07 Jul

Motorcycle Diaries. Road to Ladakh…Riding Back Home…

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All through the route from Debring to Keylong, the weather was pretty cold. Morey Plains, Pang, Sarchu, Lachulung La, Nakee La and the Gata Loops were all familiar now – there weren’t any surprises in the store en route, barring the fact that weather was dramatically icier this time. I kept craving for a hot cup of tea – such was the chill in the weather. With clouds over our heads, and rain looming, we rode almost non-stop and arrived at Bharatpur, which was our stopover for lunch.

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माता वैष्णोदेवी यात्रा-भाग १ (मुज़फ्फरनगर से कटरा – KATRA VAISHNODEVI)

माता वैष्णोदेवी यात्रा-भाग १ (मुज़फ्फरनगर से कटरा – KATRA VAISHNODEVI)

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हमारी ट्रेन का समय ठीक ६.३० शाम को था. हम लोग ठीक ६ बजे स्टेशन पहुँच गए. स्टेशन पर भी प्रतीक्षा करने का एक अलग ही आनंद होता हैं. पता चला की ट्रेन १५ मिनट लेट हैं. दरअसल मेरठ से मुज़फ्फरनगर और सहारनपुर के बीच में सिंगल लाइन हैं. जिस कारण से करीब करीब सभी ट्रेन लेट होती हैं. हमारा आरक्षण S-6 डिब्बे में था. डिब्बे में चढ़ने के बाद वही समस्या जो की पूरे हिन्दुस्तान में रेलवे में हैं. दैनिक यात्री आरक्षित डिब्बों में घुसे रहते हैं. और बड़ा अहसान जताते हुए वे हमें हमारी सीट पर बैठने देते हैं. कहते है की सहारनपुर, यमुनानगर तक की ही तो बात हैं. पता नहीं रेलवे से ये समस्या कब दूर होगी. खैर सहारनपुर के बाद आराम से एडजस्ट हुए, हम घर से आलू ,पूरी, अचार आदि खाने में लेकर के आये थे. खाना खाकर के लंबी तान कर सो गए. सुबह ठीक पांच बजे ट्रेन जम्मू पहुँच गयी. स्टेशन पर अन्धेरा छाया हुआ था. हम लोग अपने सामान सहित बाहर बस स्टैंड पर आ गए.

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Golmaal 3 in the evening

Mystical monsoon visit to Nahan, Paonta Sahib, and Dakpatthar – Part I

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Intermittently, when the Rain God seemed to have become a bit weary and softened the intensity of the downpour to smaller and scantier drops, we took a round of the rain-washed outskirts of the resort. But a look up above in the sky at the over-burdened cloud mounds, we knew it might start raining heavily any minute and so did not venture far and also had thoughtfully equipped ourselves with umbrellas. Everything looked so fresh and green early in the morning. The leaves were dripping wet and glistening with droplets of rain water hanging from their edges. The rains seemed to have breathed a fresh lease of life to the flora and fauna.

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महेश्वर किला – पत्थर की दीवारों में कैद यादें………..भाग 3 (समापन किश्त)

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इस श्रंखला के पिछले भाग में मैंने आपको जानकारी दी थी की किस तरह से हम महेश्वर में अहिल्या घाट पर कुछ देर रूककर…

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महेश्वर – नर्मदा का हर कंकर है शंकर. नमामि देवी नर्मदे – भाग 2

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साथियों, महेश्वर यात्रा की यह दूसरी कड़ी प्रस्तुत कर रही हूँ. पिछली कड़ी में मैंने बताया था की किस तरह हम अगस्त के एक…

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केदारनाथ से बद्रीनाथ

केदारनाथ से बद्रीनाथ

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मस्तक पर लगे हीरे को देख कर ऐसा लग रहा था की हरे रंग का ज़ीरो वाट का वल्व जल रहा हो हम लोग थोड़ी देर वहाँ एक टक निहारते रहे तभी एक दंपति वहाँ विशेष पूजा के लिए आए. रावल जी मंत्रोचार करने लगे.

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महेश्वर – एक दिन देवी अहिल्या की नगरी में : भाग 1

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ये तो था एक संक्षिप्त परिचय महेश्वर से और अब हम चलते हैं अपने यात्रा वर्णन की ओर. बारिश का मौसम, सुबह सुबह का समय, अपना वाहन और इस सबसे बढ़कर सुहावना मौसम सब कुछ बड़ा ही अच्छा लग रहा था. रास्ते में बाहर जहाँ जहाँ तक निगाह जा रही थी सब दूर हरियाली ही हरियाली दिखाई दे रही थी. हम सभी को बारिश का मौसम बहुत ज्यादा पसंद है, खासकर मुकेश को. जैसे ही मानसून आता है, एक दो बार बारिश होती है बस इनका मन घुमने जाने के लिए मचल उठता है, और हमारे ज्यादातर टूर बारिश के मौसम में ही प्लान किये जाते हैं.

मन में बहुत सारा उत्साह बहुत सारी उमंगें लिए हम बढे जा रहे थे अपनी मंजिल की ओर की तभी ऊपर आसमान में बादलों का मिजाज़ बिगड़ने लगा काले काले बादल घिर आये थे और बिजली की कडकडाहट के साथ तेज बारिश शुरू हो गई. मौसम की सुन्दरता एवं बारिश का आनंद हम कर में बैठ कर तो भरपूर उठा रहे थे लेकिन अब हमें चिंता होने लगी थी की यदि बारिश बंद नहीं हुई तो हम महेश्वर में घुमक्कड़ी तथा फोटोग्राफी का आनंद नहीं उठा पायेंगे और मन ही मन भगवान् से प्रार्थना करने लगे की हमें महेश्वर में बारिश न मिले. ईश्वर ने हमारी प्रार्थना स्वीकार कर ली थी और कुछ ही देर में मौसम खुल गया और पहले से और ज्यादा खुशगवार हो गया. सड़क के दोनों ओर कुछ देर के अंतराल पर भुट्टे सेंकनेवालों की छोटी छोटी दुकाने मिल रही थी, एक जगह से हमने भी भुट्टे ख़रीदे जो की बड़े ही स्वादिष्ट थे.

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हरिद्वार से केदारनाथ

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रुद्रप्रयाग से  9  किलोमीटर आगे  तिलवारा है यहाँ हम लोगो ने चाय पी.  10  मिनट का रेस्ट किया और फिर आगे  के लिए चल दिए. तिलवारा से  19  किलोमीटर आगे  अगस्तमुनि  है .  यहाँ अगस्तमुनि का आश्रम है.यहाँ पहुँचते हुए शाम ढलने लगी थी. हमारे बाईं ओर  मंदाकिनी सड़क के साथ साथ पत्थरो  के बीच अठखेलियाँ  करती हुई बह रही थी. बहुत ही खूबसूरत और मनमोहक द्रशय था. सामने के पहाड़ो की चोटियो  पर सूर्यास्त की किरणे  पड़ने से सुनहरे रंग से चमक रही थी.मन तो कुछ समय यहाँ पर रुक कर प्राक्रतिक  सौंदर्य को  देखने को हो रहा था पर ड्राइवर को अपनी मंज़िल पहुँचने की थी. अगस्तमुनि  से  19  किलोमीटर आगे  कुंड है यहाँ पहुँचते हुए अँधेरा छा  गया था. अब ड्राइवर अँधेरे मे बस चला रहा था. गुप्त काशी  को पार  कर लगभग 8 बजे सोन प्रयाग  से 7 किलोमीटर पहले हम सीतापुर पहुँच गये. यहाँ ड्राइवर ने रात मे रुकने के लिए एक होटेल के सामने बस रोक दी और बोला रात यहीं रुकेंगे ,  आप लोग सामने होटेल मे जाकर अपने लिए कमरा    देख कर तय कर लो. यह होटेल बहुत ही साधारण था कमरो मे एक अजीब सी गंध आ रही थी. मन मे विचार आया ड्राइवर को यहाँ  से कमीशन  मिलता होगा तभी यहाँ रोका है. मैने अपने लड़के से नज़दीक के दूसरे होटेल देखकर आने को कहा और स्वयं दूसरी तरफ जाकर होटेल देखने लगा. मुझे इस होटेल से 100 गज पहले एक नया बना हुआ साफ सुथरा होटेल मिल गया. इस  समय सीजन ना होने के कारण बिल्कुल खाली था. इस  समय तक इतने बड़े होटेल मे हमारा ही परिवार था. हमे 400 रुपये के हिसाब से 2 डबल बेड का एक रूम मिल गया. मैने बस के दूसरे यात्रियों से भी बोला इस बेकार से होटेल मे ना ठहर कर मेरे वाले होटेल मे ठहरे.पर वह सारे उसी होटेल मे ही ठहरे. रात  मे जब हम खाना खाने बाहर निकले  ,  मेरे से  कुछ घोड़े वाले घोड़ा तय करने के लिए कहने लगे. पहले तो मैने यह सोंचा था कि  गौरी कुंड से एक-दो किलोमीटर पैदल चलने के बाद अगर नहीं चला जाएगा तो घोड़े कर लेंगे पर अब जब यह लोग जिस तरह की बाते कर रहे थे उससे लगा कि तय  ही कर लेना चाहिए. आने जाने के लिए 800 रुपये प्रति घोड़ा तय हुआ.

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Our Leh Trip in August 2012

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We all are ready and fit to explore “The Leh” our first destination to Nubra valley. We get up by 7.00 am and start to Nubra Valley by 8.30 am. We drive just 4-5 km. From leh and one of our friend feeling hungry and said please stop the car in front of any hotel to take some food. Any way after 30 minute drive we found one small road side cafe, and their she take some bread and butter etc. Then we start to Nubra, On the way of nubra valley we cross the worlds highest motorable road “Khardungla pass” we stop at khardungla cafe which is “world’s highest cafe” run by indian army. We all take black tea hear. Khardungla is situated 18350 feet from the sea lavel and oxygen is very low their, we all feel the same little bit altitude problem. We stay their 30 minutes, Aditi one of our friend is busy in photography, and roaming around rest of us are just sit beside the car, we met some bikers their, now-a-days many Indians are coming by bike too.

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वाटरटन नेशनल पार्क और यु.एस. बोर्डर (भाग २)

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पार्क की सुबह बहुत खूबसूरत थी. हिरण जैसे दो प्राणी घूम रहे थे. सुबह उठ कर एक चक्कर गांव का लगाता हूँ. एक दुकान खुली देख कर अंदर काफी लेने जाता हूँ, साथ ही खाने के लिए एक पेस्ट्री ले लेता हूँ. यह दुकान वाला बहुत सामान बेच रहा था. काफी, ब्रेड चोकलेट, और बहुत सा सामान. पेट्रोल पम्प भी इस दुकान वाले का ही था. साथ में साइकल भी किराये पर दे रहा था. एक साइकल का एक घंटे का किराया १० डॉलर, और हेल्मट के १० डॉलर अलग से. साथ में मोटर बाइक भी किराये के लिए थे.

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Mesmerizing Canadian Rockies

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Relentless rain and flash-flooding kept us pretty much house-arrested for the first couple of days, after which, the sun shone. And, all of a sudden the wide ranges of Canadian Rockies appeared at the west horizon of the city of Calgary. The gloomy city is all set for a bright and warm weekend. We set out for Banff in my sisters’ car on Saturday morning.

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Motorcycle Diaries. Road to Ladakh…at Tso Kar

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As we entered the mountainous terrain, I observed the colour of the flowing river on our left – so different than the rivers we were used to see during this ride!
Out first break of the day was at Rumtse, the same hamlet where we stopped on our way to Leh a few days ago.
As I sat down here, I observed an acute silence amongst riders, as if all excitement had gone missing, as if we left it at Leh. There weren’t banters flowing around, no one was pushing each other, no laughter; only a passive wait…till this Ladakhi kid showed up.

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