जिस नंबर पर आप संपरà¥à¤• करना कहते हैं वो अà¤à¥€ सà¥à¤µà¤¿à¤š ऑफ है या नेटवरà¥à¤• छेतà¥à¤° से बहार है… ऋषिकेश में शà¥à¤¬à¤¹ के 4:30 बज रहे थे और मेरी इस यातà¥à¤°à¤¾ के साथी पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤‚त ने मà¥à¤à¥‡ यहीं मिलना था लेकिन उसका फ़ोन सà¥à¤µà¤¿à¤š ऑफ आ रहा था। मै दिलà¥à¤²à¥€ से 16 जून की रात को चला था और पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤‚त देहरादून से आकर रात बिताने के लिठऋषिकेश में किसी होटल में ठहरा हà¥à¤† था और सà¥à¤¬à¤¹ हम दोनों को मिलकर उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी की ओर रवाना होना था। पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤‚त ने मà¥à¤à¥‡ रात को ही बता दिया था की वो किस होटल में ठहरा है लेकिन मà¥à¤à¥‡ होटल का नाम याद नहीं था, बस इतना याद था की होटल तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤£à¥€ घाट के पास है। अब समठमें नहीं आ रहा था की कà¥à¤¯à¤¾ किया जाà¤à¥¤ सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ सड़क पर à¤à¤•दम सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ था और मै इधर उधर टहल कर टाइम पास करने लगा की तक़रीबन बीस मिनट बाद मेरे फ़ोन की घंटी बजी, देखा की पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤‚त का ही फ़ोन है। मै पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤‚त के बताये हà¥à¤ रसà¥à¤¤à¥‡ पे चल पड़ा और कà¥à¤› ही मिनटों में उसके होटल के कमरे में पहà¥à¤à¤š गया।
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