Uttarakhand

हरिद्वार से यमनोत्री

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मंदिर पहुँच कर  गर्म कुंड मे स्नान किया. यहाँ पर काफ़ी भीड़ थी. पर स्नान मे कोई दिक्कत नही हुई. कुंड का  जल ज़्यादा गर्म ना हो इसलिए ठंडे पानी की  पतली धार कुंड मे गिर रही थी. और यह ज़रूरी भी था क्योकि इस कुंड से उपर दिव्य शिला पर जो कुंड है उसमे तो इतना गर्म पानी है कि सभी लोग पूजा के चावल उसमे पकाते है. जैसा कि  मैने पढ़ा था की दर्शन से पहले मंदिर के बाहर दिव्या शिला का पूजन करते है उसके बाद दर्शन के लिए जाते है. गर्म कुंड मे स्नान कर के कपड़े बदल ही रहा था कि  तभी पंडा लोग आ कर पूजा करने का आग्रह करने लगे. पूजा तो करनी ही थी मैने पूजा से पहले  पंडा से पूछ  लिया की कितने पैसे लोगे पर सभी कह रहे थे आप अपनी श्रधा  से दे देना. कई लोगो ने डरा दिया था की यहाँ पंडा लोग बहुत पैसे  ले लेते है. इसलिए मैने पहले ठहरा लेना उचित समझा. जब वह श्रधा  की बात करने लगे तो मैने कहा 201 रुपये दूँगा. वह बोले ठीक है अब हम अपने परिवार के साथ उनके  मंदिर के पास बने प्लेटफोर्म पर पहुचे. यहाँ पर बहुत सारे लोगो को पंडा लोग पूजा करवा रहे थे एक जगह बैठा कर पूजा करनी शुरू की. मै  समझा करता था कि   कोई शिला  होगी पर शिला तो कोई नज़र नही आई तब मैने पंडा जी से पूछा तो उन्होने बताया की जिस स्थान पर बैठे है यही दिव्या शिला है. पूजा के बाद पंडा जी ने कहा, अब आप लोग माँ  यमुना जी के दर्शन कर लो जब तक आपके चावल भी पक जाएँग. यमञोत्री मे प्रसाद  के रूप मे चावल गर्म कुंड मे पका कर यात्री ले जाते है. मंदिर मे ज़्यादा भीड़ नही थी माँ यमुना की मूर्ति काले पत्थर की  बनी है उनके साथ माँ  गंगा की भी मूर्ति स्थापित है. दर्शन कर  के बाहर आया तब तक पंडा गर्म कुंड मे पके हुए चावल की पोटली ले कर आ गये. मैने कही पढ़ा था की यहाँ एक ऋषि रहते थे जो रोज गंगा नहाने पहाड़ पार कर के गंगोत्री जाते थे जब वह काफ़ी उम्र  के हो गये और पहाड़ पार  कर जाना संभव नही हुआ तब माँ  गंगा से उन्होने प्राथना की तब गंगा वही प्रकट हो गई . कहते है यहाँ यमनोत्री मे एक धारा गंगा की भी  बहती है. मैने जब इस बारे मे पंडा जी से पूछा तब उन्होने अनभीग्यता प्रकट की. अब मैने सोचा की यहाँ तक आए है तो यमुना जी का जल तो ले चलना चाहिए. मंदिर के साथ से ही यमुना जी बह रही है. 1-2 लोग वहाँ पर जल ले रहे थे मैने भी एक बोतल मे जल भरा,  पत्नी और बच्चो को भी बुला कर यमुना जी के दर्शन कराए. एक तरह से यहाँ पर यमुना जी पहले दर्शन होते है. यमुना जी का जल एक दम स्वच्छ  पारदर्शी है और पीने मे बहुत अच्छा लगा यही जल दिल्ली पहुच कर किस अवस्था मे हम कर देते है यह तो दिल्ली वाले ही जानते है. जल इतना ठंडा था कि   बड़ी मुश्किल से बोतल मे भर पाया.

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भाग1 – नॉएडा से ऋषिकेश।

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इन दो धोकेबाजो का नाम गौरव और हुज़ेफा है। ये दोनों हमारी कंपनी की इंदौर वाली शाखा मे काम करते थे। बाकि के दो लोग मैं और राहुल नॉएडा वाली शाखा मे थे। प्लान के मुताबिक इंदौर निवासियों को 19-नवम्बर-2010 को नॉएडा पहुँचना था। हमारी शिफ्ट शाम के 05:30 बजे से सुबह के 02:30 बजे खत्म होती थी। ये दोनों 18 तारीख गुरुवार की रात की ट्रेन पकड़ कर 19 तारीख शुक्रवार सुबह दिल्ली पहुँच चुके थे। जैसी की मैंने बताया था की कंपनी मे “वर्क फ्रॉम होम” की सुविधा थी तो इन लोगों ने एक भी छुट्टी नहीं ली थी। ट्रेन से ही datacard के माध्यम से ऑफिस का काम भी कर डाला और सकुशल दिल्ली भी पहुँच गए।

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मोटरसाइकिल से दिल्ली – मंसूरी /धनोल्टी यात्रा

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सहस्त्रधारा में अंदर घुसते ही 10 रूपये/बाइक एंट्री फीस लगती है जो हमने दिया और अंदर चले गए. वहाँ जाकर हमने बाइक को एक दुकान के आगे खड़ा किया और दुकान वाले से दो लॉकर किराये पर लिया (50 रूपये एक लाकर ). अपना बैग और सामान लाकर के अंदर रखने के बाद हमने दुकान वाले को चाय नाश्ता के लिए बोला और पानी में नहाने के लिए चले गए.

अंदर पानी बहुत ही ठंडा था और वहाँ पर स्थानीय लोगो ने जगह-जगह दिवार बनायी थी इसलिए वह किसी स्विमिंग पूल की तरह दिख रहा था.
थोड़ी देर नहाने के बाद हम लोगो ने सहस्त्रधारा किनारे बैठ के चाय और परांठे खाये।

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Trip to Auli-Joshimath-Badrinath-Mana

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We hired a car to drop us to the ‘MANA VILLAGE’, 3 kms from badrinath then it was a walking distance of 1km to reach for ‘Vyas gufa’ where it is believed that ‘Vyas ji’ wrote ‘Mahabharata’. Walking more, made us reach a hill in the shape of a book, VYAS POTHI where ved vyas ji worked on the 17 ‘adhyaya’ and finding himself not so satisfied, created the 18th one there walking more, took us to the ‘Bheempul’ where Bheem kept a large stone on the ‘Saraswati nadi’ to help Draupadi cross the river. Saraswati river is really scary the sound of the flowing water was a roar with the help of some snacks, chilled water, our stomachs were not starving.

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Going Crazy in Mukteshwar and Nainital

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Nainital was just 10 kms from Bhowali and the road went uphill. So we decided to board the cab at last. Nainital meant the usual activity of walking around the Naini Lake, One hour in peddle boats and a shopping spree on the mall road.

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दिल्ली से कैंची धाम और नैनीताल की यात्रा दो दिनो मैं

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कैंची धाम पहुँच कर के वहाँ पहाड़ी नींबू का शर्बत पिया और मंदिर मैं जा कर के थोड़ी देर मंदिर परिसर मैं बाबा के आसन के पास बैठा रहा, मैं जब वहाँ मंदिर परिसर मैं बैठा हुआ था तो मन मैं शांति का एहसास हो रहा था और बिलकुल भी इच्छा नहीं हो रही थी की मैं वहाँ से जाऊँ, पहले सोचा था की मंदिर परिसर मैं सिर्फ 10 मिनट तक रहूँगा लेकिन मैं उससे काफी ज़्यादा समय तक वहीं रहा और नहीं जानता कितनी देर तक बस वहाँ बैठ कर के मैं उस शांति के एहसास को महसूस कर रहा था, लेकिन मुझे वहाँ से चलना ही था मेरे पास समय की कमी थी शायद कभी मैं वहाँ फिर जा कर के एक या दो दिनो तक का समय बिताऊँ।

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My Delhi-Rishikesh monsoon round-trip, in less than INR 1000

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I know swimming very well in flowing water so thinking to swim inside Ganga without hold any chain in hand, so I walked till last bridge and suddenly jumped inside.

Peoples were surprised and thinking that someone has fallen inside Ganga, but they relaxed when saw that I was swimming. After I came out from Ganga, many people’s told me that to not dare do it but I know my limit so I told them not worry about it.

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एक दिन की लैंसडाउन यात्रा

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प्रोग्राम तय हुआ की बाइक से लैंसडाउन चला जाए, क्योकि मुज़फ्फर नगर से ये सबसे नजदीक का हिल स्टेशन पड़ता हैं, सुबह ठीक ६ बजे हम लोग निकल पड़े, पहला पड़ाव हुआ कोटद्वार में, एक चाय की दुकान पर जाकर रुके, एक – एक कप चाय और एक – एक मठरी खाकर आगे चल पड़े, दूर से सिध्बली बाबा के दर्शन हुए, मनोहर कहने लगा पहले दर्शन करते हैं, मैं बोला वापिस आते हुए करेगे, ये तो एक टोक लगनी थी, माफ़ कीजियेगा अपनी मुज़फ्फरनगर वाली बोली बोल रहा हूँ, पहाड़ पर अपनी चढ़ाई शुरू हो चुकी थी, हमारी बजाज प्लेटिना धीरे धीरे चढ़ रही थी. 

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Trip to Nainital – Lake View

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We hired a cab from Kathgodam that drove us through many a switchbacks and hairpin curves to Nainital in pitch darkness of early morning. It was a clear sky with bright constellations shining overhead – immaculate and sinless.

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Delhi to Gangotri, peace at Gaumukh

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You are covered by Mountains on either side and from front Gangotri Glacier. We spent close to 1 hrs. at Gaumukh.After taking chilly holy dip at Gaumukh we decided to return. On this stretch, returning too is tough because for many kms. You have to walk on pointed heavy stones.

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To Chakrata, with my family and two dogs

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We , walked uphill and reached a lonely, newly built cottage which was uninhabited at that moment. We sat on the porch of the cottage and watched the color of the sky slowly changing as the sun started descending. The valley down below looked so beautiful. Smoke was coming out of the chimneys of some mud huts. The villagers have lit up the chulhas

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