नगर से निकलते ही जबरदसà¥à¤¤ कोहरे ने हमें घेर लिया।मैंने डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° इरफ़ान से गाड़ी धीरे चलाने के लिठकहा, खतौली पार करते ही जबरदसà¥à¤¤ जाम लगा हà¥à¤† था,जाम के कारण गाड़ी बà¥à¤¢à¤¾à¤¨à¤¾ रोड से नहर की पटरी पर ले ली । बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कोहरा होने के कारण से कà¥à¤› à¤à¥€ दिखाई नहीं दे रहा था।गाड़ी धीमी रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° से चल रही थी। डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° कहने लगा की गाड़ी में डीजल नहीं हैं। मैंने कहा की सरधना नजदीक हैं वही पर à¤à¤°à¤µà¤¾ लेगे, आगे पूरे सरधना में कही à¤à¥€ डीजल नहीं मिला, वापिस नहर की पटरी से मेरठकी और आकर के डीजल मिल पाया। रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• बार गाड़ी नीचे नहर में गिरने से बची। खैर दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤à¤š कर राहत की सांस ली। चाचा जी के लड़के रवि के घर वैशाली पहà¥à¤‚चे, और वंहा से सà¤à¥€ लोग दिलà¥à¤²à¥€ की सैर को चल पड़े।
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