शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र कà¥à¤› देर मे आने ही वाला था अब जाकर कà¥à¤› टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• नज़र आने लगा था। महिंदà¥à¤°à¤¾ बोलेरो, टाटा सूमो, लोगों की परà¥à¤¸à¤¨à¤² गाड़ियाठसटासट दौड़ रही थी। किसी पर बीजेपी तो किसी गाडी पर आप(आम आदमी पारà¥à¤Ÿà¥€) के। तà¤à¥€ à¤à¤• पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाले ने हाथ दिया, मैंने सोचा हो सकता है दिलà¥à¤²à¥€ कि गाडी और अकेला सवार है कहीं ये सोचकर रोक रहा हो। मैंने गाड़ी रोकी, à¤à¤• पà¥à¤²à¤¿à¤¸ करà¥à¤®à¥€ मेरी तरफ़ आया और दूसरा गाड़ी के आगे खड़ा हो गया। मà¥à¤à¥‡ डरने की कोई लोड नहीं थी गाड़ी के कागज़ पूरे थे।
पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाला – कहाठजा रहे हो ?
मैं – केदारनाथ।
पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाला – अकेले ?
मैं – हाà¤à¥¤
पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाला – बड़ी हिमà¥à¤®à¤¤ है।
मैं – बस जि मूड़ कर गया।
दूसरा पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाला – कà¥à¤¯à¤¾ आप मà¥à¤à¥‡ शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र तक छोड़ दोगे ?
मैं – मोसà¥à¤Ÿ वेलकम। आजाओ।
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