à¤à¥€à¤² शबà¥à¤¦ तो सà¥à¤µà¤¯à¤® में ही सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ लिंग है, इसलियें रेणà¥à¤•ा नाम तो अपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ है, परनà¥à¤¤à¥ पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ à¤à¤° हमे जो à¤à¥€ साइन बोरà¥à¤¡ दिखे, सà¤à¥€ पर à¤à¥€à¤² का नाम रेणà¥à¤•ाजी लिखा हà¥à¤† है, हमे आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ तो है, परनà¥à¤¤à¥ इससे à¤à¤• अंदाजा à¤à¥€ लग जाता है कि समà¥à¤à¤µà¤¤à¤ƒ इसका कोई धारà¥à¤®à¤¿à¤• कारण अवशà¥à¤¯ होगा, परनà¥à¤¤à¥ इसके मिथकीय इतिहास से अà¤à¥€ तो हम सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤ž हैं, हमने तो केवल इतना à¤à¤° सà¥à¤¨à¤¾ था कि इसकी आकृति à¤à¤• लेटी हà¥à¤ˆ महिला सरीखी है और इसके काफी बढ़े हिसà¥à¤¸à¥‡ पर कमल के फूल खिलते हैं |
इधर हमारी यातà¥à¤°à¤¾ जारी है और अब जिस जगह पर पहà¥à¤‚चे हैं, वह परशà¥à¤°à¤¾à¤® और रेणà¥à¤•ाजी का मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है | à¤à¤• ही पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में रेणà¥à¤•ाजी के मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के साथ ही परशà¥à¤°à¤¾à¤®à¤œà¥€ का मनà¥à¤¦à¤¿à¤°…, मसà¥à¤¤à¤¿à¤• से सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ का धà¥à¤‚धलका मिटने लगा, याद आया कि रेणà¥à¤•ा जी तो परशà¥à¤°à¤¾à¤® की माता जी थी, कà¥à¤› हमने याद किया, कà¥à¤› इस मनà¥à¤¦à¤¿à¤° से पता चला, तो कà¥à¤² मिलाकर जो जानकारी इकटà¥à¤ ी हà¥à¤ˆ, उसका सार कà¥à¤› इस पà¥à¤°à¤•ार है-
हिमाचल के इसी परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के जंगलो की कंदराओं में ऋषि जमदगà¥à¤¨à¤¿ अपनी पतà¥à¤¨à¥€ रेणà¥à¤•ा के साथ à¤à¤• आशà¥à¤°à¤® में रहते थे | असà¥à¤° सहसतà¥à¤°à¤œà¥à¤¨ की नीयत डोली और ऋषि पतà¥à¤¨à¥€ रेणà¥à¤•ा को पाने की अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ में उसने ऋषि जमदगà¥à¤¨à¤¿ का वध कर दिया | रेणà¥à¤•ा ने अपने सत की रकà¥à¤·à¤¾ और दà¥à¤·à¥à¤Ÿ असà¥à¤° से बचने हेतॠसà¥à¤µà¤¯à¤®à¥ को जल में समाधिषà¥à¤ कर लिया, बाद में परशà¥à¤°à¤¾à¤® और देवतायों ने असà¥à¤° का वध किया, और ऋषि व रेणà¥à¤•ा को नव जीवन दिया और फिर ठीक उस जगह से à¤à¤• जल धारा फूटी जिससे इस à¤à¥€à¤² का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤† | मिथक कà¥à¤› à¤à¥€ हो, परनà¥à¤¤à¥ आस पास के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के निवासियों में इस जगह का धारà¥à¤®à¤¿à¤• महतà¥à¤µ है और वह इस दंत कथा को मानते à¤à¥€ हैं इसका सबसे बढ़ा जà¥à¤µà¤²à¤‚त पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ तो यह ही है कि सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ निवासी जब इस à¤à¥€à¤² में नौका विहार के लिये जाते हैं तो अपने जूते-चपà¥à¤ªà¤² किनारे पर ही उतार देते हैं |
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