शीरà¥à¤·à¤• पढ़कर आपको थोडा आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ तो जरà¥à¤° हà¥à¤† होगा कि अरे ये कà¥à¤¯à¤¾ अà¤à¥€ तो यातà¥à¤°à¤¾ का मजा आने लगा था और अà¤à¥€ दिलà¥à¤²à¥€ वापसी. जब आपको पढ़कर à¤à¤¸à¤¾ लगा तो सोचिये à¤à¤²à¤¾ मà¥à¤à¥‡ कैसा लगा होगा जब ये यातà¥à¤°à¤¾ बीच में ही अधूरी छोड़नी पड़ी. जैसा की आपने पिछले लेख में पढ़ा कि हम लोग मनमोहक à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ बदà¥à¤°à¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨ करके कई जगह तीखी ढलानों से उतरते हà¥à¤ मलारी वाले सड़क मारà¥à¤— तक पहà¥à¤à¤š चà¥à¤•े थे. हमारा आगे का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® केदारनाथ की ओर रà¥à¤– करने का था जिसके लिठहमें दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से होकर गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ था. वैसे इस सड़क पर दूर दूर तक किसी वाहन की उमà¥à¤®à¥€à¤¦ नहीं दिख रही थी, सोचा चलो तपोवन से तो कà¥à¤› ना कà¥à¤› जà¥à¤—ाड़ मिल ही जाà¤à¤—ा. हम सà¤à¥€ गाइड साब को वापस à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ की नाकाम कोशिश करते हà¥à¤ आगे बढे चले जा रहे थे कि à¤à¤• जीप आती दिखाई दी. हाथ दिया तो चालक साब ने रोक दी. हमने जोशीमठजाने के बारे में पूछा तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमें बिठा लिया और गाइड साब à¤à¥€ थोड़ी देर पीछा करने के बाद सलधार से वापस लौट गà¤. रासà¥à¤¤à¥‡ में हमने पूछा कि à¤à¤¾à¤ˆ कहाठतक जाओगे, तो चालक साब बोले जहाठतक चलोगे वहीठले चलेंगे. à¤à¤¸à¥‡ निरà¥à¤œà¤¨ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से सीधा रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— के लिठजीप पाकर हम लोग बड़े खà¥à¤¶ हà¥à¤.
सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ जिस तूफानी रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° से हमने तीखी ढलानों पर उतराई की थी उसका पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ अब दिखने लगा था. दोनों साथियों के पैर दरà¥à¤¦ के मारे जवाब दे रहे थे और पà¥à¤¨à¥€à¤¤ का तो आगे बढ़ते बढ़ते दरà¥à¤¦ à¤à¥€ बढ़ने लगा था. à¤à¤¸à¥‡ में मà¥à¤à¥‡ आगे की यातà¥à¤°à¤¾ कà¥à¤› धà¥à¤‚धली सी पड़ती नज़र आ रही थी पर मैं अà¤à¥€ à¤à¥€ इस यातà¥à¤°à¤¾ को लेकर आशानà¥à¤µà¤¿à¤¤ था. यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान मैं पैर का दरà¥à¤¦ à¤à¤—ाने के लिठ‘मूव’ आदि साथ रखता हूठताकि आगे आसानी से मूव किया जा सके. थोडा ‘मूव’ लगाने से सबको आराम तो महसूस हà¥à¤† पर आगे बढ़ने की ईचà¥à¤›à¤¾ कमजोर सी पड़ती जा रही थी. थोडा आगे आने पर पà¥à¤¨à¥€à¤¤ ने चालक साब से पूछा कि कहाठतक जाओगे तो इस बार उसने कहा कि मà¥à¤à¥‡ रात होने से पहले शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ है जहाठसे उसकी à¤à¤• यातà¥à¤°à¤¾ की बà¥à¤•िंग थी. रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ से पहले ही पà¥à¤¨à¥€à¤¤ और दीपक ने आगे यातà¥à¤°à¤¾ जारी रखने में अपनी असमरà¥à¤¥à¤¤à¤¾ जताई. मैं हालांकि यातà¥à¤°à¤¾ को पूरी करना चाहता था, पर दोनों को à¤à¤¸à¥€ हालत में देखकर मà¥à¤à¥‡ उनका साथ देना ही मà¥à¤¨à¤¾à¤¸à¤¿à¤¬ लगा.
रासà¥à¤¤à¥‡ में हम लोग लोग थोड़ी देर रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में रà¥à¤•े और फिर चल दिठशà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र की ओर. शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हमें काफी देर हो चà¥à¤•ी थी और आज रात इससे आगे जाने का कोई साधन नहीं दिख रहा था. कोई जीप या बस मिलने की तो संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ बिलकà¥à¤² à¤à¥€ नहीं थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यहाठहिमाचल की तरह रात को बसें नहीं चलती. à¤à¤¸à¥‡ में हमारे चालक साब ने हमें रात शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र में ही बिताने का सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया और हमें रात गà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¨à¥‡ का à¤à¤• ठिकाना à¤à¥€ दिखाया. हमने ठिकाना तो देख लिया पर अब किसी का à¤à¥€ यहाठरà¥à¤•ने का मन नहीं था और सब जलà¥à¤¦ से जलà¥à¤¦ घर पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ चाहते थे. उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚चल में वैसे तो रात को कोई वाहन नहीं चलते पर सबà¥à¤œà¤¼à¥€ फल आदि रसद पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ वाले टà¥à¤°à¤•ों की आवाजाही रात à¤à¤° चालू रहती है, सोचा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ना इसे ही आजमाया जाà¤. आज शायद किसà¥à¤®à¤¤ हम पर मेहरबान थी, थोडा पूछà¥à¤¤à¤¾à¤¤ करने पर ही हमें à¤à¤• टà¥à¤°à¤• मिल गया जो हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° तक जा रहा था. टà¥à¤°à¤• चलने में अà¤à¥€ लगà¤à¤— आधा घंटा बाकी था और सà¥à¤¬à¤¹ सिरà¥à¤« आशà¥à¤°à¤® में ही à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया था इसलिठà¤à¤• ढाबे पर जाकर थोड़ी पेट पूजा की गई.
टà¥à¤°à¤• पर वापस लौटे तो देखा की चालक के साथ वाली सीट पर पहले ही दो लोग बैठे हà¥à¤ थे. à¤à¤¸à¥‡ में वहाठहम तीनों का à¤à¤• साथ बैठना संà¤à¤µ और सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ नहीं था. इसलिठदोनों की बà¥à¤°à¥€ हालत देखकर मैं टà¥à¤°à¤• के पीछे चला गया जहाठकà¥à¤› अनà¥à¤¯ लोग पहले से ही लेटे थे. इस टà¥à¤°à¤• के ऊपर à¤à¤• बरसातीनà¥à¤®à¤¾ दरी थी जो शायद सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को धूल और बारिश से बचाने के लिठडाली गयी थी और नीचे खाली पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• के डबà¥à¤¬à¥‡ रखे हà¥à¤ थे जिनमे सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤ रखी जाती हैं. इनà¥à¤¹à¥€ हिलते डà¥à¤²à¤¤à¥‡ पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• के डबà¥à¤¬à¥‹à¤‚ के ऊपर हम सà¤à¥€ मà¥à¤¸à¤¾à¤«à¤¼à¤¿à¤° लेटे हà¥à¤ थे. टà¥à¤°à¤• चलने पर कà¥à¤› समय तो बड़ा मजा आया पर जैसे जैसे रात गहराती गयी और नींद आने लगी तो इन हिलते हà¥à¤ डबà¥à¤¬à¥‹à¤‚ पर सोना बड़ा दà¥à¤–दायी लग रहा था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤• तो ये डबà¥à¤¬à¥‡ आपस में टकराकर हिल रहे थे और टेढ़े मेढ़े होने की वजह से चà¥à¤ à¤à¥€ रहे थे. खैर मेरे लिठतो ये सब रोमांच था, लेकिन रोमांच धीरे धीरे बढ़ने लगा जब इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ अरà¥à¤§à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¿ में जागे और हम पर जमकर मेहरबान हà¥à¤. तिरछी पड़ती हà¥à¤ˆ मोटी मोटी बारिश की बूà¤à¤¦à¥‡ हमारे ऊपर à¤à¤• शॉवर की तरह पड़ रही थी जो à¤à¤• मंद मंद शीतल रात को à¤à¤• बरà¥à¤«à¤¼à¥€à¤²à¥€ सी महसूस होने वाली रात में बदलने के लिठकाफी थी. à¤à¤¸à¥‡ में ऊपर रखी हà¥à¤ˆ दरी ने ठणà¥à¤¡ से तो नहीं पर à¤à¥€à¤—ने से तो बचा ही लिया. ठणà¥à¤¡ में किटकिटाते हà¥à¤, बिना सोये जैसे तैसे करीब चार बजे के आस पास टà¥à¤°à¤• चालक ने हमें हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में à¤à¤• सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ मोड़ पर उतार दिया. जितना दरà¥à¤¦ मेरे शरीर में उस टà¥à¤°à¤• में सवारी करते हà¥à¤ हà¥à¤† उतना पूरी यातà¥à¤°à¤¾ कहीं नहीं हà¥à¤†, शरीर इतना अकड़ गया था कि टà¥à¤°à¤• से बाहर निकलने के लिठà¤à¥€ हिमà¥à¤®à¤¤ जà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥€ पड़ रही थी. ठणà¥à¤¡ के मारे बà¥à¤°à¤¾ हाल था, सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ गलियों से होकर गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ हम लोग बस सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ की ओर बढ़ने लगे. à¤à¤¸à¥‡ में रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• चाय का ठेला देखकर चेहरे पर कà¥à¤› ख़à¥à¤¶à¥€ आयी, à¤à¤¾à¤ˆà¤¸à¤¾à¤¬ के हाथ की गरà¥à¤®à¤¾à¤—रम चाय और बंद खाकर शरीर में कà¥à¤› ऊरà¥à¤œà¤¾ आई. फिर तो बस जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ कदम बढ़ाते हà¥à¤ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° बस सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤à¤šà¤•र, दिलà¥à¤²à¥€ की बस पकड़ी तो लगà¤à¤— दस या गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ बजे तक दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤à¤š कर ही राहत की साà¤à¤¸ ली. यातà¥à¤°à¤¾ समापà¥à¤¤!
अब थोडा समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ यातà¥à¤°à¤¾ की समीकà¥à¤·à¤¾! ये à¤à¤• बजट यातà¥à¤°à¤¾ थी, कà¥à¤² मिलाकर 7 रातें जिनमे से 2 रातें वाहनों में (दिलà¥à¤²à¥€ से ऋषिकेश + शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र से हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°), 2 रातें डोरमेटà¥à¤°à¥€ में (बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ – 60 रà¥à¤ªà¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ + जोशीमठ– 70 रà¥à¤ªà¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़) और बाकी 3 रातें मà¥à¤«à¥à¤¤ के ठिकानों में (उमरा नारायण मंदिर रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— à¤à¥‹à¤œà¤¨ समेत + मासà¥à¤Ÿà¤° सलीम का आशियाना जोशीमठ+ साधू आशà¥à¤°à¤® à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ बदà¥à¤°à¥€ à¤à¥‹à¤œà¤¨ समेत). जहाठतक याद पड़ता है यातà¥à¤°à¤¾ का कà¥à¤² खरà¥à¤šà¤¾ (दिलà¥à¤²à¥€ से दिलà¥à¤²à¥€ तक) 2000 रà¥à¤ªà¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ से नीचे ही रहा था जिसमे अधिकतर खरà¥à¤šà¤¾ सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• वाहनों पर ही किया गया था. पूरी यातà¥à¤°à¤¾ में हमारा जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ पैदल यातà¥à¤°à¤¾ करने का था जो जितना हो पाया हमने निà¤à¤¾à¤¨à¥‡ की कोशिश की और सफलता à¤à¥€ पायी. इस यातà¥à¤°à¤¾ से मà¥à¤à¥‡ अपने à¤à¤• विदेशी मेहमान की à¤à¤• खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत सोच की याद आती है जिसे आपके साथ साà¤à¤¾ करना चाहता हूà¤. कà¥à¤› साल पहले हमारे à¤à¤• अमरीकी मेहमान अपने दो छोटे बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ जिनकी उमर करीब 12 या 13 साल रही होगी और बीवी समेत लगà¤à¤— 40 दिन की à¤à¤¾à¤°à¤¤ यातà¥à¤°à¤¾ पर आये थे. उनसे बातचीत के दौरान à¤à¤• बड़ी रोचक बात पता चली, दरअसल ये परिवार à¤à¤• साल के लिठविशà¥à¤µ यातà¥à¤°à¤¾ पर निकला था जिसका अधिकतर हिसà¥à¤¸à¤¾ ये लोग à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बिता रहे थे. à¤à¤¸à¥‡ में मेरे दिमाग में à¤à¤• सवाल कà¥à¤²à¤¬à¥à¤²à¤¾à¤¹à¤Ÿ ले रहा था और मैं à¤à¥€ इसे पूछे बिना रह नहीं पाया. सवाल बड़ा साधारण और सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• सा था कि इतने लमà¥à¤¬à¥‡ समय तक बाहर रहने से बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की पढाई अवशà¥à¤¯ ही पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होगी, तो à¤à¤²à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ रिसà¥à¤• कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? जवाब सà¥à¤¨à¤•र मैं पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤ बिना नहीं रह सका, उन महाशय का मानना था कि ये बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¤• वरà¥à¤· में घूमने से जितना जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करेंगे वो à¤à¤• साल की पढाई से कई गà¥à¤¨à¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ और पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ होगा और इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ इंसान बनाने में à¤à¤• निरà¥à¤£à¤¾à¤¯à¤• à¤à¥‚मिका अदा करेगा. खैर हमारे लिठà¤à¥€ ये यातà¥à¤°à¤¾ कà¥à¤› इसी तरह की थी अलग अलग तरह की परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤, à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ अनà¥à¤à¤µ, कई पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ साथी, ढेर सारी रोचक जानकारी, à¤à¤°à¤ªà¥‚र रोमांच और मजा ही मजा. अपने इन दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के साथ इसके बाद और à¤à¥€ कई यादगार यातà¥à¤°à¤¾à¤à¤ की और à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में à¤à¥€ कई यातà¥à¤°à¤¾à¤à¤ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हैं, फिलहाल इनके अमरीका से लौटने का इंतज़ार है. इस यातà¥à¤°à¤¾ को लिखित रूप देने की मà¥à¤–à¥à¤¯ वजह थी उन सà¤à¥€ पलों को संजोये रखने और दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ जीने की कोशिश करना, जिसमे लगता है कà¥à¤› हद तक सफलता à¤à¥€ पायी. हालाà¤à¤•ि उन यादगार पलों को दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ जीने के लिठà¤à¤¸à¥€ ही किसी यातà¥à¤°à¤¾ पर दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ निकल पड़ना होगा, इंशालà¥à¤²à¤¾à¤¹ à¤à¤¸à¤¾ वकà¥à¤¤ जलà¥à¤¦ ही आयेगा…तब तक के लिठघà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी जिंदाबाद!