
गà¥à¤µà¤¾à¤² घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी: जोशीमठ– तपोवन – बाबा आशà¥à¤°à¤®
पैदल घूमते घामते पà¥à¤°à¤•ृति को निहारते हà¥à¤ सलधार पहà¥à¤à¤šà¥‡ और सबसे पहले वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ की पद यातà¥à¤°à¤¾ से सबक लेकर à¤à¤• दà¥à¤•ान पर रà¥à¤•कर आगे की यातà¥à¤°à¤¾ के लिठकà¥à¤› चने और मीठी गोलियाठरख ली. सलधार से à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ बदà¥à¤°à¥€ तक का रासà¥à¤¤à¤¾ ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° जगह जंगल के बीच से गà¥à¤œà¤¼à¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ जाता था जहाठकई जगह राह मे दो रासà¥à¤¤à¥‡ सामने आ जाते थे जो हमारी दà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ का कारण बन बैठते. à¤à¤¸à¥‡ मे कई बार या तो सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगो की मदद से और कई बार बस किसà¥à¤®à¤¤ के à¤à¤°à¥‹à¤¸à¥‡ ‘अककड़ बकà¥à¤•ड़’ करके हम लोग जैसे तैसे सà¥à¤à¤¾à¤ˆà¤‚ नामक गाà¤à¤µ तक पहà¥à¤à¤šà¥‡ जहाठसे à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ बदà¥à¤°à¥€ की दूरी लगà¤à¤— 1 ½ किमी ही रह जाती है.
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