
आगरा: ताज की तरफ वाया सिकंदरा (अकबर का मकबरा)
मà¥à¤—लों के बनवाठकà¥à¤› मकबरे तो वाकई इतने बà¥à¤²à¤‚द और आलीशान हैं कि आपको उनकी मौत से à¤à¥€ रशà¥à¤• हो जाता है | इस काल की जितनी à¤à¥€ मà¥à¤–à¥à¤¯ इमारतें हैं, उनमे कà¥à¤› ना कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ जरूर है, जिस से आप उनकी à¤à¤µà¤¨-निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कला के मà¥à¤°à¥€à¤¦ हो जाà¤à¤, इस मामले में ये मकबरा à¤à¥€ आपको à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ नायाब पल देता है, जब आप, (चितà¥à¤° में लाल घेरे वाले) पतà¥à¤¥à¤° पर खड़े होकर जो à¤à¥€ बोलते हैं, वो इस के हर हिसà¥à¤¸à¥‡ में सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देता है यानी कि आज के दौर का Public Address System. और आप हैरान तो तब रह जाते हैं जब इस सà¥à¤ªà¥‰à¤Ÿ से दो फà¥à¤Ÿ दायें–बाà¤à¤‚ या आगे-पीछे होने पर. आपकी आवाज केवल आप तक ही रह जाती है |
सदियों से, जो मौत इतनी डरावनी और à¤à¤¯à¤¾à¤µà¤¹ समà¤à¥€ जाती रही है कि कोई अपनी मरजी से उसके पास तक नही जाना चाहता, उसे याद तक नही करना चाहता, à¤à¤¸à¥‡ में उसकी यादगार को कायम रखने के लिठइतने à¤à¤µà¥à¤¯ और आलीशान मकबरों का निरà¥à¤®à¤¾à¤£, वाकई कमाल की बात है |
मिरà¥à¤œà¤¼à¤¾ ग़ालिब का à¤à¤• शेर इस मौके पर बेसाखà¥à¤¤à¤¾ ही याद आकर लबों पर à¤à¤• हलà¥à¤•ी सी मà¥à¤¸à¥à¤•ान बिखेर देता है –
“ मत पूछ, के कà¥à¤¯à¤¾ हाल है मेरा तेरे पीछे?, सोच के कà¥à¤¯à¤¾ रंग तेरा, मेरे आगे ! “
मिसà¥à¤¤à¥à¤° के पिरामिड और ये मकबरे, à¤à¤¸à¤¾ नही, कि मौत को कोई चà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥€ देते हों या मौत पर इंसान की जीत का परचम फहराते हों, पर हाठइतना जरूर है कि इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखने के बाद मौत इतनी à¤à¥€ बदसूरत नजर नही आती! बहरहाल सूरज अपना जलवा दिखाने को बेकरार हो रहा है, और घड़ी की सà¥à¤ˆà¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¥€ सरपट à¤à¤¾à¤— रही हैं, à¤à¤¸à¥‡ में हम फैसला करते हैं कि हमें अपनी ऊरà¥à¤œà¤¾ ताजमहल के लिठà¤à¥€ बचा कर रखनी है | अत:, हम जलà¥à¤¦à¥€ से अकबर के मकबरे को अपनी यादों में समेट, मà¥à¤—लिया सलà¥à¤¤à¤¨à¤¤ के à¤à¤• बेताज बादशाह को उसकी फराखदिली और पंथ-निरपेकà¥à¤·à¤¤à¤¾ के लिठउसे अपना आखिरी सलाम देते हà¥à¤, à¤à¤• और मकबरे, ताजमहल को देखने आगरा की और कूच कर देते हैं…..
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