Oasis of peace and joy in the centre of Pushkar – Hotel Navratan Palace
In the last three posts of this series I have described everything about our short tour of Ajmer and Pushkar, now through this final…
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Read MoreFriends, in my previous post of this series I had mentioned about the Pushkar lake (Sarovar). Now in this post I’ll take you the…
Read MoreShivam is very much fond of bathing in River and sea so he started taking off his cloths and I was also excited to take a holy dip as soon as possible, so without wasting time we both put our first step in the pond, since it was hot that time so we felt this bath pleasant.
Read MoreFor a true Royal Enfield enthusiast, a long ride is always a pleasure, and last weekend was one such gratifying ride. I was meaning to drive to Ajmer for a good while now. Last weekend, Nitin, my younger brother and a recently-christened biking-enthusiast, encouraged the idea and we geared up for a good 750km ride
Read MoreDriving on petrol is a pain and it ruins your ghumakkarness. Therefore I bought a new diesel IKON on this Dhanteras. On the day…
Read Moreपर्यटकों को लुभाने वाली तमाम जगहों से भरी राजस्थान की धरती में पुष्कर का एक अलग स्थान है, क्योंकि बाकी जगहों की तरह यहाँ कोई रेगिस्तान, महल या किला नहीं है, पुष्कर पूरे विश्व में अपनी पहचान रखता है अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए I पूरे विश्व में ब्रह्मा जी का अकेला मंदिर पुष्कर में ही है, इस कारण हिन्दू धर्म में पुष्कर का एक बहुत ख़ास स्थान तो है ही पर उसके अलावा पुष्कर की इस विश्व स्तरीय पहचान के पीछे, हर साल कार्तिक के महीने में आयोजित होने वाले पुष्कर मेले की अहम् भूमिका है I साल के वो आठ दिन जब ये मेला चलता है, तो पुष्कर देश ही नहीं पूरी दुनिया के मानचित्र में होता है I
Read Moreन्दिर से बाहर आ जायो तो ये शहर वही है, जिसका तिलिस्म आपको चुम्बक की तरह से अपनी और आकर्षित करता है | शहर की आबो-हवा मस्त, गलियाँ मस्त, जगह-जगह आवारा घूमती गायें मस्त और सबसे मस्त और फक्कड़ तबियत लिये हैं इस शहर के आम जन और साधू | हर मत, सम्प्रदाय के साधू आपको पुष्कर की गलियों में मिल जायेंगे, हाँ, ये बात अलग है कि असली कौन है और फर्जी कौन इसकी परख आसान नही | मोटे तौर पर सबकी निगाह फिरंगियों पर होती है और फिर फिरंगी भी बड़े मस्त भाव से महीनो इनके साथ ही घूमते रहते हैं, पता नही भारतीय दर्शन के बारे में कितना वो जान पाते होंगे या कितना ये बाबा लोग उन्हें समझा पाते होंगे पर इन्हें देखकर तो पहली नज़र में कुछ यूँ लगता है जैसे गुरु और भक्त दोनों ही भक्ति के किसी ऐसे रस में लींन हैं जिसकी थाह पाना आसान नही, जी हाँ पुष्कर इस के लिए भी जाना जाता है | वैसे, ये बाबा लोग अपने इन फिरंगी भक्तों पर अपना पूरा अधिकार रखते हैं और आपको इन से घुलने-मिलने नही देते |
इस शहर की धार्मिकता, और आध्यात्मिकता के इस बेझोड़ और आलौकिक रस में डूबे-डूबे से आप आगे बढ़तें हैं तो घाट के दूसरी तरफ ही गुरु नानक और गुरु गोबिंद सिंह जी की पुष्कर यात्रा की याद में बना ये शानदार गुरुद्वारा है, पुष्कर में आकर इस गुरूद्वारे के भी दर्शन ! और ऊपर से लंगर का समय ! लगता है ऊपर जरुर कोई मुस्करा कर अपना आशीर्वाद हम पर बरसा रहा है…ज़हे नसीब !!!
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