पर ये कà¥à¤¯à¤¾ बाहर पà¥à¤°à¤•ृति का à¤à¤• सेनापति तांडव मचा रहा था, सबके कदम बाहर पड़ते ही लड़खड़ा गये, बचà¥à¤šà¥‡ रोने लगे, कैमरे को गले में लटकाकर मैं दसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡ और मफलर लाने दौड़ा । जी हाà¤, ये कहर वो मदमसà¥à¤¤ हवा बरसा रही थी जिसकी तीवà¥à¤°à¤¤à¤¾ को 16000 फीट की ठंड, पैनी धार पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर रही थी । हवा का ये घमंड जायज à¤à¥€ था। दूर दूर तक उस पठारी समतल मैदान पर उसे चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ देने वाला कोई नहीं था, फिर वो अपने इस खà¥à¤²à¥‡ सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ में à¤à¤²à¤¾ कà¥à¤¯à¥‚ठना इतराये । खैर जलà¥à¤¦à¥€-जलà¥à¤¦à¥€ हम सब ने कà¥à¤› तसवीरें खिंचवायीं ।
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