इन्दौर राज्य में तीन-तीन तुकोजीराव हुए हैं, इनमें से किसके नाम पर तुकोजीगंज नामकरण हुआ है, यह तो मुझे नहीं मालूम पर हां, रंगीनमिजाज़ तुकोजीराव तृतीय के रंगीन किस्से इन्दौर वासियों की जुबान पर अब भी रहते हैं। उन्होंने तीन शादियां की थीं – सीनियर मोस्ट महारानी का नाम था – चन्द्रावती बाई। जूनियर महारानी थीं – इन्दिरा बाई । तीसरी वाली अमेरिकन युवती – नैंसी अन्ना मिलर थीं जिनके साथ 12 मार्च, 1928 को तुकोजीराव तृतीय ने विवाह रचाया। विवाह के बाद वह पूरी तरह भारतीय रंग-ढंग में ढल गई थीं और उनका विवाह भी शर्मिष्ठादेवी के रूप में नामकरण के बाद शुद्ध हिन्दू रीति-रिवाज़ के मुताबिक हुआ था। 1907 में अमेरिका के सियेटल शहर में जन्मी नैंसी ने तुकोजीराव होलकर को पांच संतानें दीं, चार पुत्रियां और एक पुत्र। शर्मिष्ठाबाई का देहान्त अभी 1995 में हुआ है। कहा जाता है कि तीन पत्नियों के बावजूद तुकोजीराव अमृतसर के एक कार्यक्रम में मुमताज़ बेगम का डांस देखकर उस पर आशिक हो गये और उसे इंदौर ले आये। वह तुकोजीराव के प्रेम को घास भी नहीं डालती थी और राजवाड़े से भागने के कई बार प्रयत्न किये और अन्ततः एक बार इन्दौर से मसूरी जाते हुए रास्ते में दिल्ली में निगाह बचा कर भागने में सफल भी होगई। बस, तुकोजी राव को बहुत बुरा लगा, एक तो प्रेम की दीवानगी और ऊपर से राजसी अहं को ठेस जो लग गई थी। उनके चेले-चपाटे अपने राजा को खुश करने के चक्कर में मुमताज़ बेगम की खोज खबर लेते रहे और अन्ततः पता लगा ही लिया कि वह मुंबई में किसी के साथ रहती है। बस जी, तुकोजी राव के कर्मचारी मुंबई के हैंगिंग गार्डन में पहुंच गये और वहां जो मारकाट मची उसमें उस व्यक्ति की गोली लगने से मौत हो गई जिसके साथ मुमताज़ बेगम मुंबई में रहती थी और हैंगिंग गार्डन में घूम रही थी। अंग्रेज़ अधिकारियों ने इस कांड का पूरा फायदा उठाया और तुकोजीराव के दो कर्मचारियों को फांसी की सजा सुनाई गई और तुकोजीराव तृतीय को राज्य छोड़ना पड़ा। तुकोजीराव तृतीय की मृत्यु 1978 में पेरिस में हुई। उस समय वह 88 वर्ष के थे।
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