गा के आलावा शिव पार्वती, लक्ष्मी और हनुमान जी की भी मूर्तियाँ मंडप में सजी दिखाई पड़ीं। बाद में पता चला कि इस इलाके का ये सबसे बड़ा त्योहार है और इसे यहाँ गजलक्ष्मी पूजा (Gajlakshmi Puja) कहा जाता है।

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The Puri Trip

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From the very first day in Puri, I was fascinated by each and every part of it and just want my that time to be rewinded. The fun part of Chilka visit consisted of boating ; the activity of which both my Dad and I were afraid. So we just roamed a little , took snaps and sat in the adjoining park while eating chips and feeding crumbs to crows. Also Dad bought 3 crabs weighing one kilo and gave them to the hotel chef to prepare for us. I was looking forward to my dinner that night more than I usually did. :D

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क्या आपके शहर के कार्यालयों की चारदीवारी इतनी सुंदर है ?

क्या आपके शहर के कार्यालयों की चारदीवारी इतनी सुंदर है ?

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भारतीय शहरों में आम तौर पर सरकारी चारदीवारियों को उनके अपने वास्तविक रंगों में कायम रख पाना एक टेढ़ी खीर है। राजनैतिक दलों के…

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