
Pushkar – Teerthraj, The Pilgrim’s Paradise: 2 (The Brahma Temple)
Friends, in my previous post of this series I had mentioned about the Pushkar lake (Sarovar). Now in this post I’ll take you the…
Read MoreFriends, in my previous post of this series I had mentioned about the Pushkar lake (Sarovar). Now in this post I’ll take you the…
Read Moreहम जब शाम को पांच बजे सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ जयंती दà¥à¤µà¤¾à¤° पर पहà¥à¤‚चे तो सारी बैंच पूरी तरह से ठसाठस à¤à¤°à¥€ हà¥à¤ˆ थीं।  जब मैने दà¥à¤µà¤¾à¤° पर खड़े बी.à¤à¤¸.à¤à¤«. के अधिकारी को पà¥à¤°à¥‡à¤¸ पास दिखाया और कहा कि मà¥à¤à¥‡ आगे जाने दें तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वी.आई.पी. लाउंज के लिये पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° 3 की ओर इंगित किया और कहा कि आप वहां कोशिश करें। मैं उधर à¤à¤¾à¤—ा पर वहां कोई सà¥à¤¨à¤µà¤¾à¤ˆ नहीं हà¥à¤ˆ ! वहां विदेशियों और कà¥à¤› वी.आई.पी. महिलाओं, यà¥à¤µà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को जाने दिया जा रहा था। अतः फिर वापिस à¤à¤¾à¤—ा और सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ जयंती दà¥à¤µà¤¾à¤° की सीढ़ियां चढ़ कर वहां पहà¥à¤‚चा जहां पहले ही मानों पूरा हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ आकर सीटों पर जमा हà¥à¤† था। अपने कैमरे के लिये मà¥à¤à¥‡ जो सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ उपलबà¥à¤§ हो सका वहां जाकर मैं खड़ा होगया। बड़ा ही मजेदार दृशà¥à¤¯ सामने था। सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ जयंती दà¥à¤µà¤¾à¤° से लेकर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ वाले दà¥à¤µà¤¾à¤° तक तिरंगा à¤à¤‚डा हाथ में लेकर à¤à¤¾à¤—ते हà¥à¤ जाने और वापिस आने के लिये महिलाओं की लाइन लगी हà¥à¤ˆ थी। उनको बी.à¤à¤¸.à¤à¤«. के इस अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ के संयोजक à¤à¤• अधिकारी तिरंगे à¤à¤‚डे देते थे और à¤à¤¾à¤—ने का इशारा करते थे। यà¥à¤µà¤¾, पà¥à¤°à¥Œà¤¢à¤¼ और यहां तक कि वृदà¥à¤§ महिलाà¤à¤‚ à¤à¥€ बड़े उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ से तिरंगा हाथ में लेकर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की सीमा तक à¤à¤¾à¤—ती हà¥à¤ˆ जाती थीं और फिर वापस आती थीं। हज़ारों की संखà¥à¤¯à¤¾ में दरà¥à¤¶à¤• गण à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता की जय, वंदे मातरमà¥â€Œ, हर-हर, बम-बम नारे लगा कर उनका उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹-वरà¥à¤§à¤¨ कर रहे थे। दरà¥à¤¶à¤•ों के उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ का आलम कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ था मानों वह वृदà¥à¤§ महिला नहीं बलà¥à¤•ि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के बैटà¥à¤¸à¤®à¥ˆà¤¨ को आउट करने के लिये à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ कà¥à¤°à¤¿à¤•ेट टीम का बॉलर दौड़ रहा हो। पनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¹ मिनट तक यह कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® चलता रहा फिर महिलाà¤à¤‚, यà¥à¤µà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ और सà¥à¤•ूली बचà¥à¤šà¥‡ डांस करने के लिये अपनी अपनी सीट छोड़ कर सड़क पर उतर आये। पनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¹ मिनट तक धà¥à¤†à¤‚धार कमर मटकाई गईं और जनता गला फाड़ – फाड़ कर अपने उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ करती रही। सबसे मजेदार बात ये थी कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ वाले गेट के उस पार à¤à¥€ à¤à¤• सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¡à¤¿à¤¯à¤® नज़र आ रहा था जहां तीस-चालीस दरà¥à¤¶à¤• बैठे हà¥à¤ दिखाई दे रहे थे। इस ओर हज़ारों दरà¥à¤¶à¤•ों का अदमà¥à¤¯ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹, नारेबाजी और कान के परà¥à¤¦à¥‡ फाड़ देने लायक शोर और उधर केवल मातà¥à¤° तीस – चालीस दरà¥à¤¶à¤•! अब अगर à¤à¤¸à¥‡ में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ हà¥à¤•à¥à¤®à¤°à¤¾à¤¨ डिपà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ का शिकार न हों तो कà¥à¤¯à¤¾ हों? मà¥à¤à¥‡ तो लग रहा था कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ वाली साइड में बैठे दरà¥à¤¶à¤•ों का à¤à¥€ मन कर रहा होगा कि हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ वाला कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® देखें पर अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ न होने के कारण मन मसोस कर रह जाते होंगे।
Read MoreWell, I must share that I have travelled on some very lonely stretches; this was proved to be the scariest of all. Completely dark it was, we brothers rode our bikes non-stop in the only source of lights – the bikes’ headlights! This was a typical forest track, and rains made it all the more difficult to negotiate the ride. We stopped several times to check the signal of the phone – no respite. What made us ride ahead in this pitch dark jungle located upon the mounts in the dead of rainy night was the my belief/experience – people in hills don’t lie! After all, the guard had said that the forest track would end in 13kms and route to Dhaulchhina would emerge!
Bang on right he was! Just as my bike’s meter clocked 13kms, we came out to a neat tarmac. By now, we were completely drenched and shivering. And it didn’t help that there weren’t any signage that could guide us to either left or right. Fortunately, mobile phone’s signals were back and we called the Camp to locate the address.
30minutes later, amidst heavy rains, we arrived at Dhaulchhina, a hamlet where Binsar Eco Camp was located above a hillock.
Read MoreTwo centuries ago when the Nawabs were driving around in their horse drawn buggies they would give way of right to the horse drawn buggy of the fellow Nawab, both on their way to Hazratganj for shopping. This was perfectly normal in the true spirit of Pehle Aap (after you) culture of Lucknow. After all, that was the era of leisure, languidness and laid back, aptly depicted in Satyajit Ray’s ‘Shatranj ke Khiladi’.
Times have definitely changed now. Goons – elected or otherwise – sitting in their Endeavours, with number plates emblazoned with their self-christened designations, pressure horns on full blast, bulldoze their way through the crowded streets. Of course the number plates do not carry registration numbers and the horn has to sound the loudest. Few moments caught in this decibelly deafening din will bring in the worst headache and probably convulsions. Guantanamo Bay authorities could play this cacophonic recording and the Al-Qaeda inmates would start singing like canaries instead of paying royalties to music companies for playing their metal rock.
You are startled and jump off the street when you hear a truck horn, only to see a motorcycle whizz past you. In Punjab, your vehicle needs to be shod with the flashiest alloys. In Lucknow, people get turned on by going sadistic on your ears. It is auditory mayhem on the roads.
Read Moreरात की नीरवता मे गंगा की लहरो की तट की पैकडियो से टकराने की आवाज आ रही थी. इसी बीच मेरी शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी ढà¥à¤¢à¤¤à¥€ हà¥à¤ˆ आ गयी. आते ही बोली यहाठकहाठलेटे हो, मै बोला कà¥à¤¯à¤¾ करू यहाठपर ठंडक है इसलिये इन सबके साथ यहीं लेट गया हूठपर नींद तो आ नही रही है. बोली चलो बस मे ही आरम करना. यहाठके ठंडे फरà¥à¤¶ पर लेटे रहे तो कमर अकड जायगी. अब मà¥à¤à¥‡ लगा, इससे तो अचà¥à¤›à¤¾ वापस दिलà¥à¤²à¥€ चलते हैं, यहाठपरेशन होने से कà¥à¤¯à¤¾ फायदा. इतनी रात मे à¤à¥€ कई लोग गंगा नहा रहे थे. मैने गंगा का जल अपने उपर छिड़का और बस मे पहà¥à¤‚चकर जब सबसे वापस दिलà¥à¤²à¥€ चलने के लिये कहा तो कà¥à¤› लोग बोले जब इतना परेशान हो ही चà¥à¤•े हैं तो अब कल गंगा नहाकर ही चलेंगे. मैने कहा ठीक है जैसी तà¥à¤® सबकी मरà¥à¤œà¥€. बस मे बैठे हà¥à¤ पता नही कब नींद लग गयी. दिन निकल आने के बाद ही नींद खà¥à¤²à¥€.
अब सà¤à¥€ हर की पोड़ी पर चल दिये. तà¤à¥€ हमारे साथ के मनोज जी हर की पोड़ी के सामने बने धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ मे दो कमरे तय कर आये. बोले 500-500 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ मे मिल रहे हैं लेना है. मैने कहा ले लो à¤à¤ˆ थोड़ी देर के लिये ही सही बरसात के करण गंगा का पानी मटमैला था कà¥à¤› लोग नखरे करने लगे. पर बाकी सà¤à¥€ ने तो गंगा मे ढंग से सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया. . नहा कर तैयार होने मे ही सà¤à¥€ को दस बज गये. अब à¤à¥€ कà¥à¤› à¤à¤• तैयार नही हà¥à¤ थे, मैने कहा मै तो नाशà¥à¤¤à¤¾ कर के बस मे बैठने जा रहा हूठतà¥à¤® सब लोग à¤à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ से आ जाओ. जब इतने सारे लोग होते हैं तब सारे अपनी- अपनी मरà¥à¤œà¥€ चलाते हैं. करीब 12 बजे बस मे पहà¥à¤‚चे. अब वापस दिलà¥à¤²à¥€ लौटना था.
Read Moreघंटाघर के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° से पà¥à¤¨à¤ƒ अंदर कदम रखा तो सिकà¥à¤– संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ नज़र आया। सोचा कि चलो, इसे à¤à¥€ देख लिया जाये।  हॉल में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते ही दाईं ओर ऊपर जाने के लिये सीढ़ियां थीं । ऊपर पहà¥à¤‚चा तो लिखा मिला, “फोटो खींचना मना है जी।“ पहले तो बड़े धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से à¤à¤• – à¤à¤• चितà¥à¤° को देखना और उसके नीचे दिये गये विवरण को पढ़ना शà¥à¤°à¥ किया पर फिर लगा कि इतने शहीदों का वरà¥à¤£à¤¨ पढ़ते-पढ़ते मैं à¤à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ ही शहीदों की लिसà¥à¤Ÿ में अपना नाम लिखवा लूंगा। हे à¤à¤—वान ! इतने शहीद यहां और इनके अलावा उनà¥à¤¨à¥€à¤¸ सौ के करीब जलियांवाला बाग में! अब मà¥à¤à¥‡ इस बात का कोई आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ नहीं हो रहा था कि अमृतसर में हर सड़क का नाम किसी न किसी शहीद के नाम पर ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है?
शहीदों के चितà¥à¤° देखते देखते अंतिम ककà¥à¤· में पहà¥à¤‚चा तो देखा कि नवीनतम शहीदों की पंकà¥à¤¤à¤¿ में बेअंत सिंह और सतवंत सिंह के à¤à¥€ बड़े – बड़े तैल चितà¥à¤° लगे हà¥à¤ हैं। पहचाने आप? बेअंत सिंह और सतवंत सिंह वे दोनों अंगरकà¥à¤·à¤• थे जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अंगरकà¥à¤·à¤• के रूप में पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ अपने सिर पर लेकर à¤à¥€ निहतà¥à¤¥à¥€ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ इंदिरा गांधी की हतà¥à¤¯à¤¾ की थी।  मन में सहसा विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ ने सर उठाया। फिर देखा कि à¤à¤• तैल चितà¥à¤° और लगा हà¥à¤† है जिसमें गोलों – बारूद की मार से कà¥à¤·à¤¤-विकà¥à¤·à¤¤ लगà¤à¤— खंडहर अवसà¥à¤¥à¤¾ में अकाल तखà¥à¤¤ का चितà¥à¤° था। अकाल तखà¥à¤¤ की यह दरà¥à¤¦à¤¨à¤¾à¤• सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ आपरेशन बà¥à¤²à¥‚ सà¥à¤Ÿà¤¾à¤° के समय आतंकवादियों को अकाल तखà¥à¤¤ से बाहर निकलने के लिये विवश करने के दौरान हà¥à¤ˆ थी। à¤à¤• आम à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ की तरह मेरा à¤à¥€ मानना है कि अकाल तखà¥à¤¤ की à¤à¤¸à¥€ कषà¥à¤Ÿà¤•र, वेदनाजनक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के लिये यदि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना को दोषी माना जाता है तो वे लोग à¤à¥€ कम से कम उतने ही दोषी अवशà¥à¤¯ हैं जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¿à¤‚डरवाले को अकाल तखà¥à¤¤ में छिप कर बैठने और वहां से à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना पर वार करने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की थी।  अकाल तखà¥à¤¤ की पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ तो उसी कà¥à¤·à¤£ à¤à¤‚ग हो गई थी जब उसमें हथियार, गोले और बारूद लेकर à¤à¤¿à¤‚डरवाले और उसके अनà¥à¤¯ साथियों ने पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया और इस बेपनाह खूबसूरत और पवितà¥à¤° à¤à¤µà¤¨ को शिखंडी की तरह इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया।  वैसे जो लोग राजनीति की गहराइयों से परिचित हैं उनका कहना है कि à¤à¤¿à¤‚डरवाले à¤à¥€ तो कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ का ही तैयार किया हà¥à¤† à¤à¤¸à¥à¤®à¤¾à¤¸à¥à¤° था जिसे कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ ने अकाली दल की काट करने के लिये संत के रूप में सजाया था। असà¥à¤¤à¥ !
Read MoreAfter about two and a half hours we reached Reckong Peo,or Peo, as it is popularly known. Peo is situated at an altitude of around 2200 metres above sea level and is at the base of the Kinner Kailash massif. From here, Kalpa was a short 20 minute drive and by lunch time we reached Kalpa. Our plan was to halt at the PWD rest house, which turned out to be a cottage with an excellent view of the mountains. Staying in Kalpa can be compared to living in the lap of nature. Overlooking the Kinner Kailash range, this is one of the most picturesque  hill stations one can ever visit. This quaint town was once the headquarters of Kinnaur district before it was replaced  by Reckong Peo. The collector’s office has now been taken over by the HP Irrigation Department while the old SP office is now a small police outpost. The old building of the District Hospital is visible behind the new building of a recently constructed Primary Health Centre.  From Kalpa, one can spot the famous Shiva Linga, nestled in the middle of the Kinner Kailash massif. It is a 2 day trek from Kalpa for the strong and sturdy.
Read MoreThe Qutub Shahi tombs have a unique place in the history of Deccan and India as buried here are the rulers of Deccan from 1518, till Aurangzeb captured the Golconda fort by deceit and took the last emperor prisoner and shifted him to Daulatabad. So except for the seventh king Tana Shah (Abdul Hasan Qutub Shah), the previous 6 rulers and other members of the royal family are resting here. F
Read Moreजनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€ का दिन होने के करण मेरी शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी ने वà¥à¤°à¤¤ रखा था. शाम ढल चà¥à¤•ी थी मैने सोंचा कà¥à¤› फल वगैरह ला दू. होटेल से बाहर आकर पूछने पर पता लगा थोड़ा सा आगे बस सà¥à¤Ÿà¥…ंड है वहां पर फल मिल सकते हैं. थोड़ा सा आगे जाने पर à¤à¥€ दà¥à¤•ाने नही नजर आई फिर वहां से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ पहाड़ी लोगो से पूछा, उनका वही जबाव , बस थोड़ा सा आगे चले जाओ. हमारे जैसे लोगो के लिये पहाड़ो पर 100-200 गज चलना ही काफी दूर हो जाता है पर पहाड़ी लोग à¤à¤• किलोमीटर की दूरी à¤à¥€ थोड़ा सा आगे ही बताते है. जैसे-तैसे बस सà¥à¤Ÿà¥…ंड पहà¥à¤à¤šà¤¾. यहाठपर केवल 2-3 दà¥à¤•ाने ही थी जिसमे से à¤à¤• मे थोड़ी सी सबà¥à¤œà¥€, फल रखे थे. फल खरीद कर वापस लौटते समय तक शाम काफी गहरी हो गयी थी. बरसात का मौसम होने के कारण बादलो ने आस-पास का वातावरण ढक दिया था. दूर का साफ नही दिख रहा था. इस समय सड़क पर कोई चहलकदमी नही हो रही थी. मेरे आगे – आगे दो लड़के बाते करते हà¥à¤ जा रहे थे अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ वातावरण मे नीरवता छाई हà¥à¤ˆ थी. मै तेज कदमो से होटेल की तरफ बढ रहा था. à¤à¤¸à¥‡ समय पर पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ बाते याद आ जाती हैं. इससे पिछले वरà¥à¤· मै मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° गया था. मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड मे ही à¤à¤• हिल सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ है. यहाठसे नेपाल की तरफ का हिमालय दिखता है. तो बात कर रहा था मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° की ( बताना आवशà¥à¤¯à¤• हो गया था , कई लोग मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° के नाम से ग़हà¥à¤° मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° समà¤à¤¨à¥‡ लगते हैं.) यहाठमै रेड रूफ रिज़ॉरà¥à¤Ÿ मे ठहरा था. रिज़ॉरà¥à¤Ÿ के मलिक मिसà¥à¤Ÿà¤°. पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª विषà¥à¤Ÿ से बातो ही बातो मे पता लगा की शाम के समय कà¤à¥€-कà¤à¥€ रिज़ॉरà¥à¤Ÿ के सामने ही बाघ आ जाता है. उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ à¤à¤• बाघ की फोटो à¤à¥€ अपने रिज़ॉरà¥à¤Ÿ मे लगा रखी थी जो कि जाड़े के समय उनके रिज़ॉरà¥à¤Ÿ के सामने बैठा हà¥à¤† धूप सेक रहा था. उनके रिज़ॉरà¥à¤Ÿ के पास ही à¤à¤• महिला को होटेल है. बताने लगे कि à¤à¤• दिन शाम का अंधेरा ढल गया था, वह अपनी कार से मेरे रिज़ॉरà¥à¤Ÿ के सामने से गà¥à¤œà¤° रही थी कि तà¤à¥€ अचनक बाघ उनकी कार के सामने आकर खड़ा हो गया. उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ ने कार के बà¥à¤°à¥‡à¤• लगाये, बाघ थोड़ी देर तक खड़ा कार को घूरता रहा फिर छलांग मार कर दूसरी तरफ चला गया. इस समय मà¥à¤à¥‡ वही बात याद आ रही थी कि कहीं यहाठपर à¤à¥€ अचनक बाघ आ गया तब कà¥à¤¯à¤¾ करेंगे. चलते समय होटेल वाले से पूछना à¤à¥‚ल गया था कि इस इलाके मे बाघ तो, वह नही है. खैर रासà¥à¤¤à¥‡ मे बाघ तो नही मिला, सकà¥à¤¶à¤² होटेल पहà¥à¤‚च गया. अगर मिल जाता तो गया था शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी के खाने का इंतजाम करने और बाघ के खाने का इंतजाम कर बैठता. वापस आकर पहले होटेल वाले से पूछा पता लगा यहाठपर बाघ नहीं है.
Read Moreधीरे धीरे चलते हà¥à¤, रà¥à¤•ते हà¥à¤, बैठते हà¥à¤, हम लोग उस दो राहे पर आ गठथे, जंहा से à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾  अरà¥à¤§ कà¥à¤‚वारी की और जाता हैं. और बांये से à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ नीचे की और से माता के à¤à¤µà¤¨ की और जाता हैं. अरà¥à¤§ कà¥à¤‚वारी की और से माता के à¤à¤µà¤¨ पर जाने के लिठहाथी मतà¥à¤¥à¤¾ की कठिन चढाई चढनी पड़ती हैं. और इधर से दूरी करीब साढ़े छह  किलो मीटर पड़ती हैं. जबकि नीचे वाले रासà¥à¤¤à¥‡ से चढाई बहà¥à¤¤  कम पड़ती हैं. और इधर से माता के à¤à¤µà¤¨ की दूरी  करीब पांच किलो मीटर पड़ती हैं.  अरà¥à¤§ कà¥à¤‚वारी माता के à¤à¤µà¤¨ की यातà¥à¤°à¤¾ में ठीक मधà¥à¤¯ में पड़ता हैं. यंहा पर माता का à¤à¤• मंदिर, गरà¥à¤ जून गà¥à¤«à¤¾, और बहà¥à¤¤ से रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट, à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯, डोर मेटà¥à¤°à¥€ आदि बने हà¥à¤ हैं. यंहा पर यातà¥à¤°à¥€ गण थोड़ी देर विशà¥à¤°à¤¾à¤® करके, गरà¥à¤ जून की गà¥à¤«à¤¾, व माता के दरà¥à¤¶à¤¨ करते हैं, फिर आगे की यातà¥à¤°à¤¾ करते हैं. पर हम लोग नीचे के रासà¥à¤¤à¥‡ से जाते हैं, और वापिस आते हà¥à¤ माता के दरà¥à¤¶à¤¨ करते हैं. ये कंहा जाता हैं की माता वैषà¥à¤£à¥‹ देवी इस गà¥à¤«à¤¾ में नो महीने रही थी, और गà¥à¤«à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤° पर हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी पहरा देते रहे थे. à¤à¥ˆà¤°à¥‹ नाथ माता को ढूà¤à¤¢à¤¤à¤¾ घूम रहा था, और माता इस गà¥à¤«à¤¾ से निकल कर आगे बढ़ गयी थी.
हम लोग नीचे वाले रासà¥à¤¤à¥‡ से आगे बढ़ गठथे. मौसम फिर से  खराब होना शà¥à¤°à¥‚ हो गया था. माता के à¤à¤µà¤¨ की यातà¥à¤°à¤¾ के मारà¥à¤— में थोड़ी थोड़ी दूर पर टिन शेड बने हà¥à¤ हैं. जिनमे मौसम खराब होने पर व बारिस होने पर रà¥à¤• सकते हैं. बारिश होने से हम लोग à¤à¥€ à¤à¤• टिन शेड में रà¥à¤• गठथे.
Read Moreतो साहेबान, अपà¥à¤¨ अपने दोनों बैग पैक करके (à¤à¤• में कपड़े, दूसरे में लैपटॉप व कैमरा) नियत तिथि को नियत समय पर नियत रेलगाड़ी पकड़ने की तमनà¥à¤¨à¤¾ दिल में लिये सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ जा पहà¥à¤‚चे। ये नियत तिथि, नियत समय, नियत रेलगाड़ी सà¥à¤¨à¤•र आपको लग रहा होगा कि मैं जरूर कोई अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ पंडित हूं जो यजमान को संकलà¥à¤ª कराते समय “जंबू दà¥à¤µà¥€à¤ªà¥‡, à¤à¤°à¤¤ खंडे, वैवसà¥à¤µà¤¤ मनà¥à¤µà¤¨à¥à¤¤à¤°à¥‡, आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤ देशे†के बाद अमà¥à¤• घड़ी, अमà¥à¤• पल, अमà¥à¤• नगर बोल देता है। हमारे वातानà¥à¤•ूलित कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€à¤¯à¤¾à¤¨ में, जो कि इंजन के दो डिबà¥à¤¬à¥‹à¤‚ के ही बाद में था, पहà¥à¤‚चने के लिये हमें बहà¥à¤¤ तेज़ à¤à¤¾à¤— दौड़ करनी पड़ी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि किसी “समà¤à¤¦à¤¾à¤°â€ कà¥à¤²à¥€ ने हमें बताया था कि C1 आखिर में आता है अतः हम बिलà¥à¤•à¥à¤² पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® के अनà¥à¤¤ में खड़े हो गये थे। जब टà¥à¤°à¥‡à¤¨ आई और C1 कोच हमारे सामने से सरपट निकल गया तो हमने उड़न सिकà¥à¤– मिलà¥à¤–ासिंह की इसà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤² में सामान सहित टà¥à¤°à¥‡à¤¨ के साथ-साथ दौड़ लगाई। परनà¥à¤¤à¥ अपने कोच तक पहà¥à¤‚चते पहà¥à¤‚चते हमारी सांस धौंकनी से à¤à¥€ तीवà¥à¤° गति से चल रही थी। हांफते हांफते अपनी सीट पर पहà¥à¤‚चे तो देखा कि हमारी सीट पर à¤à¤• यà¥à¤µà¤¤à¥€ पहले से ही विराजमान है। तेजी से धकधका रहे अपने दिल पर हाथ रख कर, धौंकनी को नियंतà¥à¤°à¤£ में करते हà¥à¤ उनसे पूछा कि वह – मेरी – सी – ट पर – कà¥à¤¯à¤¾ – कररर – रररही – हैं !!! उनको शायद लगा कि मैं इतनी मामूली सी बात पर अपनी सांस पर नियंतà¥à¤°à¤£ खोने जा रहा हूं अतः बोलीं, मà¥à¤à¥‡ अपने लैपटॉप पर काम करना था सो मैने विंडो वाली सीट ले ली है, ये बगल की सीट मेरी ही है, आप इस पर बैठजाइये, पà¥à¤²à¥€à¤œà¤¼à¥¤
मैने बैग और सूटकेस ऊपर रैक में रखे और धमà¥à¤® से अपनी पà¥à¤¶ बैक पर बैठगया और कपालà¤à¤¾à¤¤à¥€ करने लगा। दो-चार मिनट में शà¥à¤µà¤¾à¤¸-पà¥à¤°à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ सामानà¥à¤¯ हà¥à¤† और गाड़ी à¤à¥€ अपने गंतवà¥à¤¯ की ओर चल दी। मिनरल वाटर वाला आया, à¤à¤• बोतल ली, खोली और डेली डà¥à¤°à¤¿à¤‚कर वाले अंदाज़ में मà¥à¤‚ह से लगा कर आधी खाली कर दी! बीच में महिला की ओर गरà¥à¤¦à¤¨ à¤à¤• आध बार घà¥à¤®à¤¾à¤ˆ तो वही सिंथेटिक इसà¥à¤®à¤¾à¤‡à¤²! मैने अपना बैग खोल कर उसमें से अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼à¥€ की à¤à¤• किताब निकाल ली ! (बैग में यूं तो हिनà¥à¤¦à¥€ की à¤à¥€ किताब थी पर बगल में पढ़ी लिखी यà¥à¤µà¤¤à¥€ बैठी हो तो अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼à¥€ की किताब जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ उपयà¥à¤•à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होती है।) किताब का टाइटिल “Same Soul Many Bodies†देख कर वह बोली,
Read MoreAll of us were full of excitement and adventure and thrill, this was an out of the world experience , now thrill doesn’t stop here, our trainer told that before we reach a cliff for cliff jumping we all will jump in river when he will ask to do. As soon as the last rapid came , he asked us to jump and we did, what a thrill……and excitment, chilled water and strong flow of water, but we are holding a rope tied with raft and floated with raft for 2-3 kms.
Everything stablised once we reached for cliff jumping, this was a jump from approx 30 feet height again a great thing to do. Finishing off just stopped before Rishikesh, came out of river , completely exhausted so had lemon water to claim our energies back. Took a local bus to reach Shivpuri where our vehicle was waiting.
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