Religious

मणिकर्ण – प्रकृति की गोद में बसा एक सुरम्य तीर्थ स्थल

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पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा की मनाली के दर्शनीय स्थलों की सैर करने के बाद करीब आठ बजे हम लोग कैंप में पहुंचे, इस…

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Amarnath Yatra :: Pishutop, Zajipal & Nagakoti

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These Bhandars provide tea, snacks, breakfast and hot vegetarian foods to the pilgrims, free. They camp all major places on the way to the Holy Cave to serve hot foods to the pilgrims. A holly attempt, I must say, may be the path, to their belief, to receive grace and blessings of Lord Shiva. The holy songs of Lord Shiva in the tunes of most modern bollywood songs were playing in these Bhandaras and were lifting up the spirits of pilgrims.

Pilgrims, who climbed up on foot the first steep mountain ‘Pishu Top’, were standing exhausted there. But they had an aura of achievement too, the aura of victory over the first hurdle, ‘Pishu Top’ and for some of them it was no less than the climbing and conquering of Mount Everest. They were proud pilgrims, posing for snaps before and on the stone painted with welcoming message “Swagatam Pishutop”. They deserved that too, but for us who came here on horseback, it was not a party time yet!

We set off again and it was now an easy road along the East Liddar River. Soon we left behind the beautiful Pishutop, I looked back, may be for a last sight in my life. I was enjoying every bit of this route and realized beginning of the most beautiful journey of my life.

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बालटाल से पवित्र अमरनाथ गुफ़ा : श्रध्दा व श्रम का अनोखा संयोग (भाग 3)

बालटाल से पवित्र अमरनाथ गुफ़ा : श्रध्दा व श्रम का अनोखा संयोग (भाग 3)

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हम लोग सामान्य गति से चल रहे थे लेकिन धीरे -धीरे राजू और उसके परिवार की गति कम होने लगी. शुशील उनके साथ ही चल रहा था और मैं उनसे काफी आगे निकल आया था. दोमेल से 1.5 किलोमीटर आगे रेल पथरी नामक जगह पर दो भंडारे हैं। मैं वहांरुक कर उनकी प्रतीक्षा करने लगा और बीस मिनट बाद बाद वो भी पहुँच गए। चढ़ाई चढ़ते हुए लम्बा विश्राम करने से शरीर शिथिल हो जाता है और मुझे इससे परेशानी होती है। यहाँ भी ऐसा ही हुआ और मुझे लगा की अगर ऐसा ही चलता रहा तो शायद शाम तक ही गुफा पर पहुँच पाउँगा। मैंने उनसे कहा मैं आगे जा रहा हूँ तुम थोड़ा आराम करने के बाद चल देना। अब मैं तुम्हे बरारी टॉप पर ही मिलूंगा और तुम्हारा 11 बजे तक इंतजार करूँगा। अगर आप इससे लेट पहुंचे तो समझ लेना कि मैं आगे चला गया हूँ। ऐसा कहकर मैंने दोबारा चढ़ाई शुरू कर दी।

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Amarnath Yatra – Jammu to Baltal base Camp

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जम्मू से आगे पुरे रास्ते में जगह-जगह अमरनाथ यात्रियों के लिए लंगर लगे हुए हैं। खाने-पीने की कोई समस्या नहीं। क्योंकि हम लोग नाश्ता करके नहीं आये थे और अब तक हमें काफी भूख लग गयी थी। हमने गाड़ी वाले से कहा की किसी लंगर पर गाड़ी रोक दो, नाश्ता करना है। ड्राइवर ने बटोट से थोड़ा आगे एक लंगर पर गाड़ी रोक दी। लंगर राजपुरा के पास का था। लंगर में डोसा, पानी पूरी, आइस क्रीम, कुल्फी, कोल्ड ड्रिंक, जलजीरा, दाल चावल, रोटी सब्ज़ी, पॉपकॉर्न, हलवा, खीर और गरमा गरम चाय सब कुछ मिल रहा था। जितना चाहे प्यार से खाओ पर झूठा बचाना सख्त मना है। खाओ मन भर, न छोडो कण भर। वहां ड्राइवर सहित सभी लोगों ने नाश्ता किया, गर्मागर्म चाय पी और पौने घंटे बाद ठीक 12 बजे दोबारा से यात्रा शुरू कर दी।

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अमरनाथ यात्रा 2014 (Amarnath Pilgrimage) – प्रथम भाग

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बात जुलाई 1998 की है। मैं इंजीनियरी करने के बाद बेकार था । हमारे शहर से एक बस अमरनाथ यात्रा पर जा रही थी। मेरे पिता जी उन दिनो बिमार थे और घर पर ही रहते थे। उन्होनें मुझसे कहा कि सारा दिन आवारा घुमता है, अमरनाथ यात्रा पर ही चला जा। मैं यात्रा पर जाने के लिए तैयार हो गया। आने जाने और खाने-पीने का खर्च घर से मिल रहा था तो कौन मना क रता।

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हिमाचल का बेशकिमती हीरा – मनाली

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दोस्तों, इस श्रंखला की पिछली पोस्ट में मैनें आप लोगों को युथ होस्टल के बारे में जानकारी दी थी जो सभी को पसंद आई….

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Some memories of travels of days gone by – 1960 – 1975

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The title of this blog says “Holiday-Travel of Days Gone By!” and our holiday travel started around 1966. That’s almost 50 years ago! Our first trip, by Jeep ,was to Kulu valley and Rhotang PassI At that time there was no road beyond Kothi to Rohtang. And we stopped at the rest house at Kothi. Our elder son was six and younger was just one year old.

Can you guess the date of our arrival at Kothi ? You perhaps were not even born then, neither was Ghumakkar nor internet! October 30, 1966 was the day we jeeped at KOTHI.!

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सपनों का शहर शिमला

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उम्मीद है इस श्रंखला की पिछली पोस्ट आप की उम्मीदों पर खरी उतरी होगी. चलिये अब आगे बढते हैं……. जब हम लोग इस टूर…

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घुमक्कड़ की दिल्ली : गुरुद्वारा श्री बंगला साहिब

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भवन के बाहर आकर पंक्ति में हलुवा का प्रशादा लिया. प्रांगण में कुछ देर शांतचित्त होकर बैठे रहने के बाद प्रशादा ग्रहण किया. गुरुद्वारों में मिलने वाले प्रशाद रूपी हलुवे की विशेषता है कि यह शुद्ध देशी घी से बना होता है और पूरी तरह से घी में तर होता है. हाथ में प्रशादा लेकर खाने के बाद हाथों में देशी घी की सुगंध और चिकनाहट बानी रहती है और स्वाद की तो बात ही क्या ‘गुरु-प्रसाद’ जो है. बच्चों ने भी प्रशादा ग्रहण किया और मेरी बड़ी बेटी भूमिका को इतना पसंद आया कि प्रशादा की लिए दोबारा से लाइन में लग गयी. प्रशादा वितरण करने वाले भगतजी ने सर पर रुमाला न होने की कारण थोड़ा डांटते हुए प्रशादा देने से मना कर दिया और हम दूर से दृश्य देखते रहे.

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Exploring AP – Nagarjun – Suryalanka – Vijaywada

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My favorite, never take the route back which you take to reach a destination, thus maximizing the opportunity to explore and know more. There are so many places in AP to Visit, so it was a week long plan to make a trip. I had 3 days in spare and almost 700-800km or budget based on my car’s milage. We were longing for Suryalanka beach from long, its the nearest beach from Hyderabad, not much advised in summer but still a beach is my attraction. We listed down, bora caves, bellum caves, warrangal, vijaywada, srisailam, nagarjun sagar, suryalanka, vishakhapatnam and many more. Finally, friday afternoon I decided for Srisailam, a piligrimage with just 200 odd km away from my home in Hyderabad. So, I texted my wife and my brother in law (he was on a short visit to our place) that pack your bags we are going to “Suryalanka”… that was an inadvertent mistake. Which I did not realize until I reached home from office. I was surprised to know that my family was apparently happy to know that we are going ot Suryalanka. I spoiled their excitement admitting the mistake.

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केदारनाथ यात्रा 2014 – सोनप्रयाग से केदारनाथ।

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रामबाड़ा पहुँच तो होश उड़ गए। सिर्फ रामबाड़ा नाम के अलावा  पर सही माने मे कुछ नहीं बचा था। अभी  मैं मंदाकनी नदी के बाएँ ओर चल रहा था लेकिन रामबाड़ा बाद आगे का पूरा रास्ता जिस पहाड़ पर बना था वो पहाड़ पिछले साल ढह गया था। सीधा बोलूँ तो रामबाड़ा बाद प्रशाशन नया रास्ता बनाया था। नए रास्ते पर जाने लिए बाएँ ओर से मंदाकनी को एक पुल के  जरिए पार करके दाएँ ओर जाना था। और अभी तक इस पुल पर काम चल रहा था।

कितने भयानक रूप से जलजला आया होगा। रामबाड़ा का नामोनिशान मिटा दिया। मेरी पिछली यात्राओं मे मैं और मेरा साथी यहीं पर विश्राम किया करते थे और पेट भर पराँठे खाया करते थे। यहाँ पर रात को सोने का इंतज़ाम भी हुआ करता था। ऐसी ही मेरी एक यात्रा मे केदारनाथ के दर्शन से लौटते वक़्त हमने रात के 2 बजे यहीं रामबाड़ा पर एक दूकान वाले से विनती करके कुछ खाने की पेशकश की थी। उस वक़्त उसके पास सिर्फ आलू की सब्ज़ी थी। हम उस साल 6 दोस्त गए थे। सभी भूखे थे हमारी हालत पर दुकानदार को तरस आया और बोला कि चलो ठीक है अंदर आ जाओ और पहले चाय पी लो तबतक मैं आटा गूँद देता हूँ। गर्म-गर्म रोटी और आलू की सब्ज़ी खाकर मज़ा आ गया था। तो मेरा ये वाक्य सुनाने का तात्पर्य यह है कि रामबाड़ा अपने आप मे एक सम्पूर्ण कसबे की तरह था। जहाँ पर यात्रा सीजन मे लोग हजारों की संख्या मे होते थे।   यहीं पर खच्चर स्टैंड भी हुआ करता था। लेकिन इस बार सब खत्म। जो पहली बार गया होगा वो कल्पना और यकीन अभी नहीं कर सकता कि रामबाड़ा पर कैसा कहर टूटा था।

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केदारनाथ यात्रा 2014 – गुप्तकाशी से सोनप्रयाग – भाग 2

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पता चला कि सिर्फ ब्लड प्रेशर की जाँच हो रही है। मेरा नंबर आया डॉक्टर ने मेरे BP की जाँच की तो मशीन ने 110/140 दिखाया। डॉक्टर ने कहा इस इसाब से तुम आगे यात्रा पर नहीं जा सकते। मैंने मायूस होकर डॉक्टर से बोला इतनी दूर से वापस जाने के लिए नहीं आया हूँ। उसने कहा टेंशन मत ले यार। मैंने फिर से बोला कि अकेले ही ड्राइव करके आया हूँ इतनी दूर क्या यह वजह हो सकती है वो हँसने लगा बोला तुम थोड़ी देर बैठ जाओ 30 मिनट बाद फिर से आना। मुझे टेंशन हो गई थी मैं बाहर गया और सुट्टे पर सुट्टा लगाने लगा। 30 मिनट बाद फिर से मैं जाँच के लिए गया तब भी मशीन ने 110/140 ही दिखाया। डॉक्टर बोला भाई ये तो गड़बड़ है मैं अनुमति नहीं दे सकता। आखिर मे डॉक्टर ने मेरा शुगर की जाँच की शुगर 135 निकली। शुगर ठीक थी। उसने जाँच केंद्र बंद करने से पहले 6 बार मेरे BP की जाँच की थी पर मायूसी के अलावा कुछ हाथ नहीं लगा। उन्होंने अपना सामान समेटा और चल दिए। डॉक्टर के एक सहयोगी ने मुझ से पुछा गुसाईं जी आप तो पहाड़ी ही हो तो ये क्या चक्कर है। मैंने बोला मैं तो समय-समय पर रक्त दान भी करता रहता हूँ कभी भी मुझे दिक्कत नहीं आई क्यूँकि रक्त लेने से पहले भी हमेशा BP की जाँच होती है तभी मैंने उसको बोला आज मैंने सुबह से सिगरेट बहुत पी ली है। वो एक दम से चौंक कर बोला भाई यही तो दिक्कत है यही कारण है कि BP ठीक नहीं है। उसने बोला अब और सिगरेट मत पीना और खाना खाकर सो जाना। मैंने खाना मे दाल, रोटी, सब्ज़ी, सलाद लिया और अगली सुबह पाँच बजे का अलार्म लगा कर सो गया।

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