रासà¥à¤¤à¥‡ में हम लोग लोग थोड़ी देर रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में रà¥à¤•े और फिर चल दिठशà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र की ओर. शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हमें काफी देर हो चà¥à¤•ी थी और आज रात इससे आगे जाने का कोई साधन नहीं दिख रहा था. कोई जीप या बस मिलने की तो संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ बिलकà¥à¤² à¤à¥€ नहीं थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यहाठहिमाचल की तरह रात को बसें नहीं चलती. à¤à¤¸à¥‡ में हमारे चालक साब ने हमें रात शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र में ही बिताने का सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया और हमें रात गà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¨à¥‡ का à¤à¤• ठिकाना à¤à¥€ दिखाया. हमने ठिकाना तो देख लिया पर अब किसी का à¤à¥€ यहाठरà¥à¤•ने का मन नहीं था और सब जलà¥à¤¦ से जलà¥à¤¦ घर पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ चाहते थे. उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚चल में वैसे तो रात को कोई वाहन नहीं चलते पर सबà¥à¤œà¤¼à¥€ फल आदि रसद पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ वाले टà¥à¤°à¤•ों की आवाजाही रात à¤à¤° चालू रहती है, सोचा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ना इसे ही आजमाया जाà¤. आज शायद किसà¥à¤®à¤¤ हम पर मेहरबान थी, थोडा पूछà¥à¤¤à¤¾à¤¤ करने पर ही हमें à¤à¤• टà¥à¤°à¤• मिल गया जो हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° तक जा रहा था. टà¥à¤°à¤• चलने में अà¤à¥€ लगà¤à¤— आधा घंटा बाकी था और सà¥à¤¬à¤¹ सिरà¥à¤« आशà¥à¤°à¤® में ही à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया था इसलिठà¤à¤• ढाबे पर जाकर थोड़ी पेट पूजा की गई.
टà¥à¤°à¤• पर वापस लौटे तो देखा की चालक के साथ वाली सीट पर पहले ही दो लोग बैठे हà¥à¤ थे. à¤à¤¸à¥‡ में वहाठहम तीनों का à¤à¤• साथ बैठना संà¤à¤µ और सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ नहीं था. इसलिठदोनों की बà¥à¤°à¥€ हालत देखकर मैं टà¥à¤°à¤• के पीछे चला गया जहाठकà¥à¤› अनà¥à¤¯ लोग पहले से ही लेटे थे. इस टà¥à¤°à¤• के ऊपर à¤à¤• बरसातीनà¥à¤®à¤¾ दरी थी जो शायद सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को धूल और बारिश से बचाने के लिठडाली गयी थी और नीचे खाली पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• के डबà¥à¤¬à¥‡ रखे हà¥à¤ थे जिनमे सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤ रखी जाती हैं. इनà¥à¤¹à¥€ हिलते डà¥à¤²à¤¤à¥‡ पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• के डबà¥à¤¬à¥‹à¤‚ के ऊपर हम सà¤à¥€ मà¥à¤¸à¤¾à¤«à¤¼à¤¿à¤° लेटे हà¥à¤ थे. टà¥à¤°à¤• चलने पर कà¥à¤› समय तो बड़ा मजा आया पर जैसे जैसे रात गहराती गयी और नींद आने लगी तो इन हिलते हà¥à¤ डबà¥à¤¬à¥‹à¤‚ पर सोना बड़ा दà¥à¤–दायी लग रहा था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤• तो ये डबà¥à¤¬à¥‡ आपस में टकराकर हिल रहे थे और टेढ़े मेढ़े होने की वजह से चà¥à¤ à¤à¥€ रहे थे. खैर मेरे लिठतो ये सब रोमांच था, लेकिन रोमांच धीरे धीरे बढ़ने लगा जब इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ अरà¥à¤§à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¿ में जागे और हम पर जमकर मेहरबान हà¥à¤. तिरछी पड़ती हà¥à¤ˆ मोटी मोटी बारिश की बूà¤à¤¦à¥‡ हमारे ऊपर à¤à¤• शॉवर की तरह पड़ रही थी जो à¤à¤• मंद मंद शीतल रात को à¤à¤• बरà¥à¤«à¤¼à¥€à¤²à¥€ सी महसूस होने वाली रात में बदलने के लिठकाफी थी. à¤à¤¸à¥‡ में ऊपर रखी हà¥à¤ˆ दरी ने ठणà¥à¤¡ से तो नहीं पर à¤à¥€à¤—ने से तो बचा ही लिया. ठणà¥à¤¡ में किटकिटाते हà¥à¤, बिना सोये जैसे तैसे करीब चार बजे के आस पास टà¥à¤°à¤• चालक ने हमें हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में à¤à¤• सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ मोड़ पर उतार दिया. जितना दरà¥à¤¦ मेरे शरीर में उस टà¥à¤°à¤• में सवारी करते हà¥à¤ हà¥à¤† उतना पूरी यातà¥à¤°à¤¾ कहीं नहीं हà¥à¤†, शरीर इतना अकड़ गया था कि टà¥à¤°à¤• से बाहर निकलने के लिठà¤à¥€ हिमà¥à¤®à¤¤ जà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥€ पड़ रही थी. ठणà¥à¤¡ के मारे बà¥à¤°à¤¾ हाल था, सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ गलियों से होकर गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ हम लोग बस सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ की ओर बढ़ने लगे. à¤à¤¸à¥‡ में रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• चाय का ठेला देखकर चेहरे पर कà¥à¤› ख़à¥à¤¶à¥€ आयी, à¤à¤¾à¤ˆà¤¸à¤¾à¤¬ के हाथ की गरà¥à¤®à¤¾à¤—रम चाय और बंद खाकर शरीर में कà¥à¤› ऊरà¥à¤œà¤¾ आई. फिर तो बस जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ कदम बढ़ाते हà¥à¤ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° बस सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤à¤šà¤•र, दिलà¥à¤²à¥€ की बस पकड़ी तो लगà¤à¤— दस या गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ बजे तक दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤à¤š कर ही राहत की साà¤à¤¸ ली. यातà¥à¤°à¤¾ समापà¥à¤¤!
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