
पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ इंदौर की à¤à¤• शाम – गलियों में खाने का ख़जाना
और à¤à¤¸à¥‡ ही à¤à¤• शाम ढल चà¥à¤•ी थी. खजराना सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गणेश मंदिर में पूजन के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ मेरे बड़े à¤à¤¾à¤ˆ के परिवार के सà¤à¥€ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का मन पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ इंदौर की इनà¥à¤¹à¥€ गलियों का लà¥à¤¤à¥à¤«à¤¼ उठाने का हà¥à¤†. मेरी तो जैसे की मौज हो गयी. संधà¥à¤¯à¤¾ के धà¥à¤‚धà¥à¤²à¤•े से लिपटे हà¥à¤ इंदौर के à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• राजवाड़े के बगल से होकर हमलोग सराफा की उन गलियों में पहà¥à¤‚चे. वहां की दà¥à¤•ानें बंद तो हो चà¥à¤•ी थीं, पर गलियाठबड़े-बड़े बिजली के बलà¥à¤¬à¥‹à¤‚ की रोशनी से जगमगा रही थीं. खाने की दà¥à¤•ानें सज चà¥à¤•ी थीं और मानों समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ इंदौर के लोग उन गलियों में लगे बेहतरीन खाने का मजा लेने उमड़ पड़े थे.
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