
अनà¥à¤¨à¥‚ à¤à¤¾à¤ˆ चला चकराता – पमà¥à¤® पमà¥à¤® पमà¥à¤® – लाखामंडल
कà¤à¥€ गाडी से इधर à¤à¤¾à¤‚क, कà¤à¥€ उधर à¤à¤¾à¤‚क | देखते के कà¥à¤› समठआ जाà¤Â , कà¥à¤¯à¥‚ंकि आगे तो हम लगातार देखे ही रहें थे आखà¥à¤¨à¥‡ फाड़ें ,   हा हा हा …वहां गाड़ी की हेड लाइट की रोशनी में जो कà¥à¤› à¤à¤• दो मीटर तक दिख रहा था बस समà¤à¥‹ उस समय वही हमारी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ थी बाकी तो कà¥à¤› दिख ही नहीं रहा था,थोड़ी देर बाद हमें खà¥à¤¦ मालà¥à¤® नहीं की कब कहाठदो चार मकानो के बीच से होकर हमारी वो पथरीली सड़क गà¥à¤œà¤° रही थी (अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ होने के कारण ) तब गाड़ी रोकी … वहीठà¤à¤• दो आदमी मिले। à¤à¤• सजà¥à¤œà¤¨ से परिचय होने पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ बताया के वो रहने वाले तो बड़ोत (UP) के ही हैं।  यहाठउनकी  पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ जमींन है, सो यहाठà¤à¥€ रहते हैं।  वहीठà¤à¤• घर में à¤à¥€ बनी छोटी सी दूकान से दरà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚  “पारले जी ” की बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ के पैकेट खरीद अनà¥à¤¨à¥‚ और पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£ बाबू तो बिजी हो गठ…..मै  वैसे à¤à¥€ à¤à¥€ बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ नहीं खाता और गाडी à¤à¥€ चला रहा था।  सो उन साहब से बातचीत कर आगे का हाल चाल और रासà¥à¤¤à¥‡ का बà¥à¤¯à¥Œà¤°à¤¾ ले चल पड़ा।
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