पंचवटी की यातà¥à¤°à¤¾ – à¤à¤¾à¤— २
पंचवटी का शाबà¥à¤¦à¤¿à¤• अरà¥à¤¥ है, “पांच बड़/बरगद के वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से बना कà¥à¤žà¥à¤œâ€. अब हम उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर रहे थे, जहाठरामायण काल में शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤®, लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ और सीताजी ने निवास किया था. परà¥à¤£à¤•à¥à¤Ÿà¥€ तो इतने दिनों तक अब शेष नहीं रह सकती. पर पांच वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से घिरा वह कà¥à¤žà¥à¤œ आज à¤à¥€ शेष दिखाया जा रहा है. सà¤à¥€ पांच वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ पर नंबर लगा दिठगठथे, ताकि लोग उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देख कर गिन सकें. वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में उन पांच वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ के कà¥à¤‚ज के बीच से ही पकà¥à¤•ा रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ बना हà¥à¤† था, जिस पर à¤à¤• ऑटो-सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड à¤à¥€ मौजूद था और साधारण यातायात चालू था. बरगद के वे वृकà¥à¤· काफी ऊà¤à¤šà¥‡ हो गठथे. शà¥à¤°à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं ने उन वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की पूजन सà¥à¤µà¤°à¥‚प उनपर कचà¥à¤šà¥‡ धागे à¤à¥€ लपेटे थे. हमलोगों ने पहली बार पंचवटी से साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार किया.
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