
अंजनेरी परà¥à¤µà¤¤ की पदयातà¥à¤°à¤¾
परà¥à¤µà¤¤ की तलहटी वहाठसे लगà¤à¤— २ किलोमीटर दूर थी. वहाठतक का रासà¥à¤¤à¤¾ घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤°, पथरीला और उबड़-खाबड़ था. उस पर चलने वाली गाड़ियाठà¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• हिचकोले ले रहीं थी. पर पदयातà¥à¤°à¥€ की लिà¤, उस मौसम में, वह रासà¥à¤¤à¤¾ बेहद ख़ूबसूरत नज़ारा पेश कर रहा था. मैं धरती पर नीचे उतर आये बादलों के बीच चल रहा था, पौधों और वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से हरे हो चà¥à¤•े पहाड़ों को निहार रहा था, कलकल बहने वाले à¤à¤°à¤¨à¥‹à¤‚ की आवाज सà¥à¤¨ रहा था, उनà¥à¤®à¥à¤•à¥à¤¤ सà¥à¤µà¤šà¥à¤› हवा में साà¤à¤¸à¥‡ ले रहा था. à¤à¤¸à¥‡ में सड़कों का पथरीला होना कà¥à¤¯à¤¾ महतà¥à¤µ रखता है? तीन-चार घà¥à¤®à¤¾à¤µ के बाद रासà¥à¤¤à¤¾ समतल हो गया. अब तो पà¥à¤°à¤•ृति की छटा देखते ही बनती थी. बस à¤à¤• तसà¥à¤µà¥€à¤° की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ कीजिये
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