
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से यमनोतà¥à¤°à¥€
मंदिर पहà¥à¤à¤š कर गरà¥à¤® कà¥à¤‚ड मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया. यहाठपर काफ़ी à¤à¥€à¤¡à¤¼ थी. पर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ मे कोई दिकà¥à¤•त नही हà¥à¤ˆ. कà¥à¤‚ड का  जल ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ गरà¥à¤® ना हो इसलिठठंडे पानी की  पतली धार कà¥à¤‚ड मे गिर रही थी. और यह ज़रूरी à¤à¥€ था कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि इस कà¥à¤‚ड से उपर दिवà¥à¤¯Â शिला पर जो कà¥à¤‚ड है उसमे तो इतना गरà¥à¤® पानी है कि सà¤à¥€ लोग पूजा के चावल उसमे पकाते है. जैसा कि  मैने पढ़ा था की दरà¥à¤¶à¤¨ से पहले मंदिर के बाहर दिवà¥à¤¯à¤¾Â शिला का पूजन करते है उसके बाद दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठजाते है. गरà¥à¤® कà¥à¤‚ड मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर के कपड़े बदल ही रहा था कि  तà¤à¥€ पंडा लोग आ कर पूजा करने का आगà¥à¤°à¤¹ करने लगे. पूजा तो करनी ही थी मैने पूजा से पहले पंडा से पूछ  लिया की कितने पैसे लोगे पर सà¤à¥€ कह रहे थे आप अपनी शà¥à¤°à¤§à¤¾  से दे देना. कई लोगो ने डरा दिया था की यहाठपंडा लोग बहà¥à¤¤ पैसे  ले लेते है. इसलिठमैने पहले ठहरा लेना उचित समà¤à¤¾. जब वह शà¥à¤°à¤§à¤¾  की बात करने लगे तो मैने कहा 201 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ दूà¤à¤—ा. वह बोले ठीक है अब हम अपने परिवार के साथ उनके मंदिर के पास बने पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‹à¤°à¥à¤® पर पहà¥à¤šà¥‡. यहाठपर बहà¥à¤¤ सारे लोगो को पंडा लोग पूजा करवा रहे थे à¤à¤• जगह बैठा कर पूजा करनी शà¥à¤°à¥‚ की. मै  समà¤à¤¾ करता था कि   कोई शिला  होगी पर शिला तो कोई नज़र नही आई तब मैने पंडा जी से पूछा तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ बताया की जिस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बैठे है यही दिवà¥à¤¯à¤¾Â शिला है. पूजा के बाद पंडा जी ने कहा, अब आप लोग माठ यमà¥à¤¨à¤¾ जी के दरà¥à¤¶à¤¨ कर लो जब तक आपके चावल à¤à¥€ पक जाà¤à¤à¤—. यमञोतà¥à¤°à¥€ मे पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦  के रूप मे चावल गरà¥à¤® कà¥à¤‚ड मे पका कर यातà¥à¤°à¥€ ले जाते है. मंदिर मे ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¥€à¤¡à¤¼ नही थी माठयमà¥à¤¨à¤¾ की मूरà¥à¤¤à¤¿ काले पतà¥à¤¥à¤° की  बनी है उनके साथ माठ गंगा की à¤à¥€ मूरà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है. दरà¥à¤¶à¤¨ कर के बाहर आया तब तक पंडा गरà¥à¤® कà¥à¤‚ड मे पके हà¥à¤ चावल की पोटली ले कर आ गये. मैने कही पढ़ा था की यहाठà¤à¤• ऋषि रहते थे जो रोज गंगा नहाने पहाड़ पार कर के गंगोतà¥à¤°à¥€ जाते थे जब वह काफ़ी उमà¥à¤°  के हो गये और पहाड़ पार  कर जाना संà¤à¤µ नही हà¥à¤† तब माठ गंगा से उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤¨à¤¾ की तब गंगा वही पà¥à¤°à¤•ट हो गई . कहते है यहाठयमनोतà¥à¤°à¥€ मे à¤à¤• धारा गंगा की à¤à¥€  बहती है. मैने जब इस बारे मे पंडा जी से पूछा तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ अनà¤à¥€à¤—à¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤•ट की. अब मैने सोचा की यहाठतक आठहै तो यमà¥à¤¨à¤¾ जी का जल तो ले चलना चाहिà¤. मंदिर के साथ से ही यमà¥à¤¨à¤¾ जी बह रही है. 1-2 लोग वहाठपर जल ले रहे थे मैने à¤à¥€ à¤à¤• बोतल मे जल à¤à¤°à¤¾,  पतà¥à¤¨à¥€ और बचà¥à¤šà¥‹ को à¤à¥€ बà¥à¤²à¤¾ कर यमà¥à¤¨à¤¾ जी के दरà¥à¤¶à¤¨ कराà¤. à¤à¤• तरह से यहाठपर यमà¥à¤¨à¤¾ जी पहले दरà¥à¤¶à¤¨ होते है. यमà¥à¤¨à¤¾ जी का जल à¤à¤• दम सà¥à¤µà¤šà¥à¤›  पारदरà¥à¤¶à¥€ है और पीने मे बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ लगा यही जल दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤š कर किस अवसà¥à¤¥à¤¾ मे हम कर देते है यह तो दिलà¥à¤²à¥€ वाले ही जानते है. जल इतना ठंडा था कि   बड़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल से बोतल मे à¤à¤° पाया.
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