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गढ़वाल घुमक्कड़ी: तपोवन – रुद्रप्रयाग – दिल्ली

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रास्ते में हम लोग लोग थोड़ी देर रुद्रप्रयाग में रुके और फिर चल दिए श्रीनगर की ओर. श्रीनगर पहुँचते पहुँचते हमें काफी देर हो चुकी थी और आज रात इससे आगे जाने का कोई साधन नहीं दिख रहा था. कोई जीप या बस मिलने की तो संभावना बिलकुल भी नहीं थी क्योंकि यहाँ हिमाचल की तरह रात को बसें नहीं चलती. ऐसे में हमारे चालक साब ने हमें रात श्रीनगर में ही बिताने का सुझाव दिया और हमें रात गुजारने का एक ठिकाना भी दिखाया. हमने ठिकाना तो देख लिया पर अब किसी का भी यहाँ रुकने का मन नहीं था और सब जल्द से जल्द घर पहुँचना चाहते थे. उत्तरांचल में वैसे तो रात को कोई वाहन नहीं चलते पर सब्ज़ी फल आदि रसद पहुँचाने वाले ट्रकों की आवाजाही रात भर चालू रहती है, सोचा क्यों ना इसे ही आजमाया जाए. आज शायद किस्मत हम पर मेहरबान थी, थोडा पूछ्तात करने पर ही हमें एक ट्रक मिल गया जो हरिद्वार तक जा रहा था. ट्रक चलने में अभी लगभग आधा घंटा बाकी था और सुबह सिर्फ आश्रम में ही भोजन किया था इसलिए एक ढाबे पर जाकर थोड़ी पेट पूजा की गई.

ट्रक पर वापस लौटे तो देखा की चालक के साथ वाली सीट पर पहले ही दो लोग बैठे हुए थे. ऐसे में वहाँ हम तीनों का एक साथ बैठना संभव और सुरक्षित नहीं था. इसलिए दोनों की बुरी हालत देखकर मैं ट्रक के पीछे चला गया जहाँ कुछ अन्य लोग पहले से ही लेटे थे. इस ट्रक के ऊपर एक बरसातीनुमा दरी थी जो शायद सब्जियों को धूल और बारिश से बचाने के लिए डाली गयी थी और नीचे खाली प्लास्टिक के डब्बे रखे हुए थे जिनमे सब्जियाँ रखी जाती हैं. इन्ही हिलते डुलते प्लास्टिक के डब्बों के ऊपर हम सभी मुसाफ़िर लेटे हुए थे. ट्रक चलने पर कुछ समय तो बड़ा मजा आया पर जैसे जैसे रात गहराती गयी और नींद आने लगी तो इन हिलते हुए डब्बों पर सोना बड़ा दुखदायी लग रहा था क्योंकि एक तो ये डब्बे आपस में टकराकर हिल रहे थे और टेढ़े मेढ़े होने की वजह से चुभ भी रहे थे. खैर मेरे लिए तो ये सब रोमांच था, लेकिन रोमांच धीरे धीरे बढ़ने लगा जब इन्द्रदेव अर्धरात्रि में जागे और हम पर जमकर मेहरबान हुए. तिरछी पड़ती हुई मोटी मोटी बारिश की बूँदे हमारे ऊपर एक शॉवर की तरह पड़ रही थी जो एक मंद मंद शीतल रात को एक बर्फ़ीली सी महसूस होने वाली रात में बदलने के लिए काफी थी. ऐसे में ऊपर रखी हुई दरी ने ठण्ड से तो नहीं पर भीगने से तो बचा ही लिया. ठण्ड में किटकिटाते हुए, बिना सोये जैसे तैसे करीब चार बजे के आस पास ट्रक चालक ने हमें हरिद्वार में एक सुनसान मोड़ पर उतार दिया. जितना दर्द मेरे शरीर में उस ट्रक में सवारी करते हुए हुआ उतना पूरी यात्रा कहीं नहीं हुआ, शरीर इतना अकड़ गया था कि ट्रक से बाहर निकलने के लिए भी हिम्मत जुटानी पड़ रही थी. ठण्ड के मारे बुरा हाल था, सुनसान गलियों से होकर गुजरते हुए हम लोग बस स्टेशन की ओर बढ़ने लगे. ऐसे में रास्ते में एक चाय का ठेला देखकर चेहरे पर कुछ ख़ुशी आयी, भाईसाब के हाथ की गर्मागरम चाय और बंद खाकर शरीर में कुछ ऊर्जा आई. फिर तो बस जल्दी जल्दी कदम बढ़ाते हुए हरिद्वार बस स्टेशन पहुँचकर, दिल्ली की बस पकड़ी तो लगभग दस या ग्यारह बजे तक दिल्ली पहुँच कर ही राहत की साँस ली. यात्रा समाप्त!

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An Adventurous Trip from DELHI to Haridwar & Rishikesh

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It was around 12’o clock in the afternoon we felt tired after a long drive and checked-in at Hari Heritage hotel on the Haridwar Rishikesh Highway. we left for Rishikesh in few hours and stayed in the hotel overnight. After disappointment at Har ki Pauri , Rishikesh was a real delight. Clean and chilled Ganga water flowing in from huge mountains to the plains..We parked out car in parking and had lunch at the famous choti wala restaurant where a Choti wala guy is at the entrance welcoming you. It took around half an hour to reach Rishikesh from Haridwar.

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हरि का द्वार हरिद्वार – भाग २..

हरि का द्वार हरिद्वार – भाग २..

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ऋषिकेश हरिद्वार से करीब २५ किलोमीटर दूर हैं. इसको हिमालय का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है. ऋषिकेश हिन्दुओ के सबसे पवित्र स्थलों में से एक हैं. ऋषिकेश को केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री आदि का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. यह कहा जाता हैं कि यंहा पर भगवान विष्णु ऋषिकेश अवतार में प्रकट हुए थे. इसलिए इस स्थान का नाम ऋषिकेश हैं. वैसे तो ऋषिकेश में सैकड़ो मंदिर आश्रम हैं, पर समय अभाव के कारण में कुछ ही मंदिरों और आश्रमो में जा सका.

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यात्रा हरि के द्वार हरिद्वार की – भाग १

यात्रा हरि के द्वार हरिद्वार की – भाग १

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हरिद्वार यानि हरि का द्वार, या हरद्वार कहो यानि भोले कि नगरी. हरिद्वार हिन्दुओ का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल, देव भूमि उत्तराखंड का प्रवेश द्वार. माँ गंगा पहाड़ों से उतरकर हरिद्वार में ही मैदानों में प्रवेश करती हैं. इसलिए हरिद्वार का एक नाम गंगा द्वार भी हैं. हरिद्वार कुम्भ कि भी नगरी हैं.

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Rain…Rain…Rain…

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We found out that the rafting at Rishikesh was closed at this time due to heavy rains in Uttarakhand. “Heavy Rains” that triggered an idea. Why not enjoy the rain itself and live our childhood again. Why not a bike trip to Rishikesh?

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The River and the City

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The airport is located in Babatpur, a slightly funny name but when you see the airport name displayed in bold letters as Lal Bahadur Shastri aiport, suddenly it gains stature and you feel a connection, a long lost memory jogged. And you remember a story of young Lal bahadur swimming across the Ganga for his studies.

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Kashi – a spiritual sojourn

Kashi – a spiritual sojourn

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Kashi has temples everywhere, a dozen of which are important; hundreds of smaller ones  crop up in unexpected places: along the river bank, in cul-de-sacs,  under trees and in various nooks and corners of its byzantine lanes. The origin of some is lost in antiquity, some of them are less than a century old but the holiest of them all, the Vishwanath Temple is the cynosure of Hindu pilgrims. It is one of the 12 Jyotirlingas (manifestations of the Lord as Light) of Saivism.

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Kolkata to Kumaon – A stay at Allahabad

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In Hindu tradition Triveni Sangam is the “confluence” of three rivers. Sangama is the Sanskrit word for confluence. The point of confluence is a sacred place for Hindus. A bath here is said to flush away all of one’s sins and free one from the cycle of rebirth.One such Triveni Sangam, in Prayag (Allahabad) has two physical rivers — Ganges and Yamuna — and the invisible Saraswati River. The place has religious importance and the site for historic Kumbh Mela held every 12 years,

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Prayag calling

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We are neither too religious not we are atheist. We wanted to witness Maha Kumbh at the Tirthraj Prayag, where the Maha Kumbh festival began on 14th January, 2013. We would like to witness a festival where Millions of people travel across the globe to take a dip at Sangam. We didn’t want to miss the same.

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