
पारà¥à¤µà¤¤à¥€ घाटी (कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚) में à¤à¤•ल (solo) घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी — खीर गंगा से वापसी
नकथान में गà¥à¤°à¤¾à¤®à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को दैनिक जीवन के कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ कलापों को करते देखा जा सकता है. अपने आस-पास उपलबà¥à¤§ दैनिक जीवन के सीमित सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾, संसाधनों से संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ यहाठके लोग जीवन को वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• रूप में जीते हैं. à¤à¤°à¤¨à¥‹à¤‚ का बहता सà¥à¤µà¤šà¥à¤›-शà¥à¤¦à¥à¤§ जल, पहाड़ों से होकर आती शीतल सà¥à¤—नà¥à¤§à¤¿à¤¤ वायà¥, पहाड़ों के बीच बहती पारà¥à¤µà¤¤à¥€ नदी, छोटे-छोटे खेत और बागों में उगने वाले फल, सबà¥à¤œà¥€ और अनà¥à¤¨ और साथ में रहने वाले सहयोगी पशà¥. जीवन को वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• रूप में जीने के लिठबस इतना ही चाहिठइसके अतिरिकà¥à¤¤ बाकी सब जीवन को और अधिक सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾-संपनà¥à¤¨ बनाने की कà¤à¥€ न ख़तà¥à¤® होने वाली लालसा ही है.
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