वहाठचाय पीने के दोरान पता लगा की वहाठसे “नैना देवी” का मंदिर पास में ही है, तो सरà¥à¤µ सहमति से निरà¥à¤£à¤¯ लिया गया की पहले नैना देवी के दरà¥à¤¶à¤¨ कर लेते है फिर आगे का सफ़र तय करा जायेगा . ढाबे से निकलने के बाद हमारा अगला उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ नैना देवी का मंदिर था, थोड़ी देर में शायद आनंदपà¥à¤° साहिब से आगे निकलने पर हमें पहाड़िया मिलनी शà¥à¤°à¥‚ हो गयी जिनà¥à¤¹à¥‡ देखकर हम सà¤à¥€ की ख़à¥à¤¶à¥€ का कोई ठीकाना ही नहीं था, पहाड़ियो पर गाड़ी तो जीजा जी चला रहे थे पर अब हम à¤à¥€ पीछे की सीट पर सतरà¥à¤• मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में बेठकर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ आगे के रासà¥à¤¤à¥‡ पर लगाये हà¥à¤ थे और सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° नजरो का आनंद लिठजा रहे थे।
थोड़ी देर में हम पूछते पाछते नैना देवी के मंदिर के नीचे तक पहà¥à¤š गठथे जहा पर गाड़िया बड़ी ही बेतरतीब से पारà¥à¤• करी हà¥à¤ˆ थी, वहाठमूलत जो पारà¥à¤•िंग थी वो बड़ी ही सीढ़ी सी पहाड़ी पर ऊपर जाकर थी जहाठगाड़ी चढ़ाने की हिमà¥à¤®à¤¤ दिखने की हमने सोचा तक नहीं और वही पहाड़ी के नीचे ही और गाडियो की तरह ही हम à¤à¥€ आपनी गाड़ी à¤à¤• तरफ खड़ी करके और सामने दà¥à¤•ान पर बेठी à¤à¤• आंटी को कà¥à¤› पैसे देकर गाड़ी की देखà¤à¤¾à¤² करने का बोल कर नंगे पैर माता के दरà¥à¤¶à¤¨ को चल दिà¤à¥¤
सामने से देखने पर कà¥à¤› दà¥à¤•ानो के छोटे से à¤à¥à¤£à¥à¤¡ की तरह दिखने वाले रासà¥à¤¤à¥‡ से होते हà¥à¤ हम आगे बढ़े तो मंदिर तक पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ के लिठसीडिया शà¥à¤°à¥‚ हो जाती है, वही ऊपर की तरफ चढ़ते हà¥à¤ ही हमें कà¥à¤› à¤à¤•à¥à¤¤ देवी माठकी बड़ी सी छड़ी लेकर देवी के दरबार में जाते हà¥à¤ दिखे जो की बड़े ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° माठके à¤à¤œà¤¨ गाते हà¥à¤ जा रहे थे।
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