
अमृतसर में अटारी – वाघा बारà¥à¤¡à¤°
हम जब शाम को पांच बजे सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ जयंती दà¥à¤µà¤¾à¤° पर पहà¥à¤‚चे तो सारी बैंच पूरी तरह से ठसाठस à¤à¤°à¥€ हà¥à¤ˆ थीं।  जब मैने दà¥à¤µà¤¾à¤° पर खड़े बी.à¤à¤¸.à¤à¤«. के अधिकारी को पà¥à¤°à¥‡à¤¸ पास दिखाया और कहा कि मà¥à¤à¥‡ आगे जाने दें तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वी.आई.पी. लाउंज के लिये पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° 3 की ओर इंगित किया और कहा कि आप वहां कोशिश करें। मैं उधर à¤à¤¾à¤—ा पर वहां कोई सà¥à¤¨à¤µà¤¾à¤ˆ नहीं हà¥à¤ˆ ! वहां विदेशियों और कà¥à¤› वी.आई.पी. महिलाओं, यà¥à¤µà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को जाने दिया जा रहा था। अतः फिर वापिस à¤à¤¾à¤—ा और सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ जयंती दà¥à¤µà¤¾à¤° की सीढ़ियां चढ़ कर वहां पहà¥à¤‚चा जहां पहले ही मानों पूरा हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ आकर सीटों पर जमा हà¥à¤† था। अपने कैमरे के लिये मà¥à¤à¥‡ जो सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ उपलबà¥à¤§ हो सका वहां जाकर मैं खड़ा होगया। बड़ा ही मजेदार दृशà¥à¤¯ सामने था। सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ जयंती दà¥à¤µà¤¾à¤° से लेकर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ वाले दà¥à¤µà¤¾à¤° तक तिरंगा à¤à¤‚डा हाथ में लेकर à¤à¤¾à¤—ते हà¥à¤ जाने और वापिस आने के लिये महिलाओं की लाइन लगी हà¥à¤ˆ थी। उनको बी.à¤à¤¸.à¤à¤«. के इस अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ के संयोजक à¤à¤• अधिकारी तिरंगे à¤à¤‚डे देते थे और à¤à¤¾à¤—ने का इशारा करते थे। यà¥à¤µà¤¾, पà¥à¤°à¥Œà¤¢à¤¼ और यहां तक कि वृदà¥à¤§ महिलाà¤à¤‚ à¤à¥€ बड़े उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ से तिरंगा हाथ में लेकर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की सीमा तक à¤à¤¾à¤—ती हà¥à¤ˆ जाती थीं और फिर वापस आती थीं। हज़ारों की संखà¥à¤¯à¤¾ में दरà¥à¤¶à¤• गण à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता की जय, वंदे मातरमà¥â€Œ, हर-हर, बम-बम नारे लगा कर उनका उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹-वरà¥à¤§à¤¨ कर रहे थे। दरà¥à¤¶à¤•ों के उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ का आलम कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ था मानों वह वृदà¥à¤§ महिला नहीं बलà¥à¤•ि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के बैटà¥à¤¸à¤®à¥ˆà¤¨ को आउट करने के लिये à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ कà¥à¤°à¤¿à¤•ेट टीम का बॉलर दौड़ रहा हो। पनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¹ मिनट तक यह कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® चलता रहा फिर महिलाà¤à¤‚, यà¥à¤µà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ और सà¥à¤•ूली बचà¥à¤šà¥‡ डांस करने के लिये अपनी अपनी सीट छोड़ कर सड़क पर उतर आये। पनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¹ मिनट तक धà¥à¤†à¤‚धार कमर मटकाई गईं और जनता गला फाड़ – फाड़ कर अपने उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ करती रही। सबसे मजेदार बात ये थी कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ वाले गेट के उस पार à¤à¥€ à¤à¤• सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¡à¤¿à¤¯à¤® नज़र आ रहा था जहां तीस-चालीस दरà¥à¤¶à¤• बैठे हà¥à¤ दिखाई दे रहे थे। इस ओर हज़ारों दरà¥à¤¶à¤•ों का अदमà¥à¤¯ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹, नारेबाजी और कान के परà¥à¤¦à¥‡ फाड़ देने लायक शोर और उधर केवल मातà¥à¤° तीस – चालीस दरà¥à¤¶à¤•! अब अगर à¤à¤¸à¥‡ में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ हà¥à¤•à¥à¤®à¤°à¤¾à¤¨ डिपà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ का शिकार न हों तो कà¥à¤¯à¤¾ हों? मà¥à¤à¥‡ तो लग रहा था कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ वाली साइड में बैठे दरà¥à¤¶à¤•ों का à¤à¥€ मन कर रहा होगा कि हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ वाला कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® देखें पर अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ न होने के कारण मन मसोस कर रह जाते होंगे।
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