07 Jul

अमरनाथ यात्रा (पहलगाम – चंदनवाड़ी – शेषनाग )

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पिस्सू टॉप की चढ़ाई वास्तव मे एक  कठिन चढ़ाई   है. घोड़े  पर बैठे हुए डर  लग रहा था. इससे  पिछले  वर्ष हम केदारनाथ यात्रा पर गये थे , वाहा 14 किलोमीटर की चढ़ाई  है, हम उस रास्ते को देख कर सोचते  थे कि कितना कठिन रास्ता है परंतु यहा तो रास्ता ही नही था रास्ते के नाम पर उबड़ -खाबड़ पगडंडी है, कई जगह पर तो ऐसा लगा की अब गिरे तो तब गिरे. सबसे बरी दिक्कत तो तब होती है जब घोड़ा पहाड़ से नीचे को उतरता  है.ऐसा लगता है , कई लोग गिर भी जाते है, पिस्सू टॉप से शेषनाग के बीच एक बहुत सुंदर झरना गिर रहा है उसके थोड़ा पहले हमे घोड़े  वाले ने उतार दिया और बताया यहाँ से लगभग 1 किलोमीटर . आगे तक पैदल चलना होगा क्योकि घोड़े  से जाने का रास्ता नही है. अब हम पैदल आगे चल दिए, रास्ते  मे वर्फ़ के  ग्लेसियार के बाद  खूबसूरत झरना बह रहा था, 

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Motorcycle Diaries. Road to Ladakh (Leh to Hunder)

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While descending, I saw the River Shyok flowing at a distance. As I rode further, I came across the road widening into sandy plains long-drawn-out between the rows of mountains. I stopped and filled in the changing views – the river, the mountains, barren sandy plains on which the roads look like thin, dark lines drawn till horizon. Hereinafter came several small villages, where kids would waved at me, tempting me to given them a Hi-five! The mountains around me were full of gravel, which threatened to come down anytime! This was indeed one of the most unusual places on the planet!

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सिल्वन लेक और कैनेडा डे

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जुलाई 1 को कैनेडा डे मनाया जाता है और यह सार्वजनिक अवकाश होता है. मैं इस दिन सिल्वन लेक जाने का प्रोग्राम बना लेता हूँ. विशाल भी मेरे साथ था. सिल्वन लेक फोर्ट सस्केच्वन से 200 किमी है. सुबह जल्दी चल कर नाश्ते के लिए टिम होरटन पहुँच जाते हैं. टिम होरटन कैनेडा में बहुत मश्हुर है. यह कैनेडीअन का है, इस लिए अमेरिकन रेस्तराँ से ज्यादा लोकप्रिय है. फोटो में SUV ( गाड़ी ) ड्राइव थरु पर जा रही है. आप जो दो बॉक्स देख् रहें हैं, उसमें माइक और स्पीकर लगा हुआ है. चालक अपना ऑर्डर माइक पर बता देगा, जैसे ही वह खिड़की पर पहुँचेगा, उसका ऑर्डर त्यार होगा. पैसे चुका कर वह गाड़ी ड्राइव करते हुए अपना ब्रेकफास्ट एन्जॉय करेगा. पर मैं आप को काउंटर पर ले कर चलता हूँ.

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आ पहुंचे हम श्रीनगर – कश्मीर

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इस सड़क की एक और विशेषता यह है कि उस सड़क पर पर्यटकों की भरमार होने के कारण स्कूटर, मोटर साइकिल, हाथ ठेली पर ऊनी वस्त्र बेचने वाले हर रोज़ सुबह-शाम भरपूर मात्रा में दिखाई देते हैं।  रात को हम खाना खा कर लौटे तो भी वहां बहुत भीड़ लगी थी और सुबह आठ बजे तक वहां ऐसे दुकानदारों का अंबार लग चुका था।  कुछ स्कूल भी आस-पास रहे होंगे क्योंकि छोटे-छोटे, प्यारे – प्यारे, दूधिया रंग के कश्मीरी बच्चे भी स्कूली वेषभूषा में आते-जाते मिले। कुछ छोटे बच्चों को जबरदस्ती घसीट कर स्कूल ले जाया जाता अनुभव हो रहा था तो कुछ अपनी इच्छा से जा रहे थे। भारतीय सेना की एक पूरी बटालियन वहां स्थाई कैंप बनाये हुए थी। हमारे होटल के बिल्कुल सामने सड़क के उस पार सेना के सशस्त्र जवान केबिन बना कर उसमें पहरा दे रहे थे। मुझे आश्चर्य हो रहा था कि यहां तो बिल्कुल शान्ति है फिर इतनी सतर्कता की क्या जरूरत है? पर जैसा कि एक सेना के अधिकारी ने मुझे अगली सुबह गप-शप करते हुए बताया कि यहां शांति इसीलिये है क्योंकि हर समय सेना तैयार है।  अगर हम गफलत कर जायें तो कब कहां से हिंसा वारदात शुरु हो  जाये, कुछ नहीं कहा जा सकता।   दो दिन बाद, 18 मार्च को हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच में एक दिवसीय क्रिकेट मैच था ।  हमारा ड्राइवर प्रीतम प्यारे गुलमर्ग से लौटते समय बहुत तनाव में था क्योंकि दोपहर तक पाकिस्तान का पलड़ा भारी नज़र आ रहा था।  वह बोला कि अगर पाकिस्तान मैच जीत गया तो शाम होते – होते कश्मीर की स्थिति विस्फोटक हो जायेगी । 

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Motorcycle Diaries. Road to Ladakh…at Khardung La

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Once I arrived at the Pass, it took me a while to get myself and True photographed next to the signboard which says “Khardung La, 18380ft, Highest Motorable Road in the world” – there were so many tourists around – I could see people from all part of the country and the world!
You see the above colourful signage? It belongs to the café at the Pass, claiming itself to the highest café of the world; where one can have a much-needed cup of green tea along with some snacks.
The walls of this café speak about the story of Maggi! A very interesting read…

Now, you’d be surprised – Airtel works here! After all the troubles I had with the network all through the journey, it was a pleasant surprise! Did you notice the tower in the adjoining image?

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जम्मू से श्रीनगर राजमार्ग पर एक अविस्मरणीय यात्रा

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ऐसे ही एक विलक्षण और ऐतिहासिक ट्रैफिक जाम में पंकज और मैं कार से उतरे और काफी आगे तक जाकर जायज़ा लिया कि करीब कितने किलोमीटर लंबा जाम है। यातायात पुलिस के सिपाहियों को जाम खुलवाने के कुछ गुरुमंत्र भी दिये क्योंकि सहारनपुर वाले भी जाम लगाने के विशेषज्ञ माने जाते हैं। हम अपनी कार से लगभग १ किलोमीटर आगे पहुंच चुके थे जहां गाड़ियां फंसी खड़ी थीं और जाम का कारण बनी हुई थीं। आगे-पीछे कर – कर के उन तीनों गाड़ियों को इस स्थिति में लाया गया कि शेष गाड़ियां निकल सकें। वाहन धीरे – धीरे आगे सरकने लगे और हम अपनी टैक्सी की इंतज़ार में वहीं खड़े हो गये। सैंकड़ों गाड़ियों के बाद कहीं जाकर हमें अपनी सफेद फोर्ड आती दिखाई दी वरना हमें तो यह शक होने लगा था कि कहीं बिना हमें लिये ही गाड़ी आगे न चली गई हो। ड्राइवर ने गाड़ी धीमी की और हमें इशारा किया कि हम फटाफट बैठ जायें क्योंकि गाड़ी रोकी नहीं जा सकती। जैसे धोबी उचक कर गधे पर बैठता है, हम कार के दरवाज़े खोल कर उचक कर अपनी अपनी सीटों पर विराजमान हो गये। पांच सात मिनट में ही पंकज का दर्द में डूबा हुआ स्वर उभरा! “मैं तो लुट गया, बरबाद हो गया।“ मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि पंकज एक मिनट के लिये भी मेरी दृष्टि से ओझल नहीं हुआ था तो फिर ऐसा क्या हुआ कि वह लुट भी गया और मुझे खबर तक न हुई। रास्ते में ऐसा कोई सुदर्शन चेहरा भी नज़र नहीं आया था, जिसे देख कर पंकज पर इस प्रकार की प्रतिक्रिया होती। गर्दन घुमा कर पीछे देखा तो पंकज भाई आंखों में ढेर सारा दर्द लिये शून्य में ताक रहे थे। उनकी पत्नी चीनू ने कुरेदा कि क्या होगया, बताइये तो सही तो बोला,

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इंदौर – मध्य प्रदेश का कोहिनूर / ट्रेज़र आईलेंड में सैर सपाटा

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ट्रेज़र आईलेंड के मुख्य आकर्षणों में Max Retail, PVR, McDonalds, Pizza Hut आदि हैं, और ये सब मध्य प्रदेश में सबसे पहले यहीं यानी इंदौर के ट्रेज़र आईलेंड में ही शुरू हुए. हर बजट को सूट करती हुई शौपिंग के लिए इंदौर में ट्रेज़र आईलेंड से बढ़कर और कोई जगह नहीं है. इंदौर के युवाओं की तो यह जगह पहली पसंद है. लैंडमार्क ग्रुप ने भारत में अपने पहले रिटेल स्टोर की शुरुआत ट्रेज़र आईलेंड इंदौर से ही की थी. यह मॉल नॉएडा तथा गुडगाँव के मॉल्स की टक्कर का है. सभी उम्दा ब्रांड्स के शोरूम्स से सजे धजे इस मॉल में स्टेट ऑफ़ आर्ट एस्केलेटर्स भी लगे हैं. यह इंदौर ही नहीं समूचे मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा मॉल है. इंदौर के लोगों के लिए तो ट्रेज़र आईलेंड किसी टूरिस्ट स्पॉट से कम नहीं है.

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Panch Prayag, Joshimath, Auli – All the Way to Badrinath – Part II of II

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Badrinath might be a famous pilgrim spot, yet it is no less known for its exquisite natural beauty. The unparallel beauty and overpowering tranquillity explain why Gods had chosen this place to build their abode. Badrinath was another 44 kms from Joshimath and is situated at an altitude of 3,133 meters above sea level. The resident deity of Badrinath temple is Lord Vishnu.

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Motorcycle Diaries. Road to Ladakh (Sarchu – Leh)

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After 20kms of very good roads, we hit the under-construction roads. Bad, very bad they were! It was as if I was riding perennially over speed-breakers! The area appeared uninhabitable and has no construction at all, and also no population, save the migrant construction workers. Its was an extremely tiring and tedious ride; we also were forced from time to time to off-road into sand and ride wherever the roads were blocked for construction – BRO is constructing a two-lane road here. I always find riding in sand really painful and painful it was even this time. As we ascended, the road became worse – it is all under construction. Heavy amount of gravel on the road made the ride very tiring and I was in fact forced to stop several times before reaching Taglang La – the second highest motorable pass of the world. This was the worst patch to ride till now.

Despite a mild headache (one shouldn’t wait at high Passes in such case), I rested at the Pass for a good 15minutes. I needed it, badly!

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Motorcycle Diaries. Road to Ladakh (Kaza – Keylong – Sarchu)

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Bara-lacha La was all clad in snow. Luckily the roads were devoid of any snow, making it easy of us riders to sail through. You’d notice that unlike other key milestones, I haven’t posted any image of a plaque reading Bara-lacha La – actually, I could’nt take any – there was a huge jam ahead, as we climbed up the Pass. I saw an oil-tanker overturned and fallen out of the road, taking the signage with it! Thankfully, the truck hadn’t taken the plunge. It seemed to be a very recent accident – the driver of the truck was safely back on road and was assessing the damages done. The Border Roads Organization that manages these roads was very quick to respond; they had already arrived with a crane and were working out a rescue plan.

Advantage Biker! We quickly made our way through the mounting traffic and descended to the famous Bharatpur – our lunch halt of the day. This place is something – all full of colourful dhabas!

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कश्मीर चलना है क्या?

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कोच नं० C-6 में प्रवेश कर के, मेरी पत्नी ने पूछा कि कौन – कौन सी बर्थ हैं तो पंकज का जवाब आया – “20 – 21” | मैने पूछा “और बाकी दो?” पंकज ने रहस्यवाद के कवि की सी भाव भंगिमा दोनों महिलाओं की ओर डाली और मेरे कान के पास आकर धीरे से बोला, “अभी दो ही कन्फर्म हुई हैं, बाकी दो यहीं गाड़ी में ले लेंगे।“ मेरी पत्नी को हमेशा से अपनी श्रवण शक्ति पर गर्व रहा है। बात कितनी भी धीरे से कही जाये, वह सुन ही लेती हैं! इस मामले में वह बिल्कुल मेरे बड़े बेटे पर गई हैं! जब वह यू.के.जी. में पढ़ता था तो उसे घर के किसी भी दूर से दूर कमरे में पढ़ने के लिये बैठा दो पर उसे न सिर्फ टी.वी. बल्कि हम दोनों की बातचीत भी सुनाई देती रहती थी। बीच – बीच में आकर अपनी मां को टोक भी देता था, “नहीं मम्मी जी, ऐसी बात नहीं है। स्कूल में मैम ने आज थोड़ा ही मारा था, वो तो परसों की बात थी !

सिर्फ दो ही शायिकाओं का आरक्षण हुआ है, यह सुनते ही दोनों महिलाओं के हाथों के तोते उड़ गये। मेरी पत्नी तो बेहोश होते होते बची ! तुरन्त दीवार का सहारा लिया, बीस नंबर की बर्थ पर बैठी, फिर आहिस्ता से लेट गई। पानी का गिलास दिया तो एक – दो घूंट पीकर वापिस कर दिया और ऐसी कातर दृष्टि से मेरी ओर देखा कि मेरा भी दिल भर आया। पंकज की पत्नी ने भी तुरन्त 21 नंबर बर्थ पर कब्ज़ा जमाया और पंकज से बोली, “अब आप पूरी रात यूं ही खड़े रहो, यही आपकी सज़ा है। हम दोनों बेचारी शरीफ, इज्जतदार महिलाओं को धोखा देकर ले आये। हमें पता होता कि टिकट कन्फर्म नहीं हुए हैं तो घर से बाहर कदम भी नहीं रखते!”

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Motorcycle Diaries. Road to Ladakh… (Delhi – Kaza)

Motorcycle Diaries. Road to Ladakh… (Delhi – Kaza)

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As I rode though barren patches, I would not help admire the exquisiteness of the rocks all around – they were as spellbinding as the Grand Canyon, all through the journey on the Indo-China border. No images can describe this splendor!

During last 100kms, as the terrain turned bad to worse, I had consumed all my water. Thirsty and tired, I found water only at Dubling, after riding for over 3.5 hours. As I gulped down water, I couldn’t help observe that the same Kinley packaged water bottle we paid Rs.40/- at the HPTDC hotels (a premium of double the cost!) was being sold by this mom-&-pop shop at the MRP!

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