Rishikesh Calling…… Part 1

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So, we spent the rest of our day and evening, sitting near the stream behind the resort, sitting inside the water, trying to fishing (Unsuccessful every time) and enjoying the rains which came again in evening to drench us.

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What we did at Aravali Resorts near Dharuhera

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robably, resort people could identify our intentions of sitting there. They managed to arrange some comfortable chairs for us & also offered Hukka. Some of us enjoyed Hukka, sitting below the crystal clear sky with lot of stars visible. It is not possible for we Delhites to witness such a beauty of stars now in our city, as Delhi atmosphere is too polluted.

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Family trip to Jodhpur – Must do things

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We had hot Pyaj ki Kachauri, Mirchi Bada & Anjeer Shake. Specially, my son liked the shake very much. Although, our plan has been just for snacks, but food was so rich that it gave us feeling of lunch. Total expense was just Rs. 120 for 2 & half people.

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Hotel Review – Saffron Leaf, Dehradun

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Room Tips:

Try to take Mussorie view rooms. There is a beautiful view of green Mussorie hills from there. Also, there is big empty ground on this side, with a beautiful nursery next to it. View on this side is very pleasant.

The rooms on the other side has a view of rooftop of nearby houses.

I rate this hotel at 4.5 on a scale of 5. Bit heavy on the pocket but 1 of the very few hotels in Dehradun which matches this standard of hospitality.

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रंगीला पंजाब – चंडीगढ़ में एक दिन

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रॉक गार्डन एक अद्भुत कृति है जहाँ waste चीजों से इतने सारी और बहुत ही सुन्दर आकृतिया बनी हुई हैँ . श्री नेक चंद जी द्वारा बनाया गया ये गार्डन ४० एकड़ में फैला हुआ है।  यहां ज्यादा तर आकृतियां वेस्ट बोतल, प्लेट, सिरेमिक टाइल्स इत्यादि से बनी हैं।  इसके अलावा यहां एक मानव निर्मित झरना भी है।
सुखना झील तो चंडीगढ़ की सुंदरता को और भी बढ़ा देती है। झील के दूसरी तरफ दिखती शिवालिक पहाड़िया इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगाती हैं। यहाँ पहुँच कर हमने बेटे को टॉय ट्रैन में घुमाया। झील में बोटिंग का प्रोग्राम बना ही रहे थे कि झमाझम बारिश शुरू हो गयी। एक बार शुरू हुई तो फिर रुकने का नाम ही नहीं लिया। वहां घूमने आये सभी लोग शेड के नीचे ही खड़े रहे और उस मौसम का आनंद लेते रहे।

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रंगीला पंजाब – परिवार सहित अमृतसर यात्रा

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तभी ट्रैन चलने की घोषणा हुई और जल्दी ही ट्रैन रेंगने लगी।  वाइफ और बेटा खिड़की से बाहर देखते रहे और मैं आँखें बंद कर दिन भर की प्लानिंग करने लगा।  कुछ देर में शताब्दी की सेवाएं शुरू हुई.  पानी की बोतल, अखबार और फिर चाय, इन सबके  सोचा की थोड़ा सो लेंगे।  पर तभी टीटी जी आ पहुंचे।  उनको टिकट देखा कर निबटे तो देखा कि बेटा सो गया था।  हमने भी आधा घंटा नींद ली की तभी ब्रेकफास्ट आ गया।  पंजाब  की यात्रा हो तो छोले कुल्चे से बेहतर कुछ नहीं इसलिए हमने भी वही खाया।  हिलती हुई ट्रैन में चाय का कप भी हिल रहा था और बेटा इसे देख देख हंस रहा था।  ब्रेकफास्ट कर के सोचा कि कुछ और सोया जाये पर ऐसा हुआ नहीं. ट्रैन अम्बाला पहुंची और छोटे साहब के प्रश्न फिर शुरू हुए।  यहाँ से ट्रैन चलने के बाद मेरी कमेंटरी भी शुरू हुई. क्यूंकि बाकी दोनों का पहला ट्रिप था, इसलिए मैंने अपना ज्ञान भर भर के बंट. राजपुरा से पंजाब शुरू होने के बाद तो ये ज्ञान और बढ़ा. NH 1  साथ दौड़ती ट्रैन, दोनों और गेंहूँ से भरे हुई खेत और बादलों की लुकाछिपी, सचमुच बहुत ही अच्छा सफर था. कुछ देर में ट्रैन लुधिअना पहुंची। यहाँ भूख लगने लगी थी तो हमने अपने साथ लए हुई स्नैक्स की तरफ ध्यान दिया. लुधिअना से चलने के बाद सतलुज नदी का चौड़ा पाट आया. वाइफ हैरान थीं की इस नदी का पानी इतना सफ़ेद कैसे है जबकि यमुना तो बिलकुल अलग है।  इसके बाद फगवाड़ा और फिर जलांधर आया. जालंधर पर ट्रैन काफी खाली हो गए थी।  क्यूंकि अब बेटा फिर ऊँघने लगा था तो उसे एक ३ वाली खाली  सीट पर लिटा दिया और वह जल्दी सो भी गया।  हम दोनों भी १  झपकी लेने लगे. ब्यास पहुँचने से पहले ब्यास नदी के दर्शन हुए. खेतों में हरियाली बढ़ चुकी थी. अपने तय समय से २० मिनट लेट, ट्रैन अमृतसर पहुंची. स्टेशन पर टूरिस्ट्स और ख़ास तौर पर स्कूल ग्रुप्स की बहुत भीड़ थी।  हमने टैक्सी बुक की हुई थी जो हमें वाघा बॉर्डर घुमा कर वापस होटल छोड़ने वाली थी।

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