
à¤à¤• जिनà¥à¤¦à¤¾-दिल शहर मथà¥à¤°à¤¾ !!!
à¤à¥€à¤¡à¤¼-à¤à¤¢à¤¼à¤•़का, छोटी और तंग सड़कें, यहाà¤-वहाठपड़े कूड़े के ढेर, घंटो बिजली का गà¥à¤² होना, मगर सब जाने दीजिये… ये शहर जिनà¥à¤¦à¤¾ है कà¥à¤¯à¥‚ंकि इस शहर की जिनà¥à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤²à¥€ इसके लोग हैं, à¤à¤•दम मसà¥à¤¤ खà¥à¤¶à¤—वार और धारà¥à¤®à¤¿à¤•ता से औत-पà¥à¤°à¥‹à¤¤â€¦ शहर में चपà¥à¤ªà¥‡-चपà¥à¤ªà¥‡ पर छोटी-छोटी हलवाई की दà¥à¤•ाने |ढूध, दही, लसà¥à¤¸à¥€ और अपने विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ पेड़ों के अलावा ये शहर तो कचोडी और जलेबी की दà¥à¤•ानों से à¤à¥€ अटा पड़ा है| हर दस कदम पर à¤à¤¸à¥€ ही कोई छोटी सी दूकान… और खाने वालों की à¤à¥€à¤¡à¤¼! à¤à¤¸à¤¾ नही की खाने वाले सà¤à¥€ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• या तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ होते हैं, बलà¥à¤•ि हर जगह हमे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोग ही इन दà¥à¤•ानों पर मिले… और à¤à¤• मजेदार बात, यहाठअधिकांश दà¥à¤•ानों पर बैठने की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ à¤à¥€ नही है…..बस पतà¥à¤¤à¥‡ के कटोरे में कचोडी लीजिये या समोसा, उस पर आलू का बिना हलà¥à¤¦à¥€ का à¤à¥‹à¤², साथ में पेठे की कà¥à¤› मीठी सी सबà¥à¤œà¥€â€¦ जो चटनी का काम à¤à¥€ करती है, और यदि मीठे की इचà¥à¤›à¤¾ हो तो वो à¤à¥€ इसी तरह के दोने में| देखिये ये शहर तो परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ का à¤à¥€ कितना खà¥à¤¯à¤¾à¤² रखता है, और अपने कà¥à¤Ÿà¥€à¤° उदà¥à¤¯à¥‹à¤—ों का à¤à¥€ ! और चाय, लसà¥à¤¸à¥€ या दूध के लिठमिटटी के कसोरे(कà¥à¤²à¥à¤¹à¤¡à¤¼), या जो à¤à¥€ आपके षेतà¥à¤° में इनका नाम हो, हाजिर हैं ! दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤µà¤¶ हम शहर वालों को ये नेमतें सिरà¥à¤« किसी अचà¥à¤›à¥€ शादी की दावत में ही मिल पाती हैं| खैर हमारे लिठतो ये à¤à¤• मजाक का सबब बना रहा कि शायद यहाठकोई घर का खाना ही नही खाता, कà¥à¤¯à¥‚ंकि घर पर बनाने से हैं à¤à¥€ किफ़ायती… दस से बारह रूपà¥à¤ªà¤¿à¤¯à¤¾ में दो कचोडी और साथ में आलू का à¤à¥‹à¤² तथा पेठे की सबà¥à¤œà¥€. पांच रà¥à¤ªà¤ में à¤à¤• बड़ा सा जलेबी का पीस! बीस रूपये और खरà¥à¤šà¥‹, तो कà¥à¤²à¤¢à¤¼ में à¤à¤¸à¥€ गाडी लसà¥à¤¸à¥€ कि उसके आगे हलà¥à¤¦à¥€à¤°à¤¾à¤® और बीकानेर वाला à¤à¥€ पानी मांगे !!!तीस- पैंतीस रà¥à¤ªà¤²à¥à¤²à¥€ में à¤à¤¸à¤¾ नाशà¥à¤¤à¤¾, हम à¤à¤¨à¤¸à¥€à¤†à¤° में रहने वालों के लिठतो सपना ही था| मजा आ गया à¤à¤ˆ मथà¥à¤°à¤¾ में तो ! वैसे, यहाठके किसी होटल वगेरा में यदि आपको सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ कà¥à¤› मीठी सी लगे तो हैरान मत होईà¤à¤—ा, कà¥à¤¯à¥‚ंकि यहाठगà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ से बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ आते हैं, जो à¤à¤¸à¤¾ खाना ही पसंद करते है | सडकों पर जगह-जगह बिकता ढोकला à¤à¥€ मथà¥à¤°à¤¾ में गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤à¥€ लोगों की आमद को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है… और वैसे à¤à¥€ मथà¥à¤°à¤¾ और दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¿à¤•ा दोनों कृषà¥à¤£ से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ हैं | अतः गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ में à¤à¥€ कृषà¥à¤£ जी की वही धूम है जो उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में! पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में कृषà¥à¤£ को सोलह कला परिपूरà¥à¤£ बताया गया है जो कि किसी à¤à¥€ अवतार के लिठसरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• है, à¤à¤¸à¥‡ में कानà¥à¤¹à¤¾ और उनसे जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ शहर कà¥à¤› तो अधिक मधà¥à¤° होगा ही…
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