शाम को हम लोग à¤à¤• रेसà¥à¤Ÿà¥Œà¤°à¥‡à¤‚ट मे बैठे थे, मैने देखा à¤à¤• पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ऑफीसर à¤à¥€ वहाठरेफà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤®à¥‡à¤‚ट ले रहा है, तà¤à¥€ à¤à¤• और ऑफीसर à¤à¥€ उसके पास आ कर बात करने लगा, मेरी नज़र उस पर टिक गयी मॅ देखना चाहता था की यहाठहोटेल वाले को खाने-पीने का बिल पेमेंट करते है या नही, थोड़ी देर मे देखा दोनो ऑफीसर होटेल वाले के पास गये और परà¥à¤¸ निकाल कर पेमेंट करने लगे.à¤à¤¸à¥‡ ही मारà¥à¤•ेट मे टहलते हà¥à¤ मैने देखा 2-4 खोà¤à¤›à¥‡ वाले सड़क किनारे खड़े है, यह यहाठके मूल निवासी नही थे, यातà¥à¤°à¤¾ पर रोज़गार के चकà¥à¤•र मे यहाठपहà¥à¤š गये थे, जिगयसा वश मैने उनसे पूछा  कà¥à¤¯à¤¾ यहाठखड़े होने पर यहाठकी पà¥à¤²à¤¿à¤¸ तो नही परेशान करती है, उन लोगो ने बताया की मà¥à¤¯à¥à¤¨à¤¿à¤¸à¤¿à¤ªà¤² बोरà¥à¤¡ वाले डेली . 20 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ की रसीद काट देते है और कोई परेशान नही करता है. सोचने लगा देहली और उसके आस-पास के शहरो मे सरकार को तो इन खोà¤à¤›à¥‡ वालो से कà¥à¤› मिलता नही है हाठपà¥à¤²à¤¿à¤¸ वालो की ज़रूर जेब गरà¥à¤® हो जाती है. यहाठआकर इस बात का अहसास होता है की अमरनाथ  की यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान लोखो कशà¥à¤®à¥€à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ को रोज़गार मिलता है, सà¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ की इनकम बदती है,  हम 7 लोगो का घोड़े का खरà¥à¤š 37500/- हà¥à¤† था जबकि कई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹ पर हम पैदल à¤à¥€ चले थे. इसके अलावा टॅकà¥à¤¸à¥€Â , टेंट, होटेल, आदि कितने खरà¥à¤šà¥‡. हम लोगो का पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ लगà¤à¤— 8000 से 10000 खरà¥à¤š आया था. à¤à¤• तरह से यह यातà¥à¤°à¤¾ कितने कशà¥à¤®à¥€à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ के लिठआय का बड़ा साधन है,  परंतॠफिर à¤à¥€ कà¥à¤› कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ लीडर वहाठकी जनता को गà¥à¤®à¤°à¤¾à¤¹ करके यातà¥à¤°à¤¾ के खिलाफ à¤à¤¾à¤·à¤£ वाजी , विरोध पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ करवाते रहते है. बहà¥à¤¤ तकलीफ़ होती है जब इंसान अपने सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ के कारण दूसरो की रोज़ी रोटी पर लात मारता है.
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