केदारताल यातà¥à¤°à¤¾- वापस दिलà¥à¤²à¥€ के लिà¤
अगली सà¥à¤¬à¤¹ हमारे कहने के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• होटल सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« ने हमे पाà¤à¤š बजे उठा दिया। नहा धो कर हम अपना सामन लेकर टैकà¥à¤¸à¥€ सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ वहां ऋषिकेश के लिठजीप लगी हà¥à¤ˆ थिस लेकिन हम ही पहली सवारी थे। जब तक सवारी पूरी न हो जाये मतलब ही नहीं बनता की जीप चले। वहीठà¤à¤• टेमà¥à¤ªà¥‹ टà¥à¤°à¤µà¥‡à¤²à¥‡à¤° à¤à¥€ खड़ा था जो देहरादून जा रहा था।  उसमे कई सवारियां बैठी हà¥à¤ˆ थी और उमà¥à¤®à¥€à¤¦ थी की वो पहले चलेगा। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° से बात की तो पता चला की पहले à¤à¥€ चलेगा और जितनी देर हमे ऋषिकेश पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ में लगेगी उससे डेड घंटे पहले ही वो हमे देहरादून पंहà¥à¤šà¤¾ देगा। फिर सोचना  कà¥à¤¯à¤¾ था, हम टेमà¥à¤ªà¥‹ टà¥à¤°à¤µà¥‡à¤²à¥‡à¤° में सवार हो गठऔर गाडी फà¥à¤² होते ही  देहरादून के ओर चल पड़े जहाठसे मà¥à¤à¥‡ वापस दिलà¥à¤²à¥€ की गाड़ी पकड़नी थी। केदारताल यातà¥à¤°à¤¾ लगà¤à¤— समापà¥à¤¤ हो चà¥à¤•ी थी और ये मेरी सबसे यादगार यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं में से à¤à¤• रही…
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