
लदà¥à¤¦à¤¾à¤– यातà¥à¤°à¤¾ – > नोà¤à¤¡à¤¾ – बिलासपà¥à¤° – मंडी – मनाली
खेर बहà¥à¤¤ बड़ी बला टली और 5 मिनट चलने के बाद “Haveli” आ गयी और हमने गाड़ी पारà¥à¤•िंग में लगा दी। अंकल के साथ गाड़ी का बाहरी निरकà¥à¤·à¤£ किया गया à¤à¤• à¤à¥€ खरोंच नहीं थी, à¤à¤¸à¤¾ लगा की सारा à¤à¤Ÿà¤•ा Xylo के शौकर और कमानियों ने à¤à¥‡à¤² लिया था। अंकल ने कहा की अगर इंजन मे कोई लीकेज होगी तो पता चल जाà¤à¤—ा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम वहां पर 30 मिनट के लिठरà¥à¤•ने वाले थे। हम चारों “Haveli” के अंदर चल दिà¤, पर अंकल अà¤à¥€ à¤à¥€ गाड़ी के निरकà¥à¤·à¤£ मे लगे हà¥à¤ थे। इस घटना को याद करते तो पहले तो हम सहम से जाते पर कà¥à¤› समय के बाद ये à¤à¤• मज़ाक का विषय बन चà¥à¤•ा था। इसका जिकà¥à¤° आते ही ज़ोरों की हंसी आती थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अà¤à¥€ तो टà¥à¤°à¤¿à¤ª शà¥à¤°à¥‚ ही हà¥à¤ˆ थी और अंकल तो इसका अंत करने ही वाले थे। आगे के पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ हम यही सोच कर बहà¥à¤¤ हà¤à¤¸à¥‡ थे। हमने यहाठपर कà¥à¤› नहीं खाया। सब फà¥à¤°à¥‡à¤¶ होकर गाड़ी के ओर चल पड़े और अंकल से कहा कि अब सीधे रातà¥à¤°à¥€ मे à¤à¥‹à¤œà¤¨ ही करेंगे।
यह सोच कर हम आगे निकल पड़े। अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ से कà¥à¤› दूर पहले ही नज़र “Liquor” शॉप पर जा पड़ी। गाड़ी को रà¥à¤•ने का आदेश दिया गया और “Haveli” से पहले हà¥à¤ कांड का अफ़सोस मनाते हà¥à¤ मूड बनाया गया। यहीं पर अंकल की à¤à¤• खासियत का पता चला, टà¥à¤°à¤¾à¤‚सपोरà¥à¤Ÿ लाइन मे होने के बावजूद वो मदिरा का सेवन नहीं करते थे और सà¥à¤¦à¥à¤§ साकाहारी थे। ये सà¥à¤¨à¤•र हम लोगों की खà¥à¤¶à¥€ दà¥à¤—नी हो गई और हम अपनी बाकि बची हà¥à¤ˆ यातà¥à¤°à¤¾ को लेकर निशà¥à¤šà¤¿à¤‚त हो गठथे। आजकल à¤à¤¸à¥‡ डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° कम ही मिला करते हैं। यहाठपर थोड़ा टाइम बिताने के बाद हम लोग अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ से पहले ही अंकल ने à¤à¤• U-Turn ले लिया और बोले की हम जाटवर, बरवाला, रामगढ़ होते हà¥à¤ पिंजौर पहà¥à¤à¤š जाà¤à¤à¤—े। हम सबने कहा जैसी आपकी इचà¥à¤›à¤¾ “अंकल”। रात के 10 बज चà¥à¤•े थे हमने पिंजौर में रà¥à¤• कर खाना खाया, अंकल को बोला की गाड़ी मे जो pizza पड़ा है वो ले आओ। अंकल बोले बेटा वो तो मैंने खा लिया है। अंकल के सामने किसी ने कोई आपतà¥à¤¤à¥€ नहीं जताई। लेकिन बाद में ये à¤à¥€ à¤à¤• joke बनके रह गया कà¥à¤¯à¥‚ंकि अंकल ने बड़े शान से कहा था “में pizza नहीं खाता, हम तो सादी रोटी खाने वाले इंसान हैं”। हम आगे बदà¥à¤¦à¥€, बिलासपà¥à¤°, सà¥à¤‚दरनगर, मंडी, कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ होते हà¥à¤ मनाली जाने वाले थे और अंदाजन दोपहर के 12 या 1 बजे तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ वाले थे। खाने के सबने सोचा की यहीं रूम लेकर सो जाते हैं। दो-दो का गà¥à¤°à¥à¤ª बना कर हम लोग रूम देखने चले गà¤à¥¤ रूम रेंट यहाठपर बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ था। सिरà¥à¤« 5-6 घंटे की ही तो बात थी। कà¥à¤¯à¥‚ंकि हम अगली सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ ही निकलने वाले थे। होता वही है जो होना होता है, सबने बिना रà¥à¤•े आगे चलने का फ़ैसला किया। यहाठसे थोड़ी देर बाद हम बदà¥à¤¦à¥€ पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ नालागढ़ के आस-पास ही गाड़ी रà¥à¤•वा कर चाय पी। अà¤à¥€ à¤à¥€ हमे 255km आगे मनाली तक जा कर 10-सितमà¥à¤¬à¤° की रात वहीं बितानी थी। बदà¥à¤¦à¥€ के बाद हम चारों गहरी नींद मे चले गà¤à¥¤
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